गजब! लता जी का ये राज जानते हैं क्या आप
स्वर साम्राज्ञी, सुरों की मलिका लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है। वह 90 साल की हो गईं। लेकिन वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। हमारी ये कामना है कि वह शतायु हों और इसी तरह एक्टिव रहें। लताजी ने पूरी जिंदगी एक साधिका, एक तपस्विनी या किसी अवतार की तरह वह अपने कुल की रक्षक और तारिणी बनीं।
पंडित रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ : स्वर साम्राज्ञी, सुरों की मलिका लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है। वह 90 साल की हो गईं। लेकिन वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। हमारी ये कामना है कि वह शतायु हों और इसी तरह एक्टिव रहें। लताजी ने पूरी जिंदगी एक साधिका, एक तपस्विनी या किसी अवतार की तरह वह अपने कुल की रक्षक और तारिणी बनीं। हम सबने उनके बारे में तमाम बातें सुनी हैं। उनके गाने घर घर में गाए जाते हैं आज इस देश में कोई ऐसा शख्स नहीं होगा जिसने कभी न कभी लताजी के गाए गीत न गुनगुनाए हों।
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मिल चुके हैं तमाम सम्मान
लाखों लोगों ने उनके ऊपर लिखा है। उन्हें तमाम सम्मान मिल चुके हैं। जिसमें सबसे अहम दादा साहेब फाल्के अवार्ड है लेकिन एक पुरस्कार की अभी कभी है। यह सम्मान अब उन्हें मिल ही जाना चाहिए वास्तव में वह इसकी सच्ची हकदार भी हैं आप समझ गए होंगे वह है भारत रत्न।
आज हम उनके गानों की बात नहीं करेंगे। इस पर हजारों लेख आपने पढ़े होंगे। न ये बताएंगे इंडस्ट्री में उनकी क्या भूमिका रही। हम आज उनके जीवन का एक अनछुआ पहलू बताएंगे।
और वह है मातृत्व का किरदार। एक 13 साल की बच्ची अपने रोते बिलखते भाई बहनों को देखकर माता पिता दोनो के किरदार में आ गई और वक्त गुजरता गया लेकिन आज तक वह उस किरदार से बाहर नहीं आईं न ही उन्होंने उससे बाहर निकलने की कभी कोशिश की।
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लताजी की आत्मा में गायन का वास
आप को जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी लताजी अपने ट्वीट खुद करती हैं। सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहती हैं। सार्वजनिक जीवन में गायन से किनारा कर चुकी लताजी की आत्मा में आज भी गायन का वास है। वह पूरे दिन गाती हैं। हालांकि अब वह पहले की तरह तानपुरा लेकर रियाज नहीं करतीं।
एक और राज की बात इतनी उम्र होने के बावजूद वह आज भी खुद खाना बनाती हैं। और सब बच्चों को खिलाती हैं. खास बात यह है कि जिस बच्चे को जो पसंद है या जिसका जो खाने का मन है वही बनाकर देती हैं। लता जी आज भी अपने भाई बहनों और बच्चों को वैसे ही संभालती हैं जैसा 13 साल की उम्र में शुरू किया था।
किसी को कोई तकलीफ हो तो जैसे बच्चा मां के पास जाता है सब लताजी के पास ही जाते हैं। उनके पास सबका इलाज है। कह सकते हैं कि मां-बाबा गए तो उनकी जगह दीदी ने ले ली, वही मां हैं वही बाबा भी। कोई गलती करता है तो उन्हें गुस्सा भी आता है लेकिन वह गुस्सा प्रकट न करके इस गुस्से को खुद के ऊपर निकालती हैं कभी कोई नहीं डांट डपट नहीं।
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