इंटरनेट पर चुनाव प्रचार करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी
Atal Bihari Vajpayee News: 22 साल पहले सन् 1999 में इंटरनेट पर अपना चुनाव प्रचार करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी । उस समय तक फेसबुक, ट्विटर, व्हाटसएप जैसे सोशल मीडिया का नामों निशान तक नहीं था।
Atal Bihari Vajpayee News: चुनाव प्रचार में आज फ़ेसबुक-ट्विटर जैसे सोशल मीडिया (Social Media) का इस्तेमाल आम बात है। देश के दिग्गज राजनेताओं से लेकर आम कार्यकर्ता तक इंटरनेट पर इसका उपयोग करते हैं। लेकिन यह तथ्य कम लोगों को मालूम होगा कि आज से 22 साल पहले जब इंटरनेट (Internet) अपने शुरूआती दौर में था तब देश के लोकप्रिय राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री (Bharat Ke Pehle Pradhanmantri) थे, जिन्होंने लखनऊ (Lucknow) में अपने चुनाव प्रचार (Chunav Prachar) के लिए पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल किया था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) तब के संसदीय चुनाव में अकेले ऐसे उम्मीदवार थे जिनका प्रचार न केवल रीयल बल्कि इंटरनेट के वर्चुअल माध्यम से भी किया गया था। 27 जुलाई , 1999 को उनके चुनाव प्रचार (Online Election Campaign) पर केंद्रित एक वेबसाइट वोट फ़ॉर अटल डॉट कॉम (VoteForAtal.Com) का उद्घाटन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के भाजपा मुख्यालय (BJP Office) पर भाजपा नेता व फ़िल्म स्टार विनोद खन्ना (Vinod Khanna) ने किया था। संयोग से चुनाव प्रचार के लिए लखनऊ आए नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) भी तब उप्र भाजपा कार्यालय पर मौजूद थे।
मनीष खेमका ने किया था इस वेबसाइट कार निर्माण
करदाताओं के हितों व सरकार के राजस्व से संबंधित नीतिगत विषयों पर काम करने वाले लखनऊ के समाजसेवी व उद्यमी मनीष खेमका (Manish Khemka) ने 22 साल पहले इस वेबसाइट की कल्पना और निर्माण किया था। जिसे तब जबरदस्त मीडिया कवरेज (Media Coverage) और सराहना मिली थी। इनोवेटिव विचारों वाले खेमका वर्तमान में अनेक प्रतिष्ठित ग़ैर सरकारी संस्थाओं से जुड़े हैं। वे ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट (Global Taxpayers Trust) के संस्थापक, पीएचडी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के यूपी चैप्टर के को-चेयरमैन व 250 से ज़्यादा देशों में कार्यरत संस्था पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन चेंबर ऑफ़ कॉमर्स (People of Indian Origin Chamber of Commerce) के उप्र संयोजक भी हैं।
ग़ौरतलब है कि 115 वर्ष पहले स्थापित उद्योगपतियों की प्रतिनिधि संस्था पीएचडी चेंबर ने पिछले दिनों पीएम केयर्स फंड में 528 करोड़ रुपयों का योगदान किया था। उत्तर प्रदेश में कौशल विकास की शिक्षा का स्तर सुधारने के सरकारी प्रयासों में खेमका की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके लिए आईआईटी कानपुर के साथ उत्तर प्रदेश सरकार के इनोवेटिव एमओयू का प्रस्ताव भी खेमका ने दिया था। जिसका व्यापक लाभ न केवल आईटीआई के कर्मचारियों व विद्यार्थियों को मिल रहा है बल्कि सरकार की साख भी बढ़ी है। साथ ही उत्तर प्रदेश में निवेश हेतु इन्वेस्टर्स समिट, डिफेंस एक्सपो व प्रवासी भारतीय दिवस जैसे अनेक कार्यक्रम व कार्यों में भी खेमका का योगदान उल्लेखनीय है।
मोदी से वेबसाइट का उद्घाटन करवाना चाहते थे खेमका
राजनीति में इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग में अग्रणी रहे खेमका बताते हैं "जिस दिन इस वेबसाईट का उद्घाटन उप्र के भाजपा मुख्यालय पर प्रस्तावित था, संयोग से नरेंद्र मोदी भी उस वक़्त वहाँ मौजूद थे। उनके प्रशंसक के नाते मैंने अटल जी के चुनाव प्रभारी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पत्रिका राष्ट्रधर्म के तत्कालीन संपादक वीरेश्वर द्विवेदी से मोदी जी से इस वेबसाइट का उद्घाटन करवाने का अनुरोध किया था। कार्यक्रमों के सफल मैनेजमेंट में माहिर मोदी ने अपने अनुभव के अनुरूप तब अच्छे मीडिया कवरेज के लिए किसी चर्चित चेहरे या प्रदेश के किसी बड़े नेता से इसे क्लिक करवाने की सलाह दी।
फिर फ़िल्म स्टार विनोद खन्ना का नाम तय हुआ जो तुरंत ही वहां पहुंचे थे। मोदी जी की सलाह के मुताबिक़ अटल जी पर वेबसाइट लान्च की खबर समेत हम सब अगले दिन अख़बारों में छाए हुए थे। आज डिजिटल इंडिया (Digital India) की बात हो रही है। लेकिन तब इंटरनेट (Internet) का इस्तेमाल कम लोग करते थे। अटल जी की इस वेबसाइट को मेरी उम्मीद से भी ज़्यादा लोगों ने देखा और पसंद किया।" खेमका ने कहा "मोदी जी के अनुभव और सटीक मार्गदर्शन से किसी मौजूदा प्रधानमंत्री की पहली वेबसाइट का यह लॉन्च बेहद सफल साबित हुआ। मैं इसका माध्यम बना यह मेरे लिए गौरव का विषय है।"
इस सराहना और समर्थन से उत्साहित हो कर तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सिंचाई, उच्च शिक्षा और लोक निर्माण मंत्री ओम प्रकाश सिंह के लिए भी शिकायतों के समाधान के एक पोर्टल (Complain Redressal Portal) की कल्पना और निर्माण खेमका ने किया था। जिसका उद्घाटन 7 नवंबर, 2000 को ख़ुद सिंचाई मंत्री ने किया था। तब उप्र में किसी भी नेता की कोई वेबसाईट या इंटरनेट पर सक्रियता नहीं थी। इसके कारण देश की शीर्ष पत्र पत्रिकाओं ने ओम प्रकाश सिंह को "उप्र के सर्वप्रथम साइबर नेता" की उपाधि से नवाज़ा था। ग़ौरतलब है कि खेमका ने वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड (World Book Of Records) से भी अटल और मोदी से संबंधित इस उपलब्धि को दर्ज करने का अनुरोध किया है।
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