नई दिल्ली :भारत में बीते एक दशक में स्तन कैंसर के मामले कई गुना बढ़ गए हैं। स्तन कैंसर पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं को कम उम्र में भी शिकार बना रहा है। भारतीय औरतों में स्तन कैंसर होने की औसत उम्र लगभग 47 साल है, जो कि पश्चिमी देशों के मुकाबले 10 साल कम है। सही जानकारी, जागरुकता, थोड़ी सी सावधानी और समय पर इसके लक्षणों की पहचान और इलाज से इस समस्या को हराया जा सकता है।
डॉक्टरों के मुताबिक स्तन कैंसर का कोई एक खास कारण नहीं है। यह फेफड़े के कैंसर की तरह नहीं है, जिसमें अगर आप सिगरेट या तम्बाकू बंद कर दें तो इसे रोका जा सकता है लेकिन स्तन कैंसर कई चीजों के कारण होता है। ये लाइलाज भी नहीं है लेकिन इसके लिए इसका सही समय पर पता लगना जरूरी होता है।
यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका पता लगाकर जड़ से खत्म किया जा सकता है। इसके लिए इसका पता लगाना बहुत जरूरी है और इसके लिए शुरुआती जागरुकता बहुत जरूरी है। इसके लिए हर औरत को अपने आप अपने स्तनों की जांच करनी चाहिए और किसी भी प्रकार की असामान्य स्थिति में इसकी डॉक्टरी जांच करानी चाहिए। महिलाओं को महीने में एक बार स्तन की जांच करनी चाहिए। अगर स्वत: जांच के दौरान किसी भी प्रकार की असामान्य बात नजर आती है तो उसकी जांच होनी चाहिए। इस समस्या को टालने से बढ़ जाएगी।
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जो महिलाएं 40 साल पार कर गई हैं, उन्हें साल मे एक बार मैमोग्राफी करानी चाहिए। इस जांच से इस बीमारी का उस समय पता चलता है, जब आपको किसी भी प्रकार की समस्या का अहसास नहीं हो रहा होता है। अगर आपने किसी भी प्रकार की गांठ को नजरअंदाज किया तो वह कैंसर का रूप ले सकता है। बेशक यह जांच थोड़ी महंगी है लेकिन इसी से बचने के लिए जागरुकता और स्वत: जांच बहुत जरूरी है।
स्तन कैंसर कैसे होता है?
यह पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन नाम का एक कम्पाउंड है। ये खाने के पदार्थों, मेकअप के सामानों, पॉलिश और कास्मेटिक्स में पाए जाते हैं। इनका स्तन कैंसर से सीधा सम्बंध है। ये जितने भी उद्योग हैं, वे पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन का उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि इससे उनका उत्पादन खर्च कम होता है। स्तन कैंसर का दूसरा कारण है फास्ट फूड का बढ़ता चलन। इसमें प्रोसेस्ड फूड और शुगर का बहुत अधिक प्रयोग होता है।