Union Budget 2025: बजट में डिजिटल इकॉनमी
Union Budget 2025 Update: रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि फिलहाल जीडीपी के दसवें हिस्से वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था पिछले दशक में दर्ज वृद्धि दरों के अनुरूप 2026 तक जीडीपी का पांचवां हिस्सा बनने की राह पर है।;
Union Budget 2025 Update: भारत सरकार का डिजिटल इकॉनमी पर काफी फोकस है। 2014 में केंद्र में आई मोदी सरकार ने डिजिटल इकॉनमी पर काफी जोर दिया है। इसी का नतीजा है कि पिछले कुछ सालों भारत का डिजिटल परिवर्तन आर्थिक विकास के लिए एक गेम चेंजर साबित हुआ है। आज अधिकतर लेन-देन डिटिजल हो गया है। डिजिटल क्रांति बैंकिंग बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा दे रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण में स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग ने कैशलेस लेनदेन और ऑनलाइन खरीदारी को काफी बढ़ावा दिया है।
हाल में आई आस्क कैपिटल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गहरी इंटरनेट पहुंच, कुशल और सस्ती 4 जी और 5 जी सेवाओं और डिजिटल क्षेत्र में सरकार की पहल से भारत 2028 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। 2025-26 के बजट में भी डिजिटल इकॉनमी पर विशेष फोकस रहने की बात कही जा रही है। सरकार डिजिटल लेन-देन को बढ़ाने पर काफी जोर दे रही है।
रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि फिलहाल जीडीपी के दसवें हिस्से वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था पिछले दशक में दर्ज वृद्धि दरों के अनुरूप 2026 तक जीडीपी का पांचवां हिस्सा बनने की राह पर है। भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2026 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पांचवां हिस्सा (20 फीसदी) बनने की ओर तेजी से अग्रसर है।
डिजिटल क्रांति में सबसे आगे
हाल ही में आरबीआई की आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत डिजिटल क्रांति में सबसे आगे निकलता दिखाई दे रहा है। देश में डिजिटल भुगतान में जबदस्त तेजी देखने को मिल रही है, "जिसने न केवल वित्तीय-प्रौद्योगिकी (फिनटेक) को अपनाया है बल्कि बायोमीट्रिक पहचान, एकीकृत भुगतान प्रणाली, मोबाइल संपर्क, डिजिटल लॉकर और सहमति से डेटा साझा करने से इंडिया स्टैक का आधार भी तैयार किया है। डिजिटल क्रांति बैंकिंग बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा दे रही है, जिसमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और टैक्स कलेक्शन दोनों शामिल हैं। जीवंत ऑनलाइन बाजार उभर रहे हैं और उनकी पहुंच बढ़ रही है।
डिजिटल भुगतान दे रहा है विकास को गति
भारत में विमुद्रीकरण नीति का देश की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। लेकिन इसने भारत में डिजिटल भुगतान के विकास को भी गति दी। विमुद्रीकरण से पहले, भारत में सभी लेन-देन में डिजिटल भुगतान का हिस्सा केवल 10 प्रतिशत था। लेकिन उसके बाद के वर्षों में यह बढ़कर 20 प्रतिशत से अधिक हो गई है। 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोट बंदी की घोषणा के बाद से भारत में डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के आक्रामक प्रचार और अपनाने को बढ़ावा मिला है।
यूपीआई ने तोड़ा रिकॉर्ड
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों में डिजिटल पेमेंट का मूल्य बढ़कर 1,669 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसी अवधि के दौरान डिजिटल पेमेंट का लेन-देन 8,659 करोड़ तक पहुंच गया। यूपीआई लेन-देन का मूल्य 138 प्रतिशत की सीएजीआर पर 1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 200 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा पिछले 5 महीनों में कुल लेन-देन का मूल्य बढ़कर 101 लाख करोड़ रुपये हो गया है।इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि भारत में डिजिटल पेमेंट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें डिजिटल पेमेंट लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 में 2,071 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 18,737 करोड़ हो गई था। जो 44 प्रतिशत की कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट पर है।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के 5 महीनों के दौरान लेन-देन की संख्या 8,659 करोड़ तक पहुंच गई है। लेन-देन का मूल्य 11 प्रतिशत की सीएजीआर पर 1,962 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3,659 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2024-25 के 5 महीनों में कुल लेनदेन मूल्य बढ़कर 1,669 लाख करोड़ रुपये हो गया है।मंत्रालय ने यह बताया कि यूपीआई ने देश में डिजिटल पेमेंट में क्रांति ला दी है, वित्त वर्ष 2017-18 में यूपीआई लेनदेन 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 129 प्रतिशत की सीएजीआर से 13,116 करोड़ हो गया है।
भारत जापान, यूके और जर्मनी से भी आगे निकला
भारत वास्तविक समय पर भुगतान के मामले में एक वैश्विक उदाहरण बन गया है, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद के अनुसार, डिजिटल कौशल पर भारत का स्कोर डिजिटलीकरण के समग्र स्तर पर जापान, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी जैसे विकसित देशों से आगे निकल गया है। प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) जैसी सरकारी पहलों ने देश में सार्वभौमिक पहुंच और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में मदद की है। मोबाइल और ब्रॉडबैंड की बढ़ती पहुंच वित्तीय समावेशन को और गहरा करेगी और नई डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देगी।