Career In Music: संगीत की शिक्षा से सुंदर भविष्य

संगीत को पहले साधना माना जाता था लेकिन अब इसे करियर के रूप में अपनाया जाने लगा है। संगीत की महत्ता को आज के परिवेश में मात्र मनोरंजन का ही नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उज्जवल भविष्य के सफल साधन के रूप में भी स्वीकार किया जा चुका है।

Written By :  Sarojini Sriharsha
Update:2022-06-15 17:54 IST

Career in Music

Education in Music: हमारे देश को प्राचीन काल से ही संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान मिला है। वैसे भी मानव जीवन का संगीत के साथ बहुत गहरा रिश्ता है। आजकल तो चिकित्सकीय शोधों से यह बात सिद्ध हो गई है कि संगीत उपचार एक श्रेष्ठ जरिया है।

संगीत को पहले साधना माना जाता था लेकिन अब इसे करियर के रूप में अपनाया जाने लगा है। संगीत की महत्ता को आज के परिवेश में मात्र मनोरंजन का ही नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उज्जवल भविष्य के सफल साधन के रूप में भी स्वीकार किया जा चुका है। यह क्षेत्र करियर के संदर्भ में भी सहायक हो सकता है।

संगीत शिक्षा प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण संस्थानों का विवरण इस प्रकार है-

* भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय , लखनऊ

*प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद (यूपी)

* इंदिरा कला महाविद्यालय, नई दिल्ली

* शांति निकेतन, पश्चिम बंगाल

* संगीत महाविद्यालय, वडोदरा

* माधव संगीत विश्वविद्यालय, ग्वालियर(एमपी)

* गंधर्व संगीत महाविद्यालय, पुणे(महाराष्ट्र)

आज के युग में संगीत के क्षेत्र में करियर निर्माण के भी अनेक अवसर हैं। जिस व्यक्ति का संगीत की दुनिया से यदि गहरा जुड़ाव है तो उसके लिए यह विषय सिर्फ जीविकोपार्जन ही नहीं बल्कि शोहरत प्राप्ति का भी एक बढ़िया जरिया बन सकता है। आजकल रेडियो, टीवी चैनल और सिनेमा जगत में संगीत की धूम मची है।

आज पेन ड्राइव और कॉम्पैक्ट डिस्क की तकनीक में इजाफा होने के कारण संगीत काफी सस्ती दरों पर आम श्रोता तक पहुंचने लगा है।

संगीत आय और प्रसिद्धि का एक बढ़िया स्त्रोत बन गया है। कलाकारों की संगीत प्रतिभा का प्रयोग मंचों, कार्यक्रमों, सभा-समारोहों, टीवी, सिने कार्यक्रमों और विज्ञापनों में भी बदस्तूर होने लगा है।

पारंपरिक तरीके से कुछ लोगों का मानना है कि यह एक कुदरती देन है लेकिन आज यह बात भी प्रचलित है कि प्रशिक्षण के जरिए प्रतिभा को तराशा जरूर जा सकता है। कई संगीत महाविद्यालय भी चल रहे हैं जहां ' संगीत प्रभाकर और ' संगीत प्रवीण' की उपाधियां प्रदान की जाती हैं। ये डिग्रियां क्रमशः स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की होती है। संगीत प्रभाकर एवं संगीत प्रवीण के पाठ्यक्रम को पूरा करने में करीब 6 से 8 वर्ष लगते हैं। देश के अनेक लब्ध प्रतिष्ठित संस्थान ये डिग्रियां प्रदान करते हैं।

संगीत की दुनिया में जरा सी भी प्रतिभा रखने वालों को सर्वाधिक प्रोत्साहन मंच से मिलता है। इसके साथ ही सरकारी माध्यमों में आकाशवाणी की भी अहम भूमिका है।

रेडियो में समय समय पर सितार वादक, बांसुरी वादक, संगीतज्ञ, तानपुरा वादक, सारंगी वादक, वायलिन वादक, तबला वादक के पदों पर रिक्तियों को भरने से संबंधित विज्ञापन प्रकाशित होते रहते हैं।

इन कलाकारों को संगीत देने, वाद्ययंत्र बजाने वाले के रूप में ड्यूटी चार्ट के अनुसार काम करना होता है। साथ ही विशेष मौके पर संगीत के खास कार्यक्रमों का रिहर्सल व रिकॉर्डिंग रिहर्सल में मदद करना, संगीत कार्यक्रम को संतुलित करना, वाद्ययंत्रों की आवश्यकतानुसार देखरेख करना, संगीत रचनाओं के नोट्स और पठान सामग्री का अनुरक्षण और समय समय पर सौंपे गए कार्यों को पूरा करना शामिल है। रेडियो में अन्य अनिवार्य योगताओं के तहत कलाकार को शास्त्रीय संगीत के वांछित विद्यालय के कलाकारके रूप में मान्यता मिली हुई हो और म्यूजिक ऑपरेशन बोर्ड द्वारा कम से कम बी हाई ग्रेड दिया गया हो।

इसके अलावा अभ्यर्थी को शास्त्रीय संगीत में साउंड एंड सिस्टेमेटिक प्रशिक्षण प्राप्त किया हुआ हो। आकाशवाणी में संगीत रचनाकार (म्यूजिक कंपोजर) के रूप में समय समय पर भर्ती होती रहती है। इस प्रकार संगीत की शिक्षा आपके व्यक्तित्व में निखार ला सकती है एवं आपके उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

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