कानपुर : फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली को अपनी विवादित फिल्म पद्मावती पर बड़ा छात्र समर्थन हासिल हो सकता है। उत्तर प्रदेश के तकनीकी विश्वविद्यालय एचबीटीयू में आज छात्र संसद का आयोजन हुआ जिसमें पद्मावती के पक्ष और विपक्ष में तगड़ी बहस हुई लेकिन प्रस्ताव फिल्म रिलीज करने के समर्थन में जारी हुआ। वैसे तो छात्र संसद अस्तित्वहीन है लेकिन इससे एक बात साफ हुई कि यूपी के युवाओं का एक वर्ग फिल्म पर बैन लगाने के खिलाफ है।
ये भी देखें :पद्मावती विवाद : भगवाधारी कर रहे ममता को सूपर्णखा बनाने की तैयारी
इतिहास गवाह है कि युवा वर्ग ने हमेशा अपनी आवाज बुलंद की है। अब बात फिल्म पद्मावती पर मचे बवाल की हो तो युवा कैसे खामोशी अख्तियार कर सकता है। बस ऐसी ही हलचल कानपुर स्थित हरकोर्ट बटलर तकनीकी यूनीवर्सिटी में सुनाई पड़ी। आज यूनीवसिर्टी कैम्पस में यूथ पार्लियामेंट का सत्र बुलाया गया। जिसका विषय था कि क्या पद्मावती पर बैन लगाना उचित होगा।
ये भी देखें :एमपी में ‘पद्मावती’ पर बैन को लेकर CM शिवराज को नोटिस
आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने राजनेताओं की तरह बहस की और तर्कपूर्ण विचार रखे। छात्रों ने अपना मत रखा कि जब भंसाली पत्रकारों के एक समूह के समक्ष फिल्म की स्क्रीनिंग कर सकते थे। तो करणी सेना को फिल्म क्यों नहीं दिखा सकते थे। बैन समर्थक छात्र वरून ने कई इतिहास से जुडी मिसालें पेश करते हुए अपना पक्ष रखा
ये भी देखें : ‘पद्मावती’ विवाद : नायडू ने कहा, शारीरिक धमकियां स्वीकार नहीं
फिल्म पर बैन लगाने का समर्थन कर रहे छात्रों को अपने ही साथी छात्रों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा उनका कहना था कि पहले भी देश में इतिहास पर आधारित फिल्में बनी हैं, जिनमें मनोरंजन या गति देने के लिये काल्पनिक चित्रण किये गये हैं तो पद्मावती के विरोध के पीछे की साजिश को समझना होगा।
आदर्श ने कहा इस देश में एक संत के सपने पर सोना हासिल करने के लिये जमीन की खुदाई हो सकती है। निर्भया कांड के आरोपी को नाबालिग बताकर रिहा किया जा सकता है। लेकिन एक फिल्म के नाम पर राजपूताना खून खौल रहा है। हम अपने देश के नाम का विदेशों में मजाक उड़वा रहे हैं।
स्टूडेंट भंवरजीत सिंह ने कहा कि जिस तरह से संजय लीला भंसाली ने रानी पद्मावती के किरदार को गलत तरीके से रूपहले पर्दे पर उतारा है वो सरासर गलत है। अगर फिल्म को रिलीज कर दिया तो फिल्मकार पैसा कमाने के चक्कर में मां सीता के किरदार को तोड़मड़ोर कर पेश करेंगे।
बैन के पक्ष और विपक्ष में दर्जनों छात्रों के विचार सामने आने के बाद पीठासीन अधिकारी सौम्या सक्सेना ज्यूरी मेंबर यूथ पार्लियामेंट ने पद्मावती पर चल रहे विवाद का सारा दोष राजनेताओं के माथे पर मढ़ा और कहा कि देश का इतिहास फिर से लिखे जाने की जरूरत है क्योंकि मंदिर- मस्जिद, ताजमहल के इतिहास को लेकर देश खून-खराबे का दौर देख चुका है। ऐसे में इतिहास के तमाम तथ्य सामने लाने के लिये मोदी सरकार द्वारा कदम उठाये जाने का वक्त आ गया है।
एचबीटीयू की यूथ पार्लियामेंट की आवाज आज भले ही कैम्पस के अन्दर गॅूजी हो। लेकिन जिस दिन ये बाहर तक गूंजेगी उस दिन सरकारें समझ जाएंगी कि देश के युवा को बरगलाया नहीं जा सकता। चाहे मुद्दा इतिहास का हो या विकास का। उन्हें सही और पूरा जवाब देकर ही सन्तुष्ट किया जा सकेगा।