लखनऊ: यूपी में साइबर क्राइम की एफआईआर तुरंत दर्ज होगी। भले ही पीड़ित जिस थाने पर अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचे। उस थाने से घटनास्थल का नहीं हो। इसके बावजूद एफआईआर दर्ज करनी होगी। उसकी जानकारी तुरंत साइबर सेल को देनी होगी। डीजीपी ओपी सिंह ने सभी जोनल एडीजी, रेंज के आईजी/डीआईजी, एसपी को यह निर्देश दिए हैं।
दरअसल, रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) के मुताबिक 05 दिन के अन्दर अपराध घटित होने की सूचना मिलने पर बैंक धोखाधड़ी की राशि उपभोक्ता को वापस करेगा। पर ऐसा नहीं हो पाता क्योंकि साइबर अपराधों में इन्टरनेट का इस्तेमाल होता है। ऐसे में पीड़ित का तत्काल यह पता लगा पाना संभव नहीं होता कि उसके साथ किस स्थान पर अपराध हुआ है। जब वह अपने निवास स्थान से सम्बन्धित थाने पर अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचता है तो उसे उस थाने पर भेज दिया जाता है, जहाॅ साइबर अपराध से सम्बन्धित बैंक या वित्तीय संस्थान स्थित होते हैं। इन अपराधों की सीमा का निर्धारण न होने के कारण पीड़ित को इधर-उधर भटकना पड़ता है, ऐसे में कई दिन बीतने की वजह से पीड़ित का नुकसान हो जाता है।
डीजीपी ने दिए यह निर्देश
पीड़ित अपने निवास स्थान के थाने पर शिकायत लेकर जाय तो उसका पत्र प्राप्त कर रिसीविंग दी जाए। इसकी सूचना साइबर सेल को दी जाए।
यदि समस्या क्रेडिट/डेबिट कार्ड सम्बन्धी डाटा व पिन नं0 के लीक होने के कारण अपराध से सम्बन्धित हो तो पीड़ित को उन्हें लाॅक कराने में मदद करना ठीक होगा।
यदि ई-मेल पासवार्ड की हैकिंग या अन्य प्रकार से सूचना लीक हुई है तो ई-मेल एकाउन्ट को पुनः कार्यशील या ब्लाक करने के लिए तकनीकी परामर्श देना उचित होगा।
बैकों को डेबिट-फ्रीज करने के लिए साइबर सेल द्वारा मेल कर दिया जाए।
साइबर सेल की विवेचना से यदि पेमेंट गेटवे आदि से बैंक के डाटा का लीक होना पाया जाता है तो तो बैंक/पेमेंट गेटवे को पैसा वापस करने के लिए ई-मेल जरूर कर दिया जाए।
पीड़ित की सूचना के घटनास्थल का सम्बन्ध उस थाने से न होने के बावजूद भी प्रथम सूचना दर्ज की जाए। जिलों में अपर पुलिस अधीक्षक/पुलिस उपाधीक्षक(अपराध) साइबर सेल के कामों की मासिक समीक्षा करें।