Job Opportunities:ऑक्यूपेशनल थेरेपी में रोजगार के अवसर
Job Opportunities: ऑक्यूपेशनल थेरेपी के क्षेत्र में मांग काफ़ी है, लेकिन थेरेपिस्ट की संख्या कम है।
Job Opportunities: आज का युवा वर्ग चिकित्सा क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहता है तो वह ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट बनकर भी कैरियर बना सकता है। इस क्षेत्र में इज्जत और पैसा भी खूब है। हमारे देश में ऑक्यूपेशनल थेरेपी अर्थात व्यवसायिक चिकित्सा के क्षेत्र में मांग काफ़ी है लेकिन थेरेपिस्ट की संख्या बहुत कम है।
इस क्षेत्र में चिकित्सकों का मुख्य कार्य शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकलांगता से बचाव, परीक्षण, उपचार, कार्य क्षमता में वृद्धि इत्यादि है। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की डिग्री को बैचलर ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी अर्थात बी ओ टी कहा जाता है। बी ओ टी परीक्षा ऑक्यूपेशनल थिरेपिस्ट एसोसिएशन संचालित करता है। इसमें लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार होता है। इस पाठ्यक्रम की अवधि साढ़े चार वर्ष का होता है। इसमें प्रवेश के लिए शैक्षणिक अहर्ता होती है 12वी की परीक्षा अंग्रेजी, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान एवं गणित विषयों के साथ उत्तीर्ण। इस कोर्स को निम्नलिखित स्थानों से जानकारी प्राप्त कर शुरू किया जा सकता है:-
- * ऑक्यूपेशनल थेरेपी ट्रेनिग स्कूल, हुगली, कोलकाता
- *ऑक्यूपेशनल थेरेपी स्कूल, बी आई एल नायर हॉस्पिटल, मुंबई
- *ऑक्यूपेशनल थेरेपी ट्रेनिंग स्कूल एंड सेंटर, मेडिकल कॉलेज, परेल, मुंबई
- *ऑक्यूपेशनल थेरेपी स्कूल एंड सेंटर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल, नागपुर
- *शारीरिक विकलांग संस्थान, विष्णु दिगंबर मार्ग, नई दिल्ली-1
- *ऑक्यूपेशनल थेरेपी स्कूल, पटना मेडिकल कॉलेज, पटना
- *ऑक्यूपेशनल थेरेपी एजुकेशन क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, वेल्लोर, तमिलनाडु
ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट एसोसिएशन द्वारा रजिस्ट्रेशन, प्रमाण पत्र, फेलोशिप इत्यादि कार्यक्रम चलाए जाते हैं।देश के अन्य परीक्षा केंद्रों पर भी यह पाठ्यक्रम चलाया जाता है। इस पाठ्यक्रम की शुरुआत जून जुलाई में हो जाती है।
बी ओ टी और एम बी बी एस समकक्ष पाठ्यक्रम है। इस पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्टको वेतन व अन्य सुविधाएं बराबर ही मिलती है। प्रत्येक सरकारी एवं निजी नर्सिंग होम में ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट पदों के लिए बी ओ टी उत्तीर्ण विद्यार्थियों की नियुक्ति की जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट अस्पताल के सभी विभागों की जरूरत को पूरा कर देते हैं। सर्जरी, न्यूरोलॉजी, मानसिक रोग, प्लास्टिक सर्जरी, शिशु रोग, शिशु ऑर्थोपेडिक इत्यादि रोग के विशेषज्ञ के साथ ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की भी मदद ली जाती है।
एक तरह से हम कह सकते हैं की ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट किसी भी रोगी के खंडित जीवन को पुनः इस तरह लायक बना देते हैं की उसमें आशा का नया संचार हो और वह अपनी परेशानी या समस्याओं को दूर कर सके। विकलांगो के पुनर्वास एवं उपचार कार्य में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कृत्रिम अंग लगाने की चिकित्सकीय देखरेख का कार्य भी ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट के जिम्मे होता है।
आजकल विकलांगो के प्रति समाज का नजरिया बदल रहा है। स्वयंसेवी संगठन भी पोलियो उपचार इत्यादि कार्यक्रमों के फॉलोअप के लिए इनकी मदद लेते हैं। आज समाज में विकलांग व्यक्तियों को सहानभूति नहीं बल्कि समानता के आधार पर चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे वे अपना आत्मविश्वास बना सके और अपनी शारीरिक कमियों से छुटकारा पा सके।
समाज में विकलांगता दो स्तरों पर हो सकती है शारीरिक एवं मानसिक। मानसिक विकलांगता को मनोविज्ञान से कारणों को लेकर ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट उपचार अपने तरीके से करते हैं। यदि नशाखोरी आदि के कारण किसी को विकलांगता आ गई है तो ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट उसका नशामुक्ति केंद्र में उपचार करता है। उसके दुस्प्रभाओं को बताकर उसे दूर करने के लिए इलाज किया जाता है।
ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट विकलांगता का परीक्षण करके इसका प्रतिशत निर्धारित कर प्रमाण पत्र भी जारी करते हैं। इस प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में ऑक्यूपेशनल थेरेपी को अपना करियर क्षेत्र चुनकर युवा समाज सेवा कर सकता है।