पीएम की मीटिंग में सीएम मोदी भी नहीं हुए थे शामिल, सोशल मीडिया पर छिड़ी नई बहस

सोशल मीडिया पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की पहली बैठक में सीएम के तौर पर मोदी के ना शामिल होने का जिक्र किया जा रहा है।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-05-29 15:16 GMT

नरेंद्र मोदी- नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की चक्रवात नुकसान समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की खाली कुर्सी की फोटो सोशल मीडिया और टीवी मीडिया में चर्चा पा रही है। सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के प्रोटोकॉल को लेकर बहस छिड़ी हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) की पहले होने वाली बैठकों में मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के ना शामिल होने का जिक्र किया जा रहा है, तो दूसरी ओर लोग इस बात पर नाराजगी जता रहे हैं कि पहले झारखंड और अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की ओर से लगातार प्रधानमंत्री की गरिमा से खिलवाड़ किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात मुख्यमंत्री रहने के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बैठकों में शामिल नहीं होते रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ताजा मामला उछलने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी साझा की जा रही है। लोग बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री की मीटिंग में मुख्यमंत्री का शामिल नहीं होना कोई अनहोनी बात नहीं है। इस तरह की परंपरा पहले से हैं और गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए खुद नरेंद्र मोदी ने भी ऐसा किया है। तब उनकी यह हरकत भी समाचार की सुर्खी बनी थी। प्रधानमंत्री पद के साथ ही मुख्यमंत्री का पद भी अहम है। संघीय ढांचे में यह छूट पहले ही नरेंद्र मोदी ले चुके हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री की बैठक में मुख्यमंत्री के नहीं शामिल होने से प्रधानमंत्री पद की गरिमा नष्ट नहीं होती है।

पीएम पद की गरिमा को लेकर सोशल मीडिया पर हो रही तीखी बहस

प्रधानमंत्री पद की गरिमा को लेकर सोशल मीडिया में तीखी बहस हो रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शायद पब्लिक मूड को भांप चुकी हैं। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल की जनता के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पैर छूने के लिए भी तैयार हैं। इस पर लोगों की प्रतिक्रिया आनी बाकी है लेकिन ज्यादातर लोग इस बात से नाराज हैं कि प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शामिल होना उचित नहीं समझा। प्रधानमंत्री को आधा घंटा तक इंतजार कराया। इसके बाद आईं तो 15 मिनट में ही वापस चली गईं। प्रधानमंत्री को उनके बगैर ही अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करनी पड़ी।

मोदी और ममता बनर्जी (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

2013 में NIC की बैठक में शामिल नहीं हुए थे सीएम मोदी

सोशल मीडिया पर इंडिया टुडे की वह खबर साझा की जा रही है, जिसमें बताया गया है कि सितंबर 2013 में नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल (National Integration Council) की बैठक तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुलाई थी। इस मीटिंग में भाजपा शासित राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी शामिल नहीं हुए थे। सांप्रादायिक सद्भाव और दंगा नियंत्रण उपाय के बारे में बुलाई गई इस बैठक में दोनों मुख्यमंत्रियों के नहीं शामिल होने की खबर प्रमुखता से मीडिया में प्रकाशित हुई थी। इतना ही नहीं, इस बैठक में मोदी नहीं शामिल होंगे मीडिया में यह खबर भी प्रकाशित हुई थी। शनिवार को जब सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में ममता बनर्जी के उपस्थित नहीं रहने की फोटो व खबरें प्रकाशित हुईं, तो कई लोगों ने इसे प्रधानमंत्री की गरिमा के प्रतिकूल बताया। लोगों ने आरोप लगाया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं, जिससे प्रधानमंत्री पद की गरिमा को ठेस पहुंचे। इस पर गुजरात कांग्रेस के नेता भरत सोलंकी ने टिप्पणी की है कि यह जानकर अच्छा लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यास चक्रवात से हुए नुकसान की समीक्षा करने पहुंचे तो उन्होंने पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंद्र अधिकारी को भी मीटिंग में आमंत्रित किया लेकिन ऐसा ही उन्होंने तब नहीं किया जब गुजरात में चक्रवात नुकसान की समीक्षा करने पहुंचे थे। गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को उन्होंने क्यों नहीं बुलाया।

नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल-नरेंद्र मोदी (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

पीएम पद की गरिमा vs बंगाल

सोशल मीडिया पर यह बहस बेहद दिलचस्प हो चली है, भाजपा समर्थकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिस बैठक में ममता शामिल नहीं हुई हैं, वह बंगाल के लोगों को आर्थिक मदद देने के लिए बुलाई गई थी। दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बैठक में सभी राज्य के मुख्यमंत्रियों समेत 148 लोगों को बुलाया गया था। उस मीटिंग के महत्व को इससे नहीं जोड़ कर देखा जाना चाहिए। इस पर ममता समर्थकों ने कहा कि पहले तय कर लिया जाए कि यह मामला प्रधानमंत्री पद की गरिमा से संबंधित है या बंगाल के हित से। अगर प्रधानमंत्री पद की गरिमा का सवाल है तो गुजरात और छत्तीसगढ़ के भाजपाई मुख्यमंत्रियों ने पहले ही उदाहरण पेश कर रखा है। जहां तक पश्चिम बंगाल की जनता के हित का सवाल है, तो प्रधानमंत्री बताएं कि मुख्यमंत्री से वह कैसे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं। ममता दीदी ने कहा है कि वह अपनी जनता के हित के लिए प्रधानमंत्री का पैर छूने का तैयार हैं।

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