ग्रेटर नोएडा से दो आतंकी गिरफ्तार, एसटीएफ व एटीएस ने की कार्रवाई

Update: 2018-07-24 17:01 GMT

ग्रेटर नोएडा : बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियों की आंख में धूल झोंककर गैरकानूनी तरीके से सीमा पार कर पहले पश्चिम बंगाल और फिर नोएडा पहुंचे दो आतंकियों को कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने यूपी एटीएस के साथ मिलकर दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान मुशर्रफ हुसैन उर्फ मूसा उर्फ रिजवान करीम और रूबेल‌ अहमद उर्फ मनीरउल इस्लाम के रूप में हुई है। ये दोनों बांग्लादेश के थाना हरिपुर स्थित टेंगरिया गांव के रहने वाले हैं।

मंगलवार को प्राथमिक पूछताछ में दोनों ने इस बात का खुलासा किया है कि ये जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के सक्रिय आतंकी है और बांग्लादेश के अलावा पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों में रहकर युवाओं को आतंकवाद से जोड़ने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। बांग्लादेश के कुछ आतंकी वारदातों में शामिल होने के कारण वहां की सुरक्षा एजेंसिया इनकी तलाश में जुटी थीं, जिससे बचने के लिए दोनों गैरकानूनी तरीके से सीमा पार कर बंगाल पहुंच गए थे। यहां कोलकाता के विभिन्न इलाकों रहकर युवाओं को आतंकवाद से जोड़ रहे थे। कोलकाता पुलिस की एसटीएफ की टीम ने धरपकड़ तेज की तो बचने के लिए नोएडा आ गए। यहां मंगलवार को यूपी एटीएस के साथ मिलकर ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर से धर दबोचा।

नोएडा ही क्यो बन रहा आंतकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों का सुरक्षित स्थान

बंगाल के रास्ते नोएडा पहुंचे दो संदिग्धों को बंगाल पुलिस व एसटीएफ की मदद से ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया गया। इससे पहले माओवादी कमांडर व नक्सलियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जाहिर है आंतकी गतिविधियों में लिप्त लोगों के लिए नोएडा एक सुरक्षित स्थान बनता जा रहा है। पकड़े गए दोनों संदिग्ध नोएडा में रहने आए थे या फिर इनको कहीं ओर का टारगेट दिया गया था। इसका इनपुट एकत्रित किया जा रहा है। इससे पहले 27 मार्च को नोएडा में सुधीर नाम के एक माओवादी को सेक्टर-05 से गिरफ्तार किया गया था। सुधीर ने नोएडा को सेफ प्वाइंट बना रखा था। यहा 2012 में इसने गाजियाबाद के एक कॉलेज में बीटेक में दाखिला लिया। यहा वह नकली आईडी के जरिए वि•िान्न कंस्ट्रक्शन साइटो पर लेबर का काम करता था। यहा जीजा व बहन के यहा रहता था। वारदात को अंजाम देने से पहले ही नोएडा पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले 2015 में हिंडन विहार में छह नक्सली की गिरफ्तारी के मामले में एलआईयू एटीएस को इनपुट नहीं दे पाई थी। फिलहाल इस घटना ने शहर की पुलिस के कान व आंख दोनों को खोल दिया है। वह अब इस पूरे नेक्सेस को खोजने में जुट गई है। ताकि शहर में आतंकी गतिविधियों में शामिल पूरे नेटवर्क को खंगाला जा सके।

2015 के बाद चलाया गया सत्यापन अभियान

2015 में एटीएस ने हिंडन विहार से 6 नक्सलियों को नक्सली कमांडर प्रदीप सिंह खरवार पुत्र उपेंद्र सिंह खरवार के साथ गिरफ्तार किया था। प्रदीप सिंह खरवार नोएडा में 2012 से ही छिप कर रह रहा था। उस पर पुलिस ने 5 लाख रुपए का इनाम रखा था। वह बिहार के मोस्ट वांटेड नक्सलियों में से एक था। जिसके बाद से पुलिस ने सत्यापन अभियान चलाया था। यही नहीं आरडब्ल्यूए द्वारा भी सत्यापन अभियान लाया गया। लेकिन बीच में ही रफ्तार धीमी पड़ गई। यही वजह है कि यहा ऊचे दामों पर यह लोग आसानी से रहने आ जाते है। यही नहीं किसी को इनके मंसूबों की कानों कान खबर तक नहीं होती।

झुग्गी झोपड़ी बन रही पनाहगाह

ऐसे अपराधियों की पनाहगाह शहर में बनी झुग्गी झोपड़ी है। दिल्ली से सटे होने के चलते यह बेहद संवेदनशील है। नोएडा दिल्ली को 18 अलग-अलग प्वाइंट पर जोड़ता है। इनके आसपास कई स्थानों पर झुग्गियां बनी है। जिनके आधार कॉर्ड से लेकर वोटर आईडी तक है। लेकिन यहा अधिकांश रहने वाले लोग रिफ्यूजी या बंगलादेशी है। जिन पर एलआईयू की नजर रहती है। आकड़ों के मुताबिक शहर में करीब 10 हजार बंग्लादेशी रह रहे है। जिन्होंने यहा की आईडी बनवा रखी है। हालांकि एलआईयू व खुफिया विभाग की नजर हमेशा इन पर रहती है। बावजूद इसके नोएडा इन लोगों के लिए सुरक्षित स्थान बना हुआ है।

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