राष्ट्रीय दल बनने से AAP के हौसले बुलंद, केजरीवाल के सियासी सपनों को मिली नई उड़ान, ममता और पवार को बड़ा झटका
AAP National Party: आयोग के इस फैसले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खुशी जताते हुए कहा कि इतने कम समय में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
AAP National Party: चुनाव आयोग की ओर से आम आदमी पार्टी (AAP) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिए जाने के बाद पार्टी को नई ताकत मिली है। चुनाव आयोग ने चार राज्यों दिल्ली, पंजाब, गुजरात और गोवा में पार्टी के चुनावी प्रदर्शन के आधार पर आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया है। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया गया है। आयोग के इस फैसले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खुशी जताते हुए कहा कि इतने कम समय में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। इस फैसले से केजरीवाल के सियासी सपनों को नई उड़ान मिली है।
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले आयोग का यह फैसला तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और एनसीपी के मुखिया शरद पवार पर सियासी तौर पर बड़ा झटका देने वाला माना जा रहा है। दूसरी ओर राष्ट्रीय राजनीति में अरविंद केजरीवाल अब और मजबूती से दस्तक देने में कामयाब होंगे। 2024 की जंग से पहले केजरीवाल विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी आप की ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि अब आम आदमी पार्टी और मजबूती के साथ 2024 के सियासी जंग में दस्तक देगी।
एक दशक के सफर में बड़ी सियासी कामयाबी
आम आदमी पार्टी का गठन 26 नवंबर 2012 को किया गया था और करीब एक दशक के सफर के दौरान इस पार्टी ने महत्वपूर्ण सियासी सफलताएं हासिल की हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में हुए अन्ना आंदोलन की कोख से जन्मी इस पार्टी ने पिछले एक दशक के दौरान दिल्ली और पंजाब राज्यों में सत्ता हासिल करने में कामयाबी हासिल की है।
मौजूदा समय में दो राज्यों में पार्टी की सरकारें हैं जबकि पार्टी के पास 161 विधायक और राज्यसभा में 10 सांसदों की ताकत है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा आप अकेली ऐसी पार्टी है जिसकी दो राज्यों में सरकारें हैं। हालांकि यह भी सच्चाई है कि लोकसभा में पार्टी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
दिल्ली समेत चार राज्यों में दिखाई ताकत
आप पहली बार 2013 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में मैदान में उतरी थी और पार्टी ने 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब पार्टी ने दूसरा नंबर पर रहने के बावजूद कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी। हालांकि यह सरकार सिर्फ 49 दिनों तक ही चल सकी थी। पार्टी को फरवरी 2013 में पहली बार राज्यस्तरीय दल का दर्जा मिला था। 2015 में आप ने दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल करके 5 साल तक कामयाबी से सरकार चलाई थी। इस चुनाव में पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा को बुरी तरह हराया था। 2020 में पार्टी ने दिल्ली विधानसभा की 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल करके अपनी ताकत दिखाई थी।
2017 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी सरकार बनाने में तो कामयाब नहीं हो सकी मगर मुख्य विपक्षी दल बनने में जरूर कामयाब हुई। पांच साल बाद 2022 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 92 सीटों पर जीत हासिल करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई। गोवा के विधानसभा चुनाव में आप के टिकट पर दो प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब रहे जबकि गुजरात के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 13 फ़ीसदी मतों के साथ 5 सीटों पर जीत हासिल की। इस तरह पार्टी चार राज्यों में अपनी सियासी ताकत दिखाने में कामयाब रही है।
आप के राष्ट्रीय दल बनने से केजरीवाल उत्साहित
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल काफी उत्साहित नजर आए। उन्होंने इतने कम समय में पार्टी को मिली कामयाबी को एक चमत्कार बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है और इसके लिए सभी लोग बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि लोगों ने हमें बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है और लोगों को हमसे ढेर सारी उम्मीदें हैं। उन्होंने भगवान से आशीर्वाद देने की प्रार्थना की ताकि लोगों की उम्मीदों को पूरा किया जा सके।
अब सियासी अखाड़े में और मजबूती से उतरेगी आप
सियासी जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलने के बाद आप अब मजबूती के साथ सियासी अखाड़े में दस्तक देगी। आप के मुख्य अरविंद केजरीवाल विपक्षी नेताओं के साथ मुलाकात जरूर करते रहे हैं मगर विपक्षी गठबंधन में उनकी ज्यादा दिलचस्पी नहीं रही है। वे हमेशा इस बात पर जोर देते रहे हैं कि जनता विकल्प की तलाश खुद कर लेती है। वे इन दिनों कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में सक्रिय दिख रहे हैं। जानकारों का मानना है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में वे अपने दम पर आप की ताकत दिखाने की कोशिश करेंगे।
ममता और पवार को लगा बड़ा झटका
चुनाव आयोग के फैसले से जहां अरविंद केजरीवाल के सियासी सपनों को नई उड़ान मिली है वहीं ममता बनर्जी और शरद पवार जैसे विपक्ष के दिग्गजों को करारा झटका भी लगा है। सबसे बड़ा नुकसान ममता बनर्जी की टीएमसी को हुआ है जो गोवा और त्रिपुरा जैसे राज्यों में चुनाव लड़ने के बावजूद अपने राष्ट्रीय दर्जे को बचाने में कामयाब नहीं हो सकी है। ममता बनर्जी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं मगर 2024 की सियासी जंग से पहले टीएमसी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन जाने से उन्हें करारा झटका लगा है।
शरद पवार की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा भी किसी से छिपी हुई नहीं है। वे भी राष्ट्रीय राजनीति पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश में हमेशा प्रयत्नशील रहे हैं। दोनों नेता समय-समय पर कांग्रेस को विपक्ष का अगुवा मानने से इनकार करते रहे हैं मगर दोनों की सियासी संभावनाओं को चुनाव आयोग के फैसले ने बड़ा झटका दिया है।