मौत के बिस्तर से लिख दिया कुछ ऐसा, सारी दुनिया रह गई हैरान

देश में लॉकडाउन के चलते दूरदर्शन पर फिर से बचपन लौट आया है। यहां रामायण और महाभारत जैसे ऐतिहासिक सीरियल्स शुरू हो गए हैं। राम और सीता को तो सभी ने याद किया है। इसके निर्माता रामानंद सागर का जिक्र रामायण के साथ न हो तो ये  उनके साथ जायतती होगी। फिल्म निर्देशक रामानंद सागर ने रामायण, महाभारत समेत कई लोकप्रिय सीरियल्स को जन्म दिया।

Update:2020-04-18 11:15 IST

मुंबई : देश में लॉकडाउन के चलते दूरदर्शन पर फिर से बचपन लौट आया है। यहां रामायण और महाभारत जैसे ऐतिहासिक सीरियल्स शुरू हो गए हैं। राम और सीता को तो सभी ने याद किया है। इसके निर्माता रामानंद सागर का जिक्र रामायण के साथ न हो तो ये उनके साथ जायदती होगी। फिल्म निर्देशक रामानंद सागर ने रामायण, महाभारत समेत कई लोकप्रिय सीरियल्स को जन्म दिया। इनकी बदौलत उनका नाम आज भी हर जुबान पर हैं। रामनंद सागर से जुड़ी एक घटना है। रामानंद टीबी के मरीज थे? इलाज के दौरान उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया और उनकी इस डायरी के हर एक कॉलम ने लोगों को हैरान कर दिया।

बेटे प्रेम सागर ने इस किस्से का जिक्र किया था....

एक इंटरव्यू में रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने इस किस्से का जिक्र किया था। उन्होंने कहा- 'मेरे पिता रामानंद सागर जी को पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। वे दिन-रात पढ़ाई में लगे रहते थे। एक दिन उन्हें खांसी आई। फिर देखा तो उनके कपड़े में खून लगा हुआ था। फैमिली डॉक्टर को बुलाया और जांच में पता चला कि उन्हें टीबी है।' उस वक्त टीबी का कोई इलाज नहीं था। डॉक्टर ने उन्हें टीबी सेनिटोरियम में भर्ती हो जाने की सलाह दी थी। फिर पिताजी को (रामानंद सागर) उनके दादाजी टंगमर्ग स्थ‍ित टीबी सेनिटोरियम लेकर गए और वहां उन्हें भर्ती कर दिया। यहां टीबी पेशेंट्स जिंदा जरूर आते थे लेकिन उनकी लाश बाहर जाती थी।

 

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उस सेनिटोरियम में एक कपल भी था। वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। एक दिन दोनों स्वस्थ होकर वहां से निकले। उन्हें देखकर पिताजी चकित रह गए। उस दिन उन्हें एहसास हुआ कि प्यार किसी भी बीमारी को मात दे सकता है। उस दिन से उन्होंने रोज डायरी लिखना शुरू किया- मौत के बिस्तर से डायरी टीबी पेशेंट की।' ये सब साहित्य से जुड़े लोग पढ़ते थे। पिताजी ने कॉलम लिखकर भेजना शुरू किया। उनके कॉलम को पढ़कर एक अखबार के संपादक हैरान रह गए थे। वे सोचने लगे कि एक आदमी मर रहा है और वो लोगों को बता रहा है कि जीना कैसे है। '

 

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रामानंद के कॉलम ने संपादक का दिल छू लिया और उन्होंने अपने अखबार में एक कॉलम निकालाना शुरू किया- 'मौत के बिस्तर से रामानंद सागर'. फैज अहमद फैज, किशनचंद्र, राजिंदर सिंह बेदी ने भी पिताजी के आर्ट‍िकल्स को सराहा औ वे भी उनके फैन हो गए। फिर पिताजी (रामानंद सागर) को बतौर लेखक पहचान मिली।'

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