Corona Third Wave in India : फरवरी में पीक पर होगी तीसरी लहर, हर रोज 8 लाख मरीज संभव : IIT कानपुर के वैज्ञानिक का दावा
दुनिया में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच भारत में भी स्थिति अब चिंताजनक हो चुकी है। कोरोना की तीसरी लहर के दौरान हर रोज करीब 4 से 8 लाख तक नए मामले सामने आ सकते हैं।
Coronavirus Third Wave in India : दुनिया में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच भारत में भी स्थिति अब चिंताजनक हो चुकी है। कोरोना की तीसरी लहर के दौरान हर रोज करीब 4 से 8 लाख तक नए मामले सामने आ सकते हैं। यह दावा आईआईटी, कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने किया है। बता दें, कि मणीन्द्र गणितीय मॉडल के आधार पर आंकड़े निकालते हैं। उनका दावा है, कि इस दौरान मुंबई में हर रोज करीब 30 से 60 हजार तथा राजधानी दिल्ली में पीक के दौरान 35 से 70 हजार तक नए केस आएंगे।
आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने अध्ययन के आधार पर कहा है, कि मामले बढ़ने पर स्थानीय स्तर पर अस्पतालों में बेड की कमी भी संभव है। उनका दावा है, कि जब कोरोना के मामले पीक पर होंगे तब देश में संक्रमित होने वालों की तुलना में डेढ़ लाख बिस्तरों की आवश्यकता हो सकती है। इससे पहले प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा था, कि पीक के दौरान प्रतिदिन देश में दो लाख तक संक्रमण के नए मामले आएंगे।
दक्षिण अफ्रीका में आ रहे मामले को बनाया आधार
प्रो. मणींद्र अग्रवाल का कहना है, कि उन्होंने पहले दक्षिण अफ्रीका में आ रहे केस के आधार पर भारत में संक्रमण फैलने की रफ्तार का आकलन किया। और जब देश में संक्रमण फैलने की शुरुआत हुई, तो मॉडल में आंकड़े बदल गए। उनका कहना है, अब सामने आया है, कि देश में संक्रमण फैलने की रफ्तार दक्षिण अफ्रीका के मुकाबले कई गुना अधिक होगी। प्रो. अग्रवाल का कहना है, कि अब सभी को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
राजधानी दिल्ली और मुंबई में जनवरी में ही पीक संभव
प्रो. अग्रवाल के आंकलन की मानें तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और व्यापारिक राजधानी मुंबई में कोरोना संक्रमण का पीक जनवरी के तीसरे हफ्ते में आ सकता है। इस दौरान मुंबई से अधिक मामले दिल्ली में देखने को मिलेंगे। मुंबई में नए मामलों की तुलना में 10 हजार बेड, दिल्ली में भी केसों की तुलना में 12 हजार बेड की जरूरत पड़ सकती है।
पांच दिन में 22 प्रतिशत किशोरों को मिला सुरक्षा कवच
दूसरी तरफ, देश में शुक्रवार को टीकाकरण का आंकड़ा 150 करोड़ के पार पहुंच चुका है। इस बीच 15 से 18 वर्ष के किशोरों के लिए शुरू हुए टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 22 प्रतिशत से अधिक किशोरों को पहली खुराक दी जा चुकी है। इसके अलावा 91 फीसद से ज्यादा लोगों को पहला टीका दिया जा चुका है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इन आंकड़ों की घोषणा करते हुए कहा, कि सभी मिलकर प्रयास करें तो कोई भी लक्ष्य हासिल की जा सकती है।
66 फीसदी लोगों को दोनों खुराक दी गई
गौरतलब है, कि बीते साल 21 अक्टूबर को भारत ने 100 करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा पार किया था। इस उपलब्धि पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'जब सभी मिलकर प्रयास करते हैं तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।' स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में 91 प्रतिशत वयस्कों को टीके का कम से कम एक डोज लग चुका है। वहीं, 66 फीसदी लोगों को दोनों खुराक दी जा चुकी है।
महामारी का प्रकोप, आंकड़ों की जुबानी: --
- 3,52,26,386 कोरोना मरीज अबतक देशभर में मिल चुके हैं।
- 3,43,71,845 मरीज देश में अबतक स्वस्थ हो चुके हैं।
- 4,83,178 रोगी संक्रमण की चपेट में आ जान गवां चुके हैं।
- 15,13,377 सैंपल की जांच हुई है बीते 24 घंटे में।
- 68,68,19,128 से अधिक सैंपल की जांच अब तक हुई है।
वैक्सीन के बाद डॉक्टरी परामर्श पर ही लें पैरासिटामोल : एक्सपर्ट
वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है, कि कोरोनारोधी वैक्सीन लेने वाले बच्चों को पैरासिटामोल डॉक्टरों की सलाह पर ही लेनी चाहिए। यह सलाह ऐसी जानकारी सामने आने के बाद दी गई है, जिनमें कहा गया है कि कुछ केंद्र वैक्सीन लेने के बाद बच्चों को पैरासिटामोल 500 की तीन गोलियां लेने की सलाह दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है, कि हमें नहीं पता है, कि वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कैसे बदल देती है। इसके बाद हल्का बुखार और मांसपेशियों में दर्द, सुस्ती, सिरदर्द तथा इंजेक्शन लगने वाले स्थान पर सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वैक्सीन लेने के बाद ये लक्षण अमूमन दो दिनों तक रहते हैं। इनके लिए किसी दवा की जरूरत नहीं है। ये स्वयं ठीक हो जाते हैं।