Independence Day: भारत के हमले से हैरान पुर्तगाल को करना पड़ा था सरेंडर, तब हुआ था गोवा का भारत में विलय
Independence Day: 15 अगस्त 1955 को करीब 5000 आम लोगों ने भारत की सीमा से गोवा में घुसने की कोशिश की। यह सभी लोग निहत्थे थे।
Independence Day: गोवा के भारत में विलय कि कहानी और दमन और दीव कि भारत में विलय एक ही है. इस दोनों जगहों पर ब्रिटिश नहीं बल्कि पुर्तगाल का शासन था। भारत को 1947 में स्वाधीनता मिलने के बाद पुर्तगाली सरकार ने अपने इलाकों को कांग्रेस को सौंपने से मना कर दिया गया और गोवा और दमन दीव पर पुर्तगाल का शासन रहा।
पंडित जवाहरलाल नेहरू पुर्तगाल से इन इलाके जैसे गोवा, दमन दीव, दादर और नागर हवेली को सौंपने सौंपने का लगातार अनुरोध करते रहे, लेकिन पुर्तगाल की सरकार इस बात पर राजी नहीं हुई। इसके लिए पुर्तगालियों ने तर्क दिया कि जब पुर्तगाल ने गोवा पर कब्जा किया था। तब भारत गणराज्य अस्तित्व में था ही नहीं।
आजादी का आंदोलन
पुर्तगालियों के खिलाफ कई बार विद्रोह हुआ। गोवा कांग्रेस बनी जिसका समर्थन भारत की कांग्रेस ने भी किया और आजादी का आंदोलन चलाया गया। इसके बाद 11 जून 1953 भारत में पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में भारतीय दूतावास को बंद कर दिया। जिसके बाद भारत और गोवा, दमन और दीव के बीच में आने जाने पर बंदिशें लगना शुरू हो गई।
15 अगस्त 1955 को करीब 5000 आम लोगों ने भारत की सीमा से गोवा में घुसने की कोशिश की। यह सभी लोग निहत्थे थे। लेकिन उसके बाद भी पुर्तगाल की पुलिस ने इन पर गोलियां बरसा दी। इसमें करीब 30 लोगों की जान गई। इस घटना के बाद तनाव बढ़ने लगा और भारत ने गोवा, दमन दीव पर चढ़ाई करने की ठान ली।
गोवा कब आजाद हुआ
2 अगस्त 1954 में गोवा की राष्ट्रवादी ताकतों ने दादर और नागर हवेली की बस्तियों को अपने कब्जा में ले लिया और भारत समर्थित स्थानीय सरकार की स्थापना की गई। 1954 से 1961 तक नागरिकों की संस्था वरिष्ठ पंचायत ने दादर और नागर हवेली के प्रशासन को संभाला। जिसके बाद सन् 1961 में दादर और नागर हवेली को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया।
इसके बाद दादर और नागर हवेली ने पुर्तगाल के शासन वाले बाकी प्रदेशों के लिए आर्थिक प्रतिबंध की शुरुआत की। वहीं दादरा और नागर हवेली आपने हाथ से चले जाने से पुर्तगाली बौखला उठे। उन्होंने अफ्रीकी देश अंगोला और मोजाम्बिक से सेना बुलाई और बाकी इलाकों की सुरक्षा को बढ़ा दी। उस वक्त गोवा, दमन और दीव में 8000 यूरोपियन, अफ्रीकन और भारतीय सैनिक तैनात किए गए थे।
अब भारत के पास भारत के सामने गोवा को हासिल करने के लिए सैन्य कार्रवाई के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। दिसंबर 1961 को पहली बार थल सेना, वायुसेना, और नौसेना गोवा की ओर बढ़ी।
गोवा का भारत में विलय कब हुआ
गोवा में कई जगहों पर पुर्तगाल की सेना ने लड़ाई की थी, लेकिन चारों ओर से घिरे होने के कारण वह हार गए और 19 दिसंबर 1961 की रात को भारत में पुर्तगाल के गवर्नर जनरल मैनुअल एंटोनियो वासले ई सिल्वा (Manuel Antonio Vasle e Silva) ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर (Instrument of Surrender) पर हस्ताक्षर कर दिए। जिसके बाद गोवा पर 451 साल का पुर्तगाली राज समाप्त हो गया।
भारत की आजादी के 14 साल बाद स्वतंत्र गोवा और दमन दीव ने आजाद हवा में सांस ली और इस क्षेत्र से 451 साल पुराने औपनिवेशिक शासन का अंत हुआ।
ऐसे ही कल रियासतों को भारत में मिलाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल जवाहरलाल नेहरू और वीपी मैनन ने बहुत जद्दोजहद की तब जाकर आज जो भारत का नक्शा आप देख रहे हैं उसे बनाया गया।