Goa Assembly Election 2022: 60 फीसदी विधायकों ने बदल दी पार्टी, यहां जाने गोवा चुनाव का हाल
Goa Assembly Election 2022: गोवा (Goa Assembly Elections 2022) को जबसे राज्य का दर्जा मिला है वहां हमेशा से राजनीतिक अस्थिरता (political instability) रही है। लेकिन वर्तमान सातवीं विधान सभा ने नया रिकॉर्ड बना दिया जिसमें एक चौथाई से अधिक विधायकों ने सदन से इस्तीफा दे दिया है।
Goa Assembly Election 2022: गोवा की राजनीति (Goa politics) के साथ एक दिलचस्प लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य जुड़ा हुआ है। वह यह कि वर्तमान विधानसभा (2017-2022) के पांच साल के कार्यकाल में 24 विधायकों ने पार्टी बदल दी (MLA Changed Party) है जो सदन की कुल संख्या का 60 प्रतिशत है। भारत में कहीं और ऐसा नहीं हुआ है। ये भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक रिकॉर्ड है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) (Association for Democratic Reforms) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गयी है। एडीआर ने गोवा के विधायकों का ब्यौरा जारी किया है। एडीआर ने गोवा के विधायकों की इस 'ऐतिहासिक उपलब्धि' पर कहा है कि यह मतदाताओं के जनादेश के प्रति पूर्ण अनादर का स्पष्ट प्रतिबिंब है।
गोवा में हमेशा से राजनीतिक अस्थिरता रही है
वैसे, गोवा (Goa Assembly Elections 2022) को जबसे राज्य का दर्जा मिला है वहां हमेशा से राजनीतिक अस्थिरता (political instability) रही है। लेकिन वर्तमान सातवीं विधान सभा ने नया रिकॉर्ड बना दिया जिसमें एक चौथाई से अधिक विधायकों ने सदन से इस्तीफा दे दिया है और 60 प्रतिशत से अधिक विधायकों ने अपने पांच साल के कार्यकाल के अंत से पहले पक्ष बदल लिया है। अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 11 मौजूदा विधायकों ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है और अन्य राजनीतिक दलों में शामिल हो गए हैं। 40 सदस्यीय विधानसभा की ताकत अब 29 रह गई है।
एक कैबिनेट मंत्री सहित चार भाजपा विधायक, कांग्रेस के तीन, तीन निर्दलीय और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के एक विधायक ने अपने दल से इस्तीफा दे दिया और दूसरे राजनीतिक दलों में शामिल हो गए।
गोवा में एनसीपी का एक ही विधायक है। इस विधायक चर्चिल अलेमाओ ने अपनी पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया, लेकिन खुद का 'विलय' तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में करने की घोषणा कर दी। इसके बाद एनसीपी ने स्पीकर से चर्चिल को अयोग्य घोषित करने का आग्रह किया है क्योंकि विधानसभा में टीएमसी विधायक दल नहीं है।
27 विधायकों ने पार्टी बदली
मार्च 2017 से अब तक 27 विधायकों ने अपनी पार्टी बदल ली है। 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस 17 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन अब वह मात्र दो सदस्यों में सिमट कर रह गई है। दरअसल, विश्वास मत के दौरान विश्वजीत राणे ने इस्तीफा दे दिया था जबकि अक्टूबर 2018 में सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपटे ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। बाद में ये तीनों उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर जीत कर सदन में लौट आये। 2019 में कांग्रेस के दस और एमजीपी के दो विधायकों का भाजपा में विलय हो गया था।
विधानसभा के कार्यकाल के अंतिम दिनों में इस्तीफा देने वाले 11 विधायकों में से चार भाजपा में शामिल हो गए जबकि तीन कांग्रेस में, दो टीएमसी में और एक-एक एमजीपी और आप में शामिल हो गए।