भारतीय डॉक्टरों का 'चमत्कार': पहले ही एक बार ट्रांसप्लांट हुए लीवर को फिर किया इस्तेमाल, पढ़ें पूरा मामला
अब तक भारतीय डॉक्टरों द्वारा अनगिनत ऐसे मामले रहे हैं, जिनमें लीवर का ट्रांसप्लांट किया गया है। लेकिन यह पहली बार हुआ है, जब एक ट्रांसप्लांट लीवर को दोबारा किसी अन्य मरीज में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया।
First time transplant human Liver: मेडिकल साइंस में भारतीय डॉक्टरों के (Indian doctors) 'चमत्कार' के कई किस्से आए दिन हमें सुनने को मिलते हैं। इसी कड़ी में अब एक नई कहानी ट्रांसप्लांट (Liver Transplantation in India) से जुड़ी आई है। कहा जाता है कि देश में अब तक ऐसे सफल ट्रांसप्लांट की कोई कहानी पहले सुनने-देखने को नहीं मिली थी।
अब तक भारतीय डॉक्टरों द्वारा अनगिनत ऐसे मामले रहे हैं, जिनमें लीवर का ट्रांसप्लांट (Living-Donor Liver Transplantation) किया गया है। लेकिन यह पहली बार हुआ है, जब एक ट्रांसप्लांट लीवर (liver transplant case) को दोबारा किसी अन्य मरीज में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया। दुनिया भर में अब तक इस तरह ट्रांसप्लांट के बेहद कम मामले सुनने को मिले हैं। बता दें कि दोबारा ट्रांसप्लांट लीवर को दिल्ली (Delhi) के जिस 54 वर्षीय शख्स को लगाया गया है, उसकी हालत स्थिर है। हालांकि डॉक्टर उस पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
लीवर ट्रांसप्लांट क्या है मामला (Liver Transplantation Ka Mamla)
बीते 21 सितंबर को गुड़गांव की एक 44 साल की महिला की एक बड़े निजी अस्पताल में मौत हो गई थी। उसके मौत की वजह, इंट्राक्रेनियल हेमरेज यानी ब्रेन से खून का बहना बताया गया था। यह महिला लंबे समय से हाइपरटेंशन से पीड़ित थी। मौत के बाद परिवार के लोगों ने उसके लीवर, किडनी सहित शरीर के सभी अंगों को दान कर दिया, ताकि किसी दूसरे की जान बचाई जा सके। अगले ही दिन यानी 22 सितंबर को उसी अस्पताल में गुड़गांव के ही एक 53 वर्षीय शख्स को वह लीवर लगाया गया। एक हफ्ते बाद यानि 28 सितंबर को उस व्यक्ति को भी इंट्राक्रेनियल हेमरेज हो गया। 5 अक्टूबर को 53 वर्षीय शख्स की भी मौत हो गई। उसके परिवार वालों ने भी लीवर सहित प्रमुख अंगों को दान कर दिया।
लीवर के लिए रहती है लंबी वेटिंग लिस्ट (Liver Transplantation List)
देश में लीवर से जुड़ी समस्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पताल में ट्रांसप्लांटेशन (asptal me liver transplantation) के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट रहती है। लेकिन यह मामला दूसरे से बिलकुल अलग था। इस केस में पहले ही एक बार ट्रांसप्लांट हो चुके, इस लीवर को कोई लगवाना नहीं चाहता था। इसके बाद दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के मुताबिक, उसके यहां उसी ब्लड ग्रुप के 21 मरीज ट्रांसप्लांट के लिए लीवर के इंतजार में थे। लेकिन एक को छोड़ कोई भी इस लीवर के लिए तैयार नहीं हुआ।
नए मरीज को कोई दिक्कत नहीं
आखिरकार, 6 अक्टूबर को एक 54 साल के व्यक्ति को यही लीवर लगाया गया, जो पहले भी एक बार ट्रांसप्लांट (Liver Transplantation) हो चुका था। दरअसल, पहले ही एक बार ट्रांसप्लांट किए जा चुके ऑर्गन को फिर किसी और में ट्रांसप्लांट करने से उसके रिजेक्शन का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसलिए जिस मरीज को लीवर लगाया गया है, उसके लिए अगले कुछ दिन बेहद अहम रहने वाले हैं। इस मामले में सबसे पहले जिस शख्स का लीवर ट्रांसप्लांट हुआ उसकी भी डोनर की तरह ही दिमाग से खून बहने की वजह से मौत हुई थी। कहने का मतलब हैवकि अब तक यह लीवर जिन दो मरीजों के शरीर में लगाया गया था उनकी मौत की वजह एक जैसी ही थी। इसीलिए अब इस नए मरीज की निगरानी बहुत जरूरी है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अब तक मरीज को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई है। अगर यह मामला सफल रहता है तो देश में यह अपने तरह का बिलकुल नया मामला होगा, जो मेडिकल साइंस में नई राह खोलेगा।