Saira Banu: जिसने प्यार किया बेमिसाल, प्यार को जिया बेमिसाल

Saira Banu: सायरा बानो का जन्म उत्तर प्रदेश के मंसूरी में 23 अगस्त 1944 को हुआ था। जो अब उत्तराखंड का एक हिस्सा है। सायरा बानो एक नामचीन फिल्म अभिनेत्री रही हैं जिन्होंने बॉलीवुड को जिया है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Monika
Update: 2021-08-23 04:02 GMT

दिलीप कुमार- सायरा बानो (फोटो : सोशल मीडिया )

Saira Banu Birthday: कहते हैं प्यार उम्र और जांत पांत नहीं देखता। इसकी जीती जागती मिसाल सायरा बानो हैं। जिन्होंने बचपन से किशोरावस्था के सफर में अपने सपनों के राजकुमार का एक सपना संजोया, जवानी की दहलीज तक उस सपने को जिया और फिर हकीकत में बदला। उम्र में 22 साल बड़े दिलीप कुमार (Dilip Kumar) थे उनके सपनों के राजकुमार। किस्मत का साथ मिला दोनों का प्रेम परवान चढ़ा। दोनों के प्यार को शादी की मंजिल मिली। और इतना ही नहीं दिलीप कुमार और सायरा बानो की फिल्मों की तरह उनकी जोड़ी (Dilip Kumar Saira Banu superhit jodi) भी सुपरहिट साबित हुई।

सायरा बानो का जन्म (Saira Banu Birthday) उत्तर प्रदेश के मंसूरी में 23 अगस्त 1944 को हुआ था। जो अब उत्तराखंड (Uttrakhand) का एक हिस्सा है। सायरा बानो एक नामचीन फिल्म अभिनेत्री रही हैं जिन्होंने बॉलीवुड को जिया है। वह भारतीय फिल्म इतिहास की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक हैं।

बानो 1963 से 1969 तक हिंदी सिनेमा में तीसरी सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री (Saira Banu highest paid actress) और 1971 से 1976 तक चौथी सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री रहीं।

सायरा बानो (फोटो : सोशल मीडिया ) 

सायरा बानो का वरियर (Saira Banu career)

1960 में सायरा बानो महज 16 साल की थीं, जब उन्होंने हिंदी फिल्मों में अपने सफर की शुरुआत की। उनके पास अभिनय की बुनियादी प्रतिभा और नृत्य का थोड़ा अनुभव था जो उनके काम आया। लेकिन अभिनेत्री रुकी नहीं उन्होंने सफलता के साथ कथक और भरत नाट्यम का प्रशिक्षण लेना शुरू किया और खुद को पेशेवर रूप से प्रशिक्षित किया। जल्द ही वह एक नर्तकी बन गईं, और इसके बाद उनकी फिल्मों में उनके नृत्य को और अधिक दिखाया गया।

बानो ने 1961 की फिल्म जंगली में शम्मी कपूर के साथ अभिनय की शुरुआत की, जिसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में अपना पहला फिल्मफेयर नामांकन अर्जित किया। इस फिल्म का प्रसिद्ध गीत "याहू !! चाहे कोई मुझे जंगली कहे" मोहम्मद रफी द्वारा गाया गया था। जंगली अघजानी कश्मीरी (उर्फ कश्मीरी और आगा जानी) द्वारा लिखी गई थी, जिन्होंने उन्हें उर्दू संवाद वितरण में भी प्रशिक्षित किया, लखनऊ से उर्दू साहित्य और कविता में उनकी पृष्ठभूमि दी।

सायरा बानो (फोटो : सोशल मीडिया ) 

रोमांटिक नायिका बनने की शुरुआत 

जंगली एक सफल अभिनेत्री के रूप में उनके करियर की शुरुआत के बाद उनकी छवि एक रोमांटिक नायिका की बन गई और उन्होंने कई प्रेम कहानियों में अभिनय किया। उन्होंने मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित अपने पहले नायक शम्मी कपूर के साथ एक और फ़िल्म ब्लफ़ मास्टर की। इस दौरान उनकी कुछ सफल फिल्में राजेंद्र कुमार के साथ आयीं जिसमें झुक गया आसमान और आई मिलन की बेला खास रहीं। अभिनेता बिस्वजीत के साथ अप्रैल फूल, जॉय मुखर्जी के साथ आओ प्यार करें और शागिर्द शामिल रहीं। बानो ने देव आनंद के साथ प्यार मोहब्बत भी की।

सायरा बानो (photo : सोशल मीडिया ) 

सायरा बानो की हिट फिल्में (Saira Banu Hit films)

1967 में राजेंद्र कुमार के साथ, अमन शादी के बाद उनकी पहली रिलीज़ थी। उन्होंने मनोज कुमार के साथ शादी, पूरब और पश्चिम और बलिदान तीन फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन 1968 में आयी फिल्म पड़ोसन ने सुनील दत्त के साथ उनकी जोड़ी को एक बार फिर शीर्ष पर पहुंचा दिया और उसके बाद उन्होंने कई वर्षों तक नायिका की भूमिका निभाई। नवीन निश्चल के साथ विक्टोरिया नंबर 203 उनकी सबसे बड़ी हिट फिल्म है। उन्होंने अपने पति के साथ तीन फिल्मों में अभिनय किया इनमें गोपी, सगीना और बैराग प्रमुख रहीं लेकिन केवल गोपी ही बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। उन्होंने धर्मेंद्र के साथ छह फिल्मों ज्वार भाटा, आदमी और इंसान, रेशम की डोरी, पॉकेट मार, इंटरनेशनल क्रूक और चैताली में अभिनय किया, जिनमें से 5 सुपरहिट थीं।

1976 में सुनील दत्त के साथ नहले पे दहला उनकी आखिरी सफल फिल्म थी। दमन और आग, माउंटो और कोई जीता कोई हरा जैसी कई फ्लॉप फिल्मों और फैसला, मेरा वचन गीता की कसम और आरंभ जैसी फिल्मों के को देने के बाद उन्होंने अपना करियर समाप्त मान लिया।

उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए तीन फिल्मफेयर नामांकन अर्जित किए हैं: शागिर्द (1967), दीवाना (1968), और सगीना (1974)। वह दुनिया (1984) में अपने पति के साथ एक कैमियो में दिखाई दीं, जिसमें "तेरी मेरी जिंदगी" गीत बहुत लोकप्रिय हुआ। फ़ैसला फिल्म 1988 में रिलीज़ हुई थी और आधिकारिक तौर पर ये उनकी आखिरी फिल्म है।

Tags:    

Similar News