Goa Election 2022 : कन्नड़, मराठी मतदाताओं को रिझाने में जुटे कर्नाटक महाराष्ट्र के नेता

Goa Election 2022 : गोवा में कर्नाटक के सीमावर्ती जिलों में कन्नड़ भाषी मतदाताओं की महत्वपूर्ण संख्या है।

Report :  Neel Mani Lal
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2022-02-12 05:05 GMT

गोवा चुनाव 2022 (Social Media)

Goa Election 2022 : गोवा के चुनाव (goa election;2022);में क्षेत्रीय और भाषाई राजनीति (linguistic politics) का भी बोलबाला दिख रहा है। गोवा (Goa) में चूंकि मराठी (Marathi) , कोंकणी (Konkani) और कन्नड़ ( Kannada) भाषाई लोगों की अच्छी खासी तादाद है सो पड़ोसी राज्यों से इन भाषाई क्षेत्रों के नेता गोवा में प्रचार में जुटे हुए हैं।

गोवा में कर्नाटक के सीमावर्ती जिलों में कन्नड़ भाषी मतदाताओं की महत्वपूर्ण संख्या है। इनको अपनी पार्टियों के पक्ष में लुभाने के लिए गोवा से बाहर के नेताओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये नेता पिछले कुछ हफ्तों से गोवा में डेरा डाले हुए हैं। गोवा में 14 फरवरी को मतदान होना है।

कन्नड़ मतदाताओं को लुभाने की रणनीति

कर्नाटक और महाराष्ट्र के नेता कन्नड़ और मराठी भाषी मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने-अपने हथकंडे अपना रहे हैं। कांग्रेस की ओर से कर्नाटक प्रदेश कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष सतीश जारकीहोली प्रमुख नेताओं एमबी पाटिल और लक्ष्मी हेब्बालकर के साथ कन्नड़ मतदाताओं को लुभाने की रणनीति बनाने में लगे हैं। प्रदेश भाजपा की ओर से पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी और बेलगावी (दक्षिण) विधायक अभय पाटिल मुख्य रणनीतिकार की भूमिका निभा रहे हैं.

राज्य में स्थायी और शांतिपूर्ण निवास चाहते हैं

नेतागण कन्नड़ भाषी लोगों के इलाकों में छोटी-छोटी बैठकें कर रहे हैं और उनकी शिकायतें सुन रहे हैं। गोवा में बसे अधिकांश कन्नड़ मतदाता दिहाड़ी मजदूर हैं, जो बेहतर जीवन स्तर और राज्य में स्थायी और शांतिपूर्ण निवास चाहते हैं। भाजपा का दावा है कि स्थानीय भाजपा नेताओं की मदद से उनकी शिकायतों को दूर करने की कोशिश भी की जा रही है।

राज्य के कुल मतदाता लगभग 17 लाख हैं और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 20,000 से 35,000 तक है। चूंकि मतदाताओं की संख्या कम है, इसलिए राज्य में प्रत्येक वोट बहुत कीमती है।

 कर्नाटक और गोवा के बीच दरार भी पैदा कर दी

2018 में मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने बैना बीच के पास झुग्गियों में बने कन्नड़ भाषी लोगों के बड़ी संख्या में घरों को ढहा दिया था। इस मुद्दे ने कर्नाटक और गोवा के बीच दरार भी पैदा कर दी थी क्योंकि ये परिवार चार दशकों से वहां रह रहे थे। कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पर्रिकर को पत्र लिखकर इस कदम की कड़ी निंदा की थी। अब भाजपा उन्हीं कन्नड़ भाषाई लोगों को लुभाने में लगी है। भाजपा का दावा है कि प्रमोद सावंत के नेतृत्व वाली सरकार ने बहुत सारे विकास कार्य किए हैं। केंद्र ने राज्य में हजारों करोड़ के फंड में विकास कार्य लिए हैं और सावंत ने गोवा में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाया है।

कांग्रेस ने केपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष सतीश जारकीहोली, दिनेश गुंडू राव, एमबी पाटिल, लक्ष्मी हेब्बलकर और बीके हरिप्रसाद जैसे अन्य प्रमुख नेताओं को गोवा में स्टार प्रचारकों के रूप में तैनात किया है। केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार, विपक्ष के नेता सिद्धारमैया और आरवी देशपांडे ने गोवा में प्रचार किया है।

गोवा में अधिकांश कन्नड़ झुग्गी बस्तियों में रहते हैं

कांग्रेस नेता हेब्बलकर ने कहा है कि गोवा की भाजपा सरकार ने शुरू से ही उस राज्य में रहने वाले कन्नड़ लोगों के साथ बुरा व्यवहार किया है। गोवा में अधिकांश कन्नड़ झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। वे मजदूर वर्ग के हैं और भवन निर्माण, नलसाजी, फल बिक्री, यांत्रिक और बिजली के काम आदि जैसे काम करते हैं।हेब्बालकर दो सप्ताह से अधिक समय से घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। कन्नड़ और मराठी भाषाई समूह का समर्थन किस तरफ जाएगा, ये देखने वाली बात है, हालांकि इस बार मुद्दे कुछ और ही हैं।

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