Chartered Accountant: आप भी बन सकते हैं चार्टर्ड एकाउंटेंट

Chartered Accountant: आज के इस औद्योगिक युग में भारत सरकार की उदारीकरण की नीति के अनुसार कई राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना कार्यक्षेत्र भारत में विस्तृत करती जा रही हैं।

Written By :  Sarojini Sriharsha
Update:2022-05-24 12:31 IST

Chartered Accountant: आज के इस औद्योगिक युग में भारत सरकार की उदारीकरण की नीति के अनुसार कई राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना कार्यक्षेत्र भारत में विस्तृत करती जा रही हैं। कंपनी अधिनियम 1956 की अधिनियम धारा 225 के अनुसार प्रत्येक कंपनी को साल में एक बार कानूनी रूप से अंकेक्षण अर्थात ऑडिट करना जरूरी होता है। इस तरह किसी कंपनी , उद्योग या व्यावसायिक संगठन को लेखा जोखा संबंधी कार्यों को निपटाने के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट की जरूरत होती है।

चार्टर्ड एकाउंटेंट(chartered accountant) या सी ए का कार्य किसी भी कंपनी अथवा उद्योग में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और इसी कारण वे महत्वपूर्ण प्रबंधकीय पदों पर आसीन होते हैं। सी ए का महत्व किसी भी चिकित्सकिए, उच्च स्तरीय प्रशासनिक सेवा आदि से कम नहीं होता।

इस प्रकार एक सी ए किसी कंपनी या औद्योगिक इकाइयों में लेखा अधिकारी, वित्तीय प्रबंधक या महाप्रबंधक के पद तक पहुंचा जा सकता है। इसमें सी ए को उच्च वेतनमान भी मिलता है। सी ए कोर्स करने के पश्चात प्राइवेट प्रैक्टिस भी की जा सकती है।

फाउंडेशन कोर्स की शुरुआत 

12वीं अथवा स्नातक कक्षा उत्तीर्ण छात्र सी ए प्रवेश के लिए प्रवेशिका परीक्षा ( फाउंडेशन कोर्स) उत्तीर्ण करनी आवश्यक होती है। उम्मीदवार की आयु 16वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। यह एक वर्षीय पाठ्यक्रम है। फाउंडेशन कोर्स की शुरुआत अप्रैल1992 से ही हुई है। जिन छात्रों ने स्नातक परीक्षा पास कर ली है किंतु 55% से कम अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें भी फाउंडेशन कोर्स करना अनिवार्य है। जिन छात्रों ने स्नातक स्तर पर गणित विषय का अध्ययन नही किया है उन्हे 60% अंक आने पर प्रवेश मिलता है।

अन्य विषयों में स्नातक परीक्षा 55% अंकों से उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। वे छात्र जिन्होंने वाणिज्य संकाय से बहीखाता (अकाउंटेंसी), अंकेक्षण (ऑडिटिंग), व्यापारिक नियम जैसे विषयों के साथ 50%अंक पाकर स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की है जो सीधे सी ए पाठ्यक्रम में प्रवेश पा सकते हैं।

फाउंडेशन परीक्षा एक वर्ष में दो बार अर्थात मई और नवंबर में होती है। फाउंडेशन की परीक्षा रजिस्ट्रेशन के एक वर्ष के बाद देनी होती है। फाउंडेशन कोर्स का माध्यम हिन्दी व अंग्रेजी दोनों है। फाउंडेशन कोर्स के विषय निम्न हैं- गणित एवं सांख्यिकी, व्यापारिक कानून, अर्थशास्त्र, लेखांकन के आधार भूत सिद्धांत।

इस पाठ्यक्रम के लिए अध्ययन सामग्री चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान के शिक्षा बोर्ड द्वारा तैयार की जाती है। इसे कंपल्सरी पोस्टल कोचिंग कहा जाता है। यदि छात्र चाहे तो कुछ निर्दिष्ट संस्थानों द्वारा अध्ययन कर सकते हैं।

एक वर्ष के बाद परीक्षा होने पर छात्र उसने सम्मिलित होकर परीक्षा पास करके सी ए में प्रवेश पाया जा सकता है। भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (लेखाकार) संस्थान का दिल्ली में केंद्रीय कार्यालय है। देश के अनेक राज्यों के छात्र क्षेत्रीय कार्यालयों में संपर्क कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार के छात्र निम्न पते पर संपर्क कर सकते हैं:

असिस्टेंट डायरेक्टर ऑफ स्टडीज, द इंस्टीट्यूट ऑफ अकाउंट्स ऑफ इंडिया, 16/77, सिविल लाइंस, कानपुर, उत्तर प्रदेश -208001

१२वीं के बाद फाउंडेशन कोर्स करके या स्नातक परीक्षा के बाद उम्मीदवार को किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट के साथ अपने को आर्टिकल्ड क्लर्क के रूप में तीन वर्ष के लिए पंजीकृत कराना पड़ता है। इस दौरान जिस चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान से छात्र या छात्रा सी ए कर रहा है, उस संस्थान से उसको स्टाइपेंड ( मानदेय धनराशि) भी दिया जाता है। वहीं पर उसको लेखा परीक्षा, लेखा शास्त्र, वित्तकर और कंपनी संबंधी मामलों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

इसी दौरान छात्र को भारतीय चार्टर्ड लेखाकार संस्थान में अपना पंजीकरण कराकर निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्ययन भी कराना होता है। इस कार्य प्रशिक्षण को आरंभ करने के 12 माह के बाद उम्मीदवार इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल हो सकता है। सी ए बनने के लिए मुख्यतः दो परीक्षाएं देनी होती है-

इंटरमीडिएट फाइनल

इन दोनों परीक्षाओं के दो दो ग्रुप होते हैं। इंटरमीडिएट परीक्षा के ग्रुप और विषय निम्न हैं:

ग्रुप -1 कॉस्ट अकाउंटिंग , अंकेक्षण, लेखांकन व आयकर कानून

ग्रुप-2 व्यापारिक गणित एवं सांख्यिकी, व्यवसाय कानून, कंपनी कानून व उद्योग कानून, अर्थतंत्र की व्यवस्था व संगठन।

फाइनल परीक्षा में वहीं उम्मीदवार शामिल हो सकता है जिसने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली हो। फाइनल परीक्षा के भी 2 ग्रुप होते हैं। जो इस प्रकार हैं। ग्रुप १: कंपनी कानून, प्रबंधकीय लेखांकन, एडवांस अकाउंटेंसी, अंकेक्षण अथवा वित्तीय विश्लेषण

ग्रुप 2: प्रत्यक्ष नियम विषय में निम्न विषयों के से एक ग्रुप का चयन करना पड़ता है। १.(१) कॉरपोरेट मैनेजमेंट (२) सचिवविय पद्धति

(३) प्रबंध अर्थशास्त्र एवं राष्ट्रीय लेखांकन

२: (१) लागत पद्धति एवं लागत नियंत्रण (२) अनुसंधान व सांख्यिकी विश्लेषण (३) पद्धति विश्लेषण व डाटा प्रोसेसिंग।

३:(१) प्रबंध कार्यकारी अंकेक्षण, (२) प्रबंध सूचना एवं नियंत्रण पद्धति (३) कर योजना एवं कर प्रबंध।

इन सभी परीक्षाओं में बैठने वाले विद्यार्थी को संस्थान प्रत्येक विषय के लिए अध्ययन सामग्री पत्राचार द्वारा भेजता है। फाइनल परीक्षा पास कर लेने पर उम्मीदवार को सी ए की डिग्री प्रदान की जाती है। इस डिग्री को प्राप्त कर लेने पर व्यक्ति भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान की सदस्यता के लिए आवेदन कर सकता है। संस्थान के सदस्यों की सूची में नाम शामिल हो जाने पर वह व्यक्ति संस्थान का एसोसिएट सदस्य बन जाता है।

जब कोई व्यक्ति सदस्य बनने के बाद 5 वर्ष तक स्वतंत्र व्यवसाय (प्राइवेट प्रैक्टिस) कर लेता है तब फेलोशिप के लिए भी आवेदन कर सकता है।यदि कोई सी ए भारत या विदेश में अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस करना चाहता है तो उसे संस्थान से सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस लेना पड़ता है तथा है वर्ष उसकी फीस संस्थान को देनी पड़ती है। संस्थान की अनुमति लिए बिना कोई भी सी ए कोई अन्य व्यापार या व्यवसाय नही कर सकता।

सी ए की डिग्री पाने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी कम्पनी में लेखाकार, व्यवसायिक सलाहकार के रूप में, लागत लेखा का कार्य, सीनियर सी ए इत्यादि के रूप में कार्य कर सकता है। सभी प्रकार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयकर केसों के कार्य का निपटारा सी ए ही करता है। किसी नए उद्योग के शेयर कैपिटल के बारे में सूचना एकत्रित करना, किसी व्यवसाय को पुनः स्थापित करना जैसे कार्य सी ए की देखरेख में ही होता है। अच्छे प्रतिष्ठानों में सी ए को बहुत ऊंचे वेतनमान पर रखा जाता है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सी ए के पाठ्यक्रम के पश्चात उम्मीद से अधिक रोजगार उपलब्ध हैं तथा आकर्षक करियर बनाया जा सकता है। इस सी ए के पाठ्यक्रम को पूरा करना अन्य पाठ्यक्रमों की तुलना में कठिन है परंतु यदि मन से परिश्रम की जाए तो इसमें सफलता प्राप्त कर सुनहरा भविष्य निर्माण किया जा सकता है। आज महिलाएं भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। यदि आप भी लगन से मेहनत कर इस पाठ्यक्रम को पूरा करते हैं तो आप भी एक सफल चार्टर्ड एकाउंटेंट (सी ए) बन सकते हैं।

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