FSSAI की सख्ती: असली दूध से बाहर हो गए सोया और बादाम मिल्क, अब लोगों को बेवकूफ नहीं बना पाएंगी कंपनियां

ई-कॉमर्स कंपनियों से भी इन उत्पादों को उनके दूध और डेयरी सेक्शन से हटाने के लिए कहा गया है। यानी, अब एमेजॉन इंडिया, फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट और ग्रोफर्स जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डेयरी कैटेगरी में बादाम और सोया दूध जैसे पेय पदार्थ नहीं मिलेंगे।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Ashiki
Update:2021-09-16 15:16 IST

Soy and Almond Milk: असली और 'नकली' दूध की लड़ाई में सोया मिल्क और बादाम मिल्क (Soy Milk and Almond Milk) हार गए हैं। अब भारत में कोई कम्पनी वनस्पति आधारित पेय पदार्थों को 'दूध' कह कर नहीं बेच सकेंगी।

भारत के खाद्य नियामक, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने वनस्पति आधारित पेय पदार्थों (बादाम का दूध, सोया मिल्क, अखरोट का दूध आदि) की कंपनियों को अपनी प्रचार सामग्री और लेबल से 'दूध' या 'मिल्क' शब्द हटाने को कहा है।

ई-कॉमर्स कंपनियों से भी इन उत्पादों को उनके दूध और डेयरी सेक्शन से हटाने के लिए कहा गया है। यानी, अब एमेजॉन इंडिया, फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट और ग्रोफर्स जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डेयरी कैटेगरी में बादाम और सोया दूध जैसे पेय पदार्थ नहीं मिलेंगे।

दरअसल, लंबे समय से भारत का डेयरी उद्योग इस बारे में एफएसएसएआई पर दबाव डाल रहा था। वैसे भी यह बहस सिर्फ भारत की न होकर दुनिया के कई देशों की है। यूरोप और अमेरिका में भी पशु और वनस्पति दूध के बीच ऐसी लड़ाइयां चली हैं। भारत में फिलहाल यह लड़ाई डेयरी उद्योग ने जीत ली है।


असली दूध क्या है?

हैंडबुक ऑफ फूड केमिस्ट्री के मुताबिक दूध में फैट, प्रोटीन, एंजाइम, विटामिन और शुगर होते हैं। यह स्तनधारी जीवों में उनके बच्चों के पोषण के लिए पैदा होता है। वहीं भारत के खाद्य नियामक एफएसएसएआई का मानना है कि 'दूध' स्वस्थ स्तनधारी जानवरों (दुधारू मवेशियों) को पूर्ण रूप से दुहने से निकलने वाला एक साधारण स्राव है।

दूध की परिभाषा चाहे अलग अलग हो लेकिन एक आम सहमति है कि दूध का स्तनधारी प्राणियों से सीधा जुड़ाव है। लेकिन पिछले एक दशक में कई सारे ऐसे उत्पाद 'दूध' या 'मिल्क' शब्द का उपयोग करते हुए बाजार में आ गए हैं, जिनका स्तनधारी जीवों से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे उत्पाद हैं - बादाम मिल्क, सोया मिल्क, वॉलनट मिल्क और ओट मिल्क आदि। अब आलू से भी दूध बनने लगा है।

वनस्पति दूध

वनस्पति दूध (Plant Based Dairy Products) दरअसल मेवों और अनाजों की प्रोसेसिंग के जरिए बनाए गए एक तरह के तरल पदार्थ होते हैं, जो दूध जैसे लगते हैं, यानी सफेद दिखते हैं। ये सभी पौधों पर आधारित पेय हैं। लेकिन लोग इन्हें गाय-भैंस के आम दूध के संभावित विकल्पों के तौर पर अपना रहे हैं। लोगों द्वारा ऐसे पेय पदार्थों की तरफ जाने से डेयरी उद्योग को अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि बाजार के कुछ हिस्से पर गैर पशु दूध काबिज होता जा रहा था।

ऐसे में नेशनल कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया और गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की ओर से भारत के खाद्य नियामक के पास इनकी शिकायत की गई थी। गुजरात मिल्क फेडरेशन ही देशभर में अमूल के उत्पादों का आपूर्तिकर्ता है। ये संस्थाएं पिछले साल से ही यह कदम उठाए जाने की मांग कर रही थीं। डेयरी उद्योग का आरोप था कि 'दूध' या 'मिल्क' शब्द के प्रयोग से ग्राहकों को गुमराह किया जा रहा है। उनका कहना था कंपनियां अपने प्रोडक्ट बेचें लेकिन उन्हें दूध न कहें।


पोषक तत्व

डेयरी उद्योग का दावा है कि वनस्पति आधारित ऐसे पेय पदार्थों में आम दूध जैसे पोषक तत्व नहीं होते और कंपनियां लोगों को गलत जानकारी देती हैं। वहीं, दूध जैसे उत्पाद बेचने वाली कंपनियां दावा करती हैं कि दूध का जानवरों से कोई लेना देना नहीं है, सालों से 'कोकोनट मिल्क' नाम का इस्तेमाल होता आ रहा है। आज भी इसे इसी नाम से जाना जाता है।

हालांकि ऐसे तर्कों का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। कुछ लोगों का कहना है कि दूध के विकल्प के तौर पर नए उत्पादों को अपना रहे लोगों को शायद ही नाम बदलने से कोई खास फर्क पड़े। हां, यह जरूर होगा कि अब इन पेय पदार्थों को ढूंढने में मुश्किल होगी क्योंकि यह वेबसाइट के डेयरी सेक्शन के बजाए पेय पदार्थों वाले सेक्शन में मिलेंगे। ऐसे में ब्रांड पर लोगों का विश्वास कमजोर होगा, जिसका इनकी बिक्री पर असर होगा।

भारत में उत्पादन की बात करें तो नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के अनुसार, 2018-19 में 187.7 मिलियन टन दूध उत्पादन हुआ और प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 394 ग्राम प्रतिदिन थी।

Tags:    

Similar News