बॉलीवुड के नेचुरल एक्टर: काजोल की नानी से था रिश्ता, नूतन के साथ किया है काम

हिंदी सिनेमा के पहले नेचुरल एक्टर मोतीलाल राजवंश ने बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल की नानी, नूतन और तनुजा की मां शोभना समर्थ के साथ रिलेशनशिप में थे। 

Update:2020-12-04 17:15 IST

लखनऊ: आज हिंदी सिनेमा के पहले पहले नेचुरल एक्टर मोतीलाल राजवंश (Motilal Rajvansh) की 110वीं जयंती है। हिंदी सिनेमा में ऐसे कुछ ही एक्टर हुए हैं, जिन्होंने नेचुरल एक्टिंग के जरिए कामयाबी हासिल की है। उनमें से एक थे मोतीलाल राजवंश। इन्हें हिंदी सिनेमा के पहले सहज अभिनेता होने का श्रेय भी दिया जाता है। राजवंश फिल्म देवदास और परख के लिए फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर (Filmfare Best Supporting Actor) अवॉर्ड से भी नवाजे जा चुके हैं।

शोभना समर्थ के साथ था रिश्ता

मोतीलाल राजवंश अपने पर्सनल लाइफ को लेकर काफी सुर्खियों में रहते थे। शोभना समर्थ (Shobhna Samarth) के साथ उनके रिलेशनशिप की कहानी लगभग सभी के जुबां पर रहती थी। बता दें कि शोभना समर्थ बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल की नानी, नूतन और तनुजा की मां थीं। पहले मोतीलाल एक्ट्रेस नादिरा के साथ कई सालों तक रिश्ते में थे। लेकिन जब शोभना समर्थ अपने पति से अलग हो गईं तो वो उसके साथ रिलेशनशिप में आ गए थे।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

नूतन के पिता का निभाया था रोल

पति से अलग होने के बाद शोभना समर्थ भावनात्मक तौर पर मोतीलाल के करीब आ गई थीं, क्योंकि वह मोतीलाल में अपने दिवंगत पिता प्रभाकर शिलोत्री की झलक देखती थीं। दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता था। जैसा की आज के टाइम में लिव इन रिलेशनशिप होता है। हालांकि दोनों ने कभी अपने रिश्ते को नाम नहीं दिया। दोनों का रिलेशन एक बेनाम रिश्ता था। वहीं जब शोभना समर्थ ने नूतन को फिल्मों में उतारा तो मोतीलाल ने उनकी पहली फिल्म में उनके पिता की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म का नाम है हमारी बेटी।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

नौसेना में शामिल होने के लिए आए थे मुंबई

मोतीलाल का जन्म शिमला में चार दिसबंर, 1910 को एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे थे। बता दें कि राजवंश ने वैसे तो नौसेना में शामिल होने के लिए मुंबई का रूख किया था, लेकिन बीमार होने की वजह से वो पेपर नहीं दे पाए। बाद में किस्मत ने उन्हें सिनेमा तक पहुंचा दिया। 24 साल की उम्र में सागर फिल्म कंपनी में शहर का जादू फिल्म के लिए हीरो का रोल पेश किया गया था।

उन्होंने फिल्म छोटी-छोटी बातें का भी निर्देशन किया था, लेकिन इसके रिलीज होने से पहली ही उनका निधन हो गया। 13 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में, इसने थर्ड बेस्ट फीचर फिल्म के लिए सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट के लिए अवार्ड जीता। उन्होंने मरणोपरांत बेस्ट स्टोरी राइटर का मेरिट सर्टिफिकेट भी जीता।

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