Year Ender 2022: पूरे साल जनता महंगाई से रही कराहती, EMI और खाने पीने के सामानों में लगी जीएसटी ने ढीली की जेब
Year Ender 2022: महंगाई को रोकने के लिए विश्व की कई केंद्रीय बैंकों ने अपने यहां नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी तक की, लेकिन यह महंगाई है कि थमने का नाम तक नहीं ले रही है। जानिए जानिए पूरे साल कैसी रही थोक व खुदरा महंगाई दर?
Year Ender 2022: आप ने इस साल लोगों के मुंह से सबसे अधिक कौन सा शब्द सुना? जवाब होगा महंगाई। बड़ी मुश्किल से लोग दो साल कोरोना से उबरे ही थे कि साल 2022 शुरू होते ही महंगाई की चपेट में आए। यह सिलसिला दिसंबर 2022 तक जारी है। इस साल भारत समेत कई देशों में महंगाई की वजह रूस और यूक्रेन का युद्ध रहा। साल खत्म होने के कगार पर आ गया है, लेकिन युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
महंगाई को रोकने के लिए कई केंद्रीय बैंकों ने अपने यहां नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी तक की, लेकिन यह महंगाई है कि थमने का नाम तक नहीं लिया। हाल ही में अमेरिका और भारत के केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में यह कहते हुए फिर से बढ़ोतरी कर दी कि महंगाई अभी भी चिंता का विषय है।
वैसे तो रूस और यूक्रेन के युद्ध का प्रभाव भारत में भी साफ तौर पर दिखाई दिया। लेकिन भारत की तुलना में अन्य देशों की महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी। दुनिया के विकसित देशों में शुमार ब्रिटेन, अमेरिका में तो पूरे साल मंदी की आशंका छाई रही। हालांकि इन देशों की तुलना में भारत में महंगाई कुछ कम रही। लेकिन जितनी भी रही उतनी ने लोगों को पूरे साल बेहाल कर दिया। साल 2022 में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के साथ लोगों के दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तओं के दाम भी उच्चतम स्तर पर बने रहे तो देश में बढ़ी बेरोजगारी दर ने भी लोगों को खूब परेशान किया।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मुताबिक, नवंबर महीने में सीपीआई ग्रामीण स्तर पर यहां 6.09 फीसदी पर रही तो वहीं शहरी में यह 5.88 फीसदी पर रही,जबकि इससे पहले अक्टूबर महीने में सीपीआई ग्रामीण 6.98 फीसदी रही,जबकि शहरी सीपीआई 6.50 फीसदी रही। अगर पिछले साल की नवंबर में सीपीआई से काफी राहत थी। तब ग्रामीण सीपीआई 4.29 फीसदी और शहरी सीपीआई 5.54 फीसदी पर थी। इसके अलावा पूरे साल देश की थोक और रिटेल महंगाई दर अपने चरम सीमा पर थी, जिससे लोग खूब परेशान हुए। हालांकि नवंबर महीने में लोगों को महंगाई दर काफी राहत मिली। इस दौरान थोक महंगाई दर गिरकर अपने 21 महीने के निचले स्तर पर चली गई। वहीं, खुदरा महंगाई दर गिरकर 11 महीने के निचले स्तर पर आ गई।
जीएसटी की बढ़ी दरों से लोग हलकान
देश में महंगाई के बीच सरकार ने जुलाई में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक कर लोगों की दैनिक जीवन से जुड़ी वस्तुओं में जीएसटी की दर को बढ़ा कर तगड़ा झटका दिया। सरकार ने खाने पीने वस्तुओं पर 5 फीसदी की जीएसटी लगा दी। पैकेट बंद और ब्रांड वाले प्रोडक्ट्स पर 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया था। इसके अलावा कई अन्य चीजों पर जीएसटी दरों को बढ़ा कर लोगों को उस समय तगड़ा झटका दिया,जब देश में महंगाई सीमा अपने चरम स्तर पर थी।
सरकार ने उठाए कदम तो ईएमआई बढ़ीं
देश में बढ़ी महंगाई को रोकने के लिए केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ने कड़े कदम उठाए और इन कदम में एक कदम रेपो रेट वृद्धि का भी है। रिजर्व बैंक ने जब जब देश में रेपो रेट की बढ़ोतरी की। तब तब देश की सरकारी और निजी क्षेत्र की बैंकों ने कर्ज ब्याज दरों में बढ़ोतरी की,जिसका सीधा असर लोगों पर दिखाई दिया। इस दौरान लोन महंगे हो गए और लिए कर्ज पर चल रही ईएमआई भी महंगी हो गईं। देखा जाए तो पूरा साल के अधिकांश समय बैंकों ने रेपो में बढ़ोतरी होने की वजह से कर्ज ब्याज दरों में बढ़ोतरी करते रहे और इनसे बढ़ती ईएमआई ने लोगों की जेब ढीली करने का काम किया।
जानिए पूरे साल कैसी रही थोक व खुदरा महंगाई की चाल
जनवरी 2022 : नए साल की शुरुआत होते ही लोगों को महंगाई से बढ़ा झटका मिला था। तब देश की खुदरा महंगाई दर 6.01 फीसदी दर्ज हुई, तब पिछले साल महीने से अधिक थी। इस दौरान देश में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 5.43 फीसदी दर्ज हुई थी। वहीं जनवरी 2022 में थोक महंगाई दर 12.51 फीसदी दर्ज की गई थी। तब खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.33 फीसदी, अंडा, मांस और मछली की महंगाई दर 9.85 प्रतिशत, आलू की महंगाई दर 14.45 प्रतिशत और प्याज की महंगाई दर 15.98 फीसदी थी, जबकि मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं की महंगाई जनवरी में 9.42 प्रतिशत और फ्यूल और एनर्जी सेगमेंट में महंगाई दर 32.27 प्रतिशत पर रही थी।
फरवरी 2022 : इस दौरान थोक महंगाई दर में तगड़ा इजाफा देखने को मिला। फरवरी में थोक महंगाई 4.17 फीसदी हो गई। इस महीने फूड इंडेक्स 3.31 फीसदी, सब्जियों -2.90 फीसदी, आलू में -29.78 फीसदी रही, जबकि प्याज की थोक महंगाई फरवरी में 31.28 फीसदी रही। इस दौरान फ्यूल एंड पावर डब्लूपीआई में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली थी। यह फरवरी में 0.58 फीसदी दर्ज हुई। मिनरल्स में महंगाई दर 9.40 फीसदी, क्रूड पेट्रोलियम एंड नुचेरल गैस 6.50 फीसदी और फूड आर्टिकल्स 0.51 फीसदी पर रही। वहीं, खुदरा महंगाई दर की बात करें तो यह 6.07 फीसदी पर दर्ज हुए थी। इस दौरान ऑयल और Fats के दाम 16 फीसदी से अधिक बढ़े। फुटवियर 10.10 फीसदी और फ्यूल एवं लाइट के दाम में 8.73 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई थी।
मार्च 2022 : इस महीने देश में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी रिकॉर्ड की गई थी,जो उस समय 18 महीने का सबसे उच्चतम स्तर थी। इस दौरान खाने पीने की चीजों में तगड़ा इजाफा हुआ था। तब यह 7.68 फीसदी पर था। फूड बास्केट 18.79 फीसदी, साग-सब्जियों 11.64 फीसदी और मीट और मछली की कीमत में 9.63 फीसदी की उछाल देखने को मिला था। जबकि इस दौरान थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 14.55 फीसदी रिकॉर्ड किया गया था। तब वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि इस महीने महंगाई आने की मुख्य वजह पेट्रोलियम नैचुरल गैस, मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल्स की कीमतों मे बढ़ोतरी है। मार्च महीने में खाद्य महंगाई दर 8.71 फीसदी पर थी। आलू की थोक महंगाई 24.62 फीसदी, फ्यूल और पावर की महंगाई 34.52 फीसदी बास्केट की महंगाई 15.54 फीसदी, क्रूड, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस बास्केट में 21.18 फीसदी, मिनरल्स के महंगाई दर में 9.72 फीसदी, नॉन फूड आर्टिकल्स की कीमत में 2.94 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था।
अप्रैल 2022: रुस और यूक्रेन के युद्ध के चलते अप्रैल में थोक महंगाई दर 9 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। तब देश में थोक महंगाई दर 15.08 फीसदी दर्ज की गई थी। इस दौरान पेट्रोलियम नैचुरल गैस, मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल्स की कीमतों में तगड़ा इजाफा हुआ था। अप्रैल महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.35 फीसदी पर रही। फ्यूल और पावर की महंगाई दर बढ़कर 38.66 फीसदी और मैन्युफैकचरिंग प्रोडक्ट्स 10.85 फीसदी दर्ज हुई थी। वहीं अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी पर दर्ज हुई थी। इस दौरान खाद्य वस्तुओं की चीजों में जबरदस्त इजाफा हुआ था। तब खाद्य महंगाई 8.38 फीसदी और खाद्य तेलों में महंगाई दर 17.28% पर रही, जबकि सब्जियों की महंगाई 15.41 फीसदी और फ्यूल और लाइट की महंगाई दर अप्रैल में 10.80 दर्ज हुई थी।
मई 2022: मई में थोक महंगाई दर 15.88 फीसदी दर्ज हुई थी। इस दौरान मिनरल ऑयल्स, क्रूड पेट्रोलियम और नैचुरल गैस, खाद्य वस्तुएं, बेसिक मेटल, गैर-खाद्य वस्तुएं, रसायन और रासायनिक उत्पादों में तगड़ा उछाल देखने को मिला था। वहीं, खुदरा महंगाई दर की बात करें तो यह 7.04 पर दर्ज हुई थी। हालांकि इस दौरान कई चीजों के दाम घटे थे।
जून 2022: जून में भी लोगों को महंगाई से दो चार होना पड़ा था। इस दौरान थोक महंगाई दर 15.88 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर रही थी। यह बढ़ोतरी खाने-पीने की चीजों के भावों में तेजी आने की वजह से आई थी। हालांकि इस दौरान खुदरा महंगाई दर में कुछ कमी आई थी। जून महीने में यह 7.01 फीसदी पर दर्ज हुई थी।
जुलाई 2022: देश में बढ़ती महंगाई से लोगों को जुलाई महीने कुछ राहत मिली थी। इस दौरान थोक महंगाई दर घटकर 13.93 फीसदी पर आ गई थी। तब इसका पांच महीने का सबसे निचला स्तर था। हालांकि इस दौरान मिनरल ऑयल्स, खाने-पीने, महंगे क्रूड पेट्रोलियम और नैचुरल गैस, बेसिक मेटल्स, केमिकल्स और केमिकल्स प्रोडेक्ट के दामों में बढ़ोतरी हुई थी। वहीं, इस दौरान खुदरा महंगाई दर भी कम हुई थी। तब यह 6.71 फीसदी पर रही थी। कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी के दामों में कमी के चलते गिरावट आई थी।
अगस्त 2022: अगस्त महीने में भी लोगों को थोक महंगाई दर से राहत मिली थी। इस दौरान थोक महंगाई दर 12.41 फीसदी दर्ज हुई थी। तब खाद्य महंगाई दर 9.93 फीसदी, सब्जियों की महंगाई 22.29 फीसदी, अंडे, मीट और मछली की महंगाई 7.88 फीसदी और प्याज की महंगाई 24.76 फीसदी हो गई थी। वहीं, इस दौरान खुदरा महंगाई दर 7.41 प्रतिशत पर दर्ज हुई थी।
सितंबर 2022: इस महीने लोगों को महंगाई से हल्की राहत मिली थी। सितंबर में देश की थोक महंगाई दर 10.07 फीसदी पर रिकॉर्ड की थी, तब उसका यह 18 महीने का निचला स्तर था। इस दौरान खाने पीने के अलावा प्राइमरी आर्ट्रिकल के दामों में गिरावट आई थी। इस महीने अगर खुदरा महंगाई दर की बात करें तो यह 4.35 फीसदी दर्ज हुई थी। तब खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तगड़ी गिरावट आई थी।
अक्टूबर 2022: पूरे साल के महीनों में महंगाई से जुझने के बाद अक्टूबर महीने में लोगों को महंगाई दर में थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन उसके बाद भी यह केंद्रीय बैंक तय आंकड़ों के ऊपर बनी हुई थी। अक्टूबर में थोक महंगाई 8.39 प्रतिशत दर्ज हुई थी। जबकि खुदरा महंगाई दर घटकर 6.77 प्रतिशत हो गई थी। इस दौरान खाद्य चीजों की कीमतों में अच्छी गिरावट आई थी।
नवंबर 2022: जनवरी से लेकर अक्टूबर तक महंगाई देशवासियों को दो चार होने के बाद सबसे बड़ी राहत लोगों नवंबर महीने में मिली थी। इस दौरान फूड, फ्यूल और मैन्युफैक्चरिंग आइटम की कीमत में गिरावट आने से थोक महंगाई दर 5.85 फीसदी पर आ गई थी,जोकि 21 महीने का निचला स्तर था। अगर नवंबर में खुदरा महंगाई दर की बात करें तो यह 5.88 फीसदी रिकॉर्ड की गई थी,जोकि 11 महीने का निचला स्तर था। कुल मिलाकर लोगों को नवंबर महीनें में महंगाई से काफी राहत मिली थी। फिलहाल दिसंबर महीने के थोक व खुदरा महंगाई दर के आंकड़ें अभी नहीं आए हैं। हालांकि बाजार विशेषज्ञों को ऐसी उम्मीद है कि दिसंबर माह में थोक व खुदरा महंगाई दरों में और गिरावट आ सकती है।