Goa Election 2022: सीएम चेहरा घोषित करने तक से डर रही कांग्रेस

Goa Election 2022: गोवा के 14 फरवरी को चुनाव होने हैं। वहीं, कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम तय करने से डर रही है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-02-12 15:51 GMT

Goa Election 2022। (Social Media) 

 Goa Election 2022: दूध का जला छाछ भी फूंक - फूंककर पीता है। यही हाल गोवा में कांग्रेस (Congress Goa) का है। 42 वर्षों में से लगभग 25 साल तक गोवा में कांग्रेस ने शासन किया है। लेकिन 2012 में भाजपा (BJP) के सत्ता में आने के बाद से यहां कांग्रेस समाप्त सी हो चुकी है। और इस स्थिति के लिए पार्टी में 2017 के चुनाव बाद हुए बड़े पैमाने के दलबदल भी जिम्मेदार हैं जिसकी वजह से लोगों का विश्वास खत्म हो चुका है। इन्हीं वजहों से कांग्रेस (Congress) 14 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए अभी तक अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम तय करने से डर रही है।

कांग्रेस (Congress) को इस बार सिर्फ एक ही उम्मीद है कि जनता का वोट उसे एन्टी इनकंबेंसी के चलते मिल जाएगा। 2017 में, कांग्रेस ने भाजपा के 13 के मुकाबले 17 सीटें जीतीं, लेकिन बाद में पांसा पलट गया और कांग्रेस (Congress) से सत्ता छिन गई। विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस ने नेतृत्व और अन्य मुद्दों पर निर्णय लेने में देरी की जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। इस बार अगर कांग्रेस किसी को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करती है तो इससे अंदरूनी कलह शुरू हो सकती है। यदि किसी नाम की घोषणा नहीं की जाती है तो चुनाव बाद किसी महत्वपूर्ण मोड़ पर ये अनिश्चितता या दलबदल का कारण बन सकता है।

दिगंबर कामत की तरफ इशारा

वैसे, गोवा कांग्रेस डेस्क प्रभारी दिनेश गुंडू राव (Goa Congress Dinesh Gundu Rao) का कहना है कि कांग्रेस में सीएम चेहरा घोषित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। सभी जानते हैं कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर सीएम कौन होगा। कांग्रेस के भीतर कोई मुद्दा नहीं है कि सीएम कौन होगा। गुंडू राव (Dinesh Gundu Rao) के बयान को पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत (Digambar Kamat) की तरफ इशारा माना जा रहा है।

नए चेहरों की मजबूरी

कांग्रेस (Congress) का दावा है कि पार्टी छोड़ने वाले नेताओं का जाना अच्छा ही है क्योंकि इससे पार्टी में सफाई हो गई है। लेकिन दलबदल के चलते कांग्रेस को कई नए चेहरों को लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कांग्रेस का कहना है कि उनके 80 प्रतिशत उम्मीदवार अब "युवा लोग" हैं। पार्टी का कहना है कि उसके पास कुछ वरिष्ठ हैं, लेकिन बहुत अधिक नहीं हैं।

कांग्रेस और उसके सहयोगी गोवा फॉरवर्ड (गोवा में पिछले कार्यकाल में भाजपा की सहयोगी) ने "मिनटों" के भीतर अपने नेता पर फैसला करने का वादा किया है। लेकिन उनके कुछ नेता अतिमहत्वाकांक्षाओं वाले हैं। ऐसे में उनका कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है। अब कांग्रेस गोवा में अपनी खोई जमीन वापस ले पाएगी, इसमें संदेह काफी है क्योंकि उसे नुकसान पहुंचाने के लिए आम आदमी पार्टी भी लगी हुई है। ऐसे में लगता यही है कि गोवा अब कांग्रेस के लिए एक सुंदर अतीत ही रह गया है। 

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