Interest Rates: अमेरिका में फेडरल रिज़र्व दर फिर बढ़ी, बाजारों में हलचल तय

US Fed Raise Interest Rates: एफएफआर वह ब्याज दर है जिस पर अमेरिका में वाणिज्यिक बैंक एक-दूसरे से उधार लेते हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-07-28 10:02 IST

अमेरिका में फेडरल रिज़र्व दर फिर बढ़ी (photo: social media )

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US Fed Raise Interest Rates: अमेरिका में मुद्रास्फीति लगातार बढ़ती जा रही है। जून में ये 9.1 फीसदी तक पहुंच चुकी है और चार दशक के उच्च स्तर पर है। मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए फेडरल रिजर्व या अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने फेडरल फंड्स रेट को फिर 75 अंक बढ़ाने का फैसला किया है। मार्च के बाद से फेड ने एफएफआर को शून्य से बढ़ाकर अब लगभग 2.5 फीसदी कर दिया है। फेड रेट में बढ़ोतरी से वैश्विक बाजारों में हलचल मच सकती है। विशेष रूप से भारत के लिए, यह विदेशी मुद्रा आउटफ्लो की गति को बढ़ा सकता है, रुपये के संकट को बढ़ा सकता है और घरेलू बाजार को कमजोर कर सकता है। 

फेडरल फंड्स रेट क्या है

एफएफआर वह ब्याज दर है जिस पर अमेरिका में वाणिज्यिक बैंक एक-दूसरे से उधार लेते हैं। यूएस फेड सीधे एफएफआर निर्दिष्ट नहीं कर सकता है लेकिन यह पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करके दर को "टारगेट" करने का प्रयास करता है। जैसे, जब फेड अमेरिकी अर्थव्यवस्था में प्रचलित ब्याज दरों को बढ़ाना चाहता है, तो यह धन की आपूर्ति को कम कर देता है, इस प्रकार अर्थव्यवस्था में प्रत्येक ऋणदाता को उच्च ब्याज दरों को चार्ज करने के लिए मजबूर करता है। यह प्रक्रिया वाणिज्यिक बैंकों द्वारा एक-दूसरे को ऋण देने के लिए अधिक शुल्क लेने के साथ शुरू होती है।

इसे मौद्रिक सख्ती कहा जाता है, और फेड (या कोई अन्य केंद्रीय बैंक) इसका सहारा तब लेता है जब वह अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति पर लगाम लगाना चाहता है। पैसे की मात्रा कम करने के साथ इसकी कीमत (ब्याज दर) बढ़ाने से, फेड अर्थव्यवस्था में समग्र मांग में कमी करने की कोशिश करता है। वस्तुओं और सेवाओं की कम मांग से मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद की जाती है।

मौद्रिक सख्ती के जोखिम

आक्रामक मौद्रिक सख्ती में अपेक्षाकृत कम समय में ब्याज दरों में बड़ी वृद्धि शामिल है, और यह मंदी पैदा करने का जोखिम होता है। इसे सॉफ्ट लैंडिंग के मुकाबले अर्थव्यवस्था की हार्ड-लैंडिंग कहा जाता है। अमेरिका के लिए सॉफ्ट-लैंडिंग की संभावना मौजूद है, लेकिन बेहद कम है।

मंदी क्या है

मंदी की सबसे सामान्य परिभाषा है कि किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगातार दो तिमाहियों में सिकुड़ जाए। जीडीपी सिकुड़ने करने से आम तौर पर नौकरियां कम हो जाती हैं, आय कम हो जाती है और खपत घट जाती है।

अमेरिका 2022 की दूसरी तिमाही (अप्रैल, मई और जून) के लिए जीडीपी के आंकड़ों की घोषणा आज करने वाला है। चूंकि अमेरिकी जीडीपी पहले ही तिमाही के दौरान 1.6 फीसदी तक सिकुड़ चुकी है। सो दूसरी तिमाही में संकुचन का मतलब होगा कि अमेरिका मंदी में है।

वैसे, कुछ विरोधाभास भी हैं। जैसे कि, 2022 की पहली छमाही में उल्लेखनीय रोजगार सृजन है। लेकिन फेड के आक्रामक होने के बावजूद, श्रम बाजार काफी "तंग" बना हुआ है - यानी बेरोजगारी अभी भी ऐतिहासिक निम्न स्तर पर है। वास्तव में, पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में कमी और दूसरी तिमाही में संभावित कमी के बावजूद, अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने 2022 की पहली छमाही में लगभग 2.7 मिलियन नए रोजगार सृजित किए। यह हाल के वर्षों में सृजित नौकरियों की संख्या से अधिक है। यही कारण है कि फेड चेयरमैन जे पॉवेल ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मंदी के दौर से गुजरने की बात से इनकार किया है। ट्रेजरी के अमेरिकी सचिव व फेड के पूर्व अध्यक्ष जेनेट येलेन ने भी तर्क दिया है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी में नहीं है, भले ही जीडीपी लगातार दो तिमाहियों के लिए संकुचित हो।

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