भारत देगा चीन-पाक को मुंहतोड़ जवाब, नौसेना के बेड़े में शामिल होंगी अत्याधुनिक पनडुब्बियां
मेक इन इंडिया परियोजना पी-75 को मंजूरी दिए जाने के बाद अब देश में पनडुब्बियों के निर्माण के लिए प्रस्ताव का अनुरोध शीघ्र जारी किया जाएगा। पनडुब्बियां जमीन और हवा में मार करने वाली क्रूज मिसाइलों से लैस होंगी
नई दिल्ली। समुद्र में चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने अपनी नौसेना को और मजबूत बनाने का काम शुरू कर दिया है। दोनों देश समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हुए हैं और ऐसे में भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने का फैसला किया गया है। इस कड़ी में भारतीय नौसेना के बेड़े में छह अत्याधुनिक पनडुब्बियों को शामिल करने की तैयारी है।
सबसे खास बात यह है कि इन सभी पनडुब्बियों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। इससे जुड़ी परियोजना काफी दिनों से लंबित पड़ी हुई थी मगर अब रक्षा मंत्रालय ने 43 हजार करोड़ की इस बड़ी परियोजना को हरी झंडी दिखा दी है।
भारत के लिए अहम परियोजना
देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की ओर से लगातार कदम उठाया जा रहा है। इसी कड़ी में सरकार की ओर से यह बड़ा कदम उठाया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में इस बड़ी नौसैनिक परियोजना को मंजूरी दी गई। यह परियोजना भारत के लिए काफी अहम मानी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक मेक इन इंडिया परियोजना पी-75 को मंजूरी दिए जाने के बाद अब देश में इन छह पनडुब्बियों के निर्माण के लिए प्रस्ताव का अनुरोध शीघ्र जारी किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक निजी पोत निर्माण कंपनी एलएंडटी और मझगांव डॉक्स को यह प्रस्ताव जारी किया जाएगा। लंबी प्रक्रिया के बाद पी-75 परियोजना के लिए इन दोनों कंपनियों का चयन किया गया है।
अत्याधुनिक प्रणाली से लैस होंगी पनडुब्बियां
सूत्रों के मुताबिक ये छह नई पनडुब्बियां अत्याधुनिक प्रणाली से लैस रहेंगी। इनमें वायु स्वतंत्र प्रणोदक प्रणाली होगी जिनसे इन्हें गहरे पानी में लंबे समय तक टिके रहने, दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने और मारक क्षमता में बढ़ोतरी करने में मदद मिलेगी। भारतीय रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना की अलग-अलग टीमें पनडुब्बियों में विशेषताओं और अन्य जरूरी आवश्यकताओं से संबंधित प्रस्ताव तैयार करेंगी।
12 साल में पूरी होगी परियोजना
पी-75 परियोजना की रूपरेखा एनडीए सरकार ने मई 2017 में मेक इन इंडिया के तहत तैयार की थी। इसके तहत छह बड़ी पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है जो डीजल और बिजली आधारित होंगी। एक अनुमान के मुताबिक इस परियोजना के पूरे होने में 12 साल का समय लगेगा। प्रस्ताव का अनुरोध जारी होने के बाद चुनी गई दोनों कंपनियां तकनीकी एवं वित्तीय बोली लगाने के लिए चयनित पांच विदेशी पोर्ट कारखानों में से किसी एक के साथ करार करेंगी।
जानकारों के मुताबिक पहली पनडुब्बी मिलने में करीब 7 साल का समय लगेगा। रकम का भुगतान भी 10 से 12 साल के बीच किया जाएगा। इस परियोजना के तहत तैयार की जाने वाली पनडुब्बियां जमीन और हवा में मार करने वाली क्रूज मिसाइलों से लैस होगी। जानकारों के मुताबिक इन पनडुब्बियों की मदद से भारतीय नौसेना की ताकत में जबर्दस्त इजाफा होगा।
चीन व पाक ने बढ़ाईं गतिविधियां
दरअसल हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बियों और युद्धपोतों का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान भी चीन की मदद से डीजल से चलने वाली आठ पनडुब्बियां हासिल करने की कोशिश में जुटा हुआ है। एक जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में चीन के पास 350 से ज्यादा युद्धपोत हैं और इनमें 50 पारंपरिक और करीब 10 परमाणु पनडुब्बियां हैं।
चीन समुद्र में अपनी ताकत और बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है। उसकी योजना अपने युद्धपोतों की संख्या बढ़ाकर 420 तक करने की है। चीन और पाकिस्तान की इस रणनीति का जवाब देने के लिए भारत की ओर से भी तैयारी की जा रही है और मौजूदा परियोजना को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
भारतीय नौसेना की ताकत
भारतीय नौसेना दुनिया के सबसे शक्तिशाली दस नौसेनाओं में शामिल है। इसे दुनिया की सातवीं सबसे शक्तिशाली नौसेना माना जाता है। भारतीय नौसेना में करीब 70,000 सैनिक हैं जिनमें मरींस और नेवल एविएशन स्टाफ भी शामिल हैं। भारतीय नौसेना के पास लड़ाकू जलपोत, परमाणु पनडुब्बियों सहित दूसरी पनडुब्बियां, पहरा देने वाले जहाज, डिस्ट्रॉयर्स, पेट्रोल एंड कोस्टल जहाज, युद्धपोत, फ्रिगेट और युद्ध क्षमता से लैस एयरक्राफ्ट भी हैं। भारतीय नौसेना के पास लड़ाकू विमान ले जाने वाला युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य भी है।
भारतीय नौसेना अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए अपनी लंबी समुद्री सेना पर कड़ी निगाह रखती है। भारतीय नौसेना के पास अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त कई सबमरीन हैं जो दुश्मन की सेनाओं को चकमा देने में माहिर हैं। ये सबमरीन लेजर गाइडेड हथियारों के माध्यम से अपने लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम हैं। इन सभी के अतिरिक्त भारतीय नौसेना के पास ब्रह्मोस मिसाइल भी है जो समुद्र में पानी के नीचे चलने वाली सबसे तेज मिसाइल मानी जाती है।