Goa Assembly Election 2022: बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरें जूनियर पर्रिकर, इस सीट से भरा पर्चा
गोवा विधानसभा चुनाव में लड़ाई लगातार दिलचस्प होता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर ने आज पणजी सीट से निर्दलीय अपना नामांकन कर दिया है।
Goa Assembly Election 2022: मनोरम समुद्र तटों वाला देश का सबसे छोटा राज्य गोवा विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों सियासी तपिश में तप रहा है। बीते 10 सालों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) पहली बार अपने दिग्गज नेता मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के बगैर चुनावी समर में उतर रही है। पार्टी को अपने कई बागियों से दो चार होना पड़ रहा है। इनमे एक बड़ा चेहरा दिवंगत मनोहर पर्रिकर का बेटा उत्पल पर्रिकर (Utpal Parrikar) भी शामिल है।
उत्पल ने भरा पर्चा
पिता की सीट पणजी से टिकट न मिलने से नाराज उत्पल ने बगावत का झंड़ा बुलंद करते हुए निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए। उत्पल ने गुरूवार को मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद नोमिमेशन फाइल किया। बीजेपी ने यहां से अतनासियो मॉन्सरेट (Atanasio Monserrat) को टिकट दिया है।
बीजेपी प्रत्याशी का किया था विरोध
अतनासियो कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं। दरअसल अतनासियो मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस (Congress) के टिकट पर चुनाव जीते थे। सीट पर उनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए बीजेपी उन्हें कांग्रेस से तोड़ लाई औऱ टिकट थमा दिया। बीजेपी के इस फैसले पर जुनियर पर्रिकर ने कड़ी आपत्ति जताई। गौरतलब है कि मनोहर पर्रिकर इस सीट से चार बार चुनाव जीत चुके हैं। यही वजह है कि उत्पल इस सीट से अपना सियासी करियर शुरू कर अपनी पिता की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते थे। अतनासियो मॉन्सरेट के आपराधिक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए उत्पल ने बीजेपी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, 'क्या जीत की संभावना ही टिकट हासिल करने का इकलौता मापदंड है? पार्टी के प्रति समर्पण, ईमानदारी कोई मायने नहीं रखती? चरित्र कोई मायने नहीं रखता? आप एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे रहे हैं, जो आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है. यह नहीं हो सकता. मैं ये नहीं होने दे सकता'
बीजेपी ने दिया था ये ऑफर
बीजेपी (BJP) के गोवा प्रभारी देवेंद्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) ने उत्पल के टिकट मांगने पर एकबार कहा था कि किसी बड़े नेता के परिवार से होना टिकट पाने की अर्हता नहीं हो सकती। हालांकि बाद में उत्पल को मनाने की भी कोशिश की गई। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस उन्हें किसी अन्य दो सीटों में से एक पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था। लेकिन उत्पल ने पणजी के अलावा किसी औऱ सीट से चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया। लिहाजा सुलह की वार्ता विफल रही और अगले दिन उत्पल पर्रिकर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इस बीच शिवसेना (Shiv Sena) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) जैसी विपक्षी पार्टियों से भी समर्थन मिला। आप ने तो उन्हें उनके टिकट पर पणजी उम्मीदवार बनने का न्यौता तक दे दिया। हालांकि उत्पल ने उनका न्यौता ठुकराते हुए अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने बीजेपी पर पर्ऱिकर परिवार की उपेक्षा करने का आरोप तक लगा दिया था।
उत्पल के अलावा बीजेपी पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर (Laxmikant Parsekar) का टिकट भी काट चुकी है। पारसेकर ने भी पार्टी के फैसले के खिलाफ बगावती तेवर अपनाते हुए सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और मंडरेम सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। वहीं केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक (Shripad Naik) के बेटे को भी बीजेपी ने टिकट देने से इनकार कर दिय़ा।
40 सदस्यों वाली गोवा विधानसभा (Goa Legislative Assembly) के लिए 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे औऱ जिसका परिणाम 10 मार्च को अन्य चार राज्यों के साथ आएगा।