Delhi: यूपी चुनाव में करारी हार पर प्रियंका का मंथन, चुनाव प्रदर्शन की समीक्षा
कांग्रेस इस चुनाव में अकेले दम पर सभी 403 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारी थी और सिर्फ 2 उम्मीदवार ही जीत सके हैं।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश चुनाव में करारी हार के बाद अब यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी प्रदेश कांग्रेस नेताओं के साथ हार पर मंथन करने में जुट गई है आज नई दिल्ली में जीते दोनों विधायकों और प्रदेश के नेताओं के साथ प्रियंका गांधी ने वार रूम में बैठक की। इनमें जवाबदेही तय करने और कहां कमियां रही उस पर विस्तार से चर्चा की गई।
कहा जा रहा है कि इस बैठक के बाद यूपी कांग्रेस में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा क्योंकि हार के बाद कई पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा पार्टी आलाकमान को सौंप दिया है। इससे पहले कल दिल्ली पांच राज्यों में हुई करारी हार पर सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई थी। इसमें पांचो राज्यों के चुनाव नातीजों की सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने समीक्षा की थी।
पार्टी में बदलाव की मांग
बता दें कांग्रेस इस चुनाव में अकेले दम पर सभी 403 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारी थी और सिर्फ 2 उम्मीदवार ही जीत सके हैं। के अलावा कांग्रेस के 4 उम्मीदवार ऐसे थे जो दूसरे नंबर पर आए बाकी सब तीसरे और कितने की जमानत जप्त हो गई।
पांच राज्यों में चुनावी हार के बाद कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठने लगे हैं कपिल सिब्बल जैसे बड़े नेता पार्टी में बदलाव की मांग कर रहे हैं यह मांग कोई पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी लोकसभा चुनाव 2019 में जब कांग्रेस की हार हुई थी तो उनके वरिष्ठ नेताओं ने बगावत कर जम्मू-कश्मीर में एक बैठक की थी, जिसमें बदलाव की मांग की थी।
इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी उनसे नाराज हुए थे और उन्हें साइडलाइन कर दिया गया था। आपसी कलह की वजह से पंजाब जैसे राज्यों को भी गांव आने के बाद कांग्रेस में एक बार फिर से विरोध के स्वर उठने लगे हैं और बदलाव की मांग की गई है।
यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने भी कमान एक बार फिर से संभाल ली है और पार्टी नेताओं के साथ आज दिल्ली में हार की समीक्षा की। इसके बाद नेताओं की जवाबदेही तय करने की बात कही जा रही है।
माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में संगठन में बड़ा बदलाव होगा और प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी किसी दूसरे नेता को दी जा सकती है। क्योंकि दस मार्च को नतीजे आने के बाद लखनऊ, उन्नाव, बिजनौर, कांग्रेस के गढ़ रायबरेली जैसे जिलों में जिला अध्यक्षों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।