ड्राइवर ने लूटे सैमसंग के 67 लाख के मोबाइल, पुलिस को भटकाने के लिए अपनाई ये ट्रिक

Update: 2018-09-02 14:59 GMT

नोएडा: कोतवाली फेज 2 पुलिस ने सैमसंग कंपनी के करीब 67 लाख रुपए के मोबाइल फोन लूट का खुलासा किया है। पुलिस ने इस मामले में ट्रांसपोर्ट कंपनी के ड्राइवर समेत 4 बदमाशों को गिरफ्तार किया है। मोबाइल लूट की पूरी साजिश ट्रांसपोर्ट के पूर्व ड्राइवर ने रची थी। मुख्य आरोपित परमा पुलिस की गिरफ्त से बाहर चल रहा है।

एसपी सिटी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस ने शनिवार देर रात अलीगढ में छापा मारकर ड्राइवर सूरज उर्फ श्यामू, योगेंद्र, मोहन और शिव कुमार को गिरफ्तार कर लिया। उनकी निशानदेही पर अलीगढ के गोरई गांव में किराए पर लिए गए कमरे से लूटे हुए करीब 60 लाख रुपए के 217 मोबाइल फोन- असेसरीज बरामद कर लिए गए। इस मामले में मुख्य अभियुक्त परमा, उसका भाई पप्पी और रणबीर फरार हैं।

पूरा ट्रक ही हो गया गायब

एसएचओ राजपाल तोमर ने बताया कि ग्रेटर नोएडा के ईकोटेक टू में सैमसंग कंपनी की मोबाइल यूनिट है। यहां से मोबाइल पूरी तरह तैयार होकर फेज 2 के सेक्टर 86 यूनिट में रखे जाते हैं। कंपनी ने मोबाइल ट्रांसपोर्ट का काम मदनपुर खादर दिल्ली की न्यू राजधानी ट्रांसपोर्ट कंपनी को दे रखा है। ट्रांसपोर्ट कंपनी का ड्राइवर श्यामू 18 अगस्त को करीब 67 लाख रुपए के मोबाइल- असेसरीज लेकर सैमसंग से निकला और फिर गायब हो गया। उसका कैंटर सेक्टर 88 के सुनसान एरिया में खड़ा पाया गया। कैंटर में कुछ असेसरीज भी पड़ी थी लेकिन उसमें रखे सभी 385 मोबाइल फोन गायब थे। इसके बाद ट्रांसपोर्ट के मालिक ने कोतवाली फेज 2 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

आधार और डीएल मिले फर्जी, कॉल रिकार्ड से मिला क्लू

एसएचओ राजपाल सिंह तोमर की टीम श्यामू के आधार नंबर और डीएल नंबर पर लिखे पते फर्जी थे। उसकी ओर से कंपनी में दिए गए दोनों मोबाइल नंबर भी बंद पाए गए। इसके बाद पुलिस ने मोबाइल के कॉल रिकार्डों की जांच करके हरेक नंबर पर बात करनी शुरू की। इनमें से एक नंबर श्यामू के अलीगढ में रहने वाले दोस्त का मिल गया। टीम वहां पहुंची और फोटो दिखाया तो उसने श्यामू की पहचान कर ली। श्यामू की पहचान होने के बाद सर्विलांस के आधार पर उसके करीबी दोस्तों को उठा लिया गया।

पूर्व ड्राइवर ने रची थी साजिश

पुलिस पूछताछ में पता चला कि सारी साजिश ट्रांसपोर्ट के पूर्व पूर्व ड्राइवर परमा उर्फ परमजीत निवासी अलीगढ़ ने रची थी। उसने अपने दोस्त मोहन को भी योजना में शामिल करते हुए कंपनी से नौकरी छोड़ दी। इसके बाद अपने दोस्त सूरज के फर्जी आधार व डीएल बनवाकर श्यामू के नाम से अगस्त में कंपनी में नौकरी लगवा दी गई। 17 अगस्त को सूरज उर्फ श्यामू को पता चला कि उसे सैमसंग कंपनी का बड़ा ऑर्डर डिलीवर करना है। यह जानकारी मिलने के बाद परमा, भाई पप्पी, दोस्त रणबीर, योगेंद्र, मोहन और शिव कुमार ऑल्टो कार व पल्सर बाइक लेकर सेक्टर 88 पहुंचे। उसके बाद कैंटर में से मोबाइल फोन- असेसरीज उतारकर सभी लोग सूरज के साथ अलीगढ़ भाग गए।

भटकाने के लिए कई घरों में डाले मोबाइल

अलीगढ़ के गणेशपुर गांव में पहुंचने के बाद सातों लोगों ने आपस में 33 मोबाइल फोन बांट लिए। पुलिस को भटकाने के लिए आरोपितों ने एक-एक मोबाइल फोन सेट सोनीपत, बलिया और बुंदेलखंड में लोगों के घरों के आगे रख दिए। लोगों ने पैक उठाकर उसमें सिम डालकर यूज करना शुरू किया तो नोएडा पुलिस उन्हें जांच के लिए उठा लाई। बाद में जांच में पता चला कि जानबूझकर उन लोगों को फंसाने के लिए उनके घरों के आगे मोबाइलों के सेट डाले गए थे। इसके बाद उनके नाम केस से निकाल दिए गए। इसके बाद पुलिस ने असली आरोपितों को पकड़ा।

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