आशुतोष सिंह
वाराणसी : बीजेपी के चाणक्य और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अब चुनावी मोड में आ गए हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने देश के सबसे बड़े और सियासी रूप से सबसे मजबूत सूबे यूपी से कर दी है। अपने 48 घंटे के दौरे पर यूपी पहुंचे अमित शाह ने मां विंध्यवासिनी की नगरी मिर्जापुर से मिशन 2019 के लिए शंखनाद किया। पार्टी के वरिष्ठ मंत्रियों, नेताओं और पदाधिकारियों के साथ उन्होंने यूपी की मौजूदा सियासी तस्वीर पर मंथन किया। महागठबंधन के तिलिस्म को तोडऩे की योजना बनाई तो कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार किया। कुल मिलाकर अमित शाह ने एक बार फिर से यूपी की कमान खुद अपने हाथों में ले ली है। अमित शाह की नजर खासतौर से पूर्वांचल और अवध क्षेत्र पर टिकी है। यूपी का यही वह इलाका है जहां से लोकसभा की 40 सीटें आती हैं। 2014 में मोदी मैजिक के अलावा अमित शाह के रणनीतिक कौशल का ही कमाल था कि 40 में से 39 सीटें बीजेपी की झोली में आई थी।
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पूर्वांचल में फिर से कमल खिलाने की तैयारी पर खास फोकस
गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में मिली करारी हार ने यूपी में बीजेपी की बाजी पलट दी है। कल तक जिस सूबे में बीजेपी, विरोधियों से कहीं आगे दिख रही थी, अचानक रेस में पिछडऩे लगी। सपा और बसपा का गठबंधन सुर्खियां बटोरने लगा। विरोधी हमलावर होने लगे तो पार्टी के बागियों को भी बोलने का मौका मिल गया। कुल मिलाकर बीजेपी चौतरफा संकट से घिर गई है। पार्टी के लिए 2014 की कामयाबी को दोहरा पाना, दूर की कौड़ी की तरह दिख रहा है। ऐसे में बीजेपी के जख्म भरने के लिए खुद अमित शाह आगे आए हैं।
यूपी पहुंचते ही उन्होंने संकेत दे दिए कि 2014 की तरह इस बार भी यूपी की कमान उन्हीं के हाथों में रहेगी। सियासी बिसात पर मोहरे कैसे बिछेंगी, ये सिर्फ और सिर्फ अमित शाह ही तय करेंगे। जानकारों के मुताबिक अमित शाह की नजर खासतौर से पूर्वांचल पर टिकी हैं। इसके पीछे कारण भी है। यूपी के अन्य हिस्सों की तुलना में पूर्वांचल में विकास कार्य अधिक हुए हैं। चाहे सड़क निर्माण हो या फिर रेलवे से जुड़े प्रोजेक्ट। पूर्वांचल में विकास से जुड़ी योजनाओं को रफ्तार दी गई है। चुनावी सीजन में बीजेपी इसे भुनाना चाहती है। पूर्वांचल में जीत की पठकथा लिखने के लिए अमित शाह ने एक खास रणनीति बनाई है। पार्टी पदाधिकारियों के साथ चर्चा करते हुए अमित शाह ने संकेत दिए कि एक बार फिर से धार्मिक नगरी काशी ही सियासी संग्राम का केंद्र बनेगी। अमित शाह बनारस और उसके आसपास के जिलों में हो रहे विकास कार्यों को नजीर के तौर पर पेश करना चाहते हैं।
ओबीसी वोटबैंक पर अमित शाह की नजर
वाराणसी में गंगा तट पर अपने करीबियों के साथ रणनीति बनाने में जुटे अमित शाह की चिंता पूर्वांचल में पिछड़ों को लेकर भी दिखी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में पिछड़ों का अहम रोल था। खासतौर से गैर यादव पिछड़ों ने खुलकर बीजेपी का समर्थन किया था। लेकिन इस बार तस्वीर बदल गई है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के बागी तेवर ने बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया है। एनडीए में शामिल होने के बावजूद सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर सरकार की किरकिरी करा रहे हैं। किसी न किसी मुद्दे के बहाने वो बीजेपी को आंखें दिखाते रहते हैं। सूत्रों के मुताबिक अगर सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी से बात नहीं बनी तो वे भी विरोधियों की गोद में बैठ सकते हैं। बीजेपी के रणनीतिकार भी इस बात को बखूबी समझ रहे हैं। लिहाजा पार्टी ओमप्रकाश राजभर की काट खोजने में जुट गई है। ओमप्रकाश राजभर के बजाय पार्टी अपना दल को ज्यादा तवज्जो दे रही है। मिर्जापुर दौरे के दौरान अमित शाह केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के घर पहुंचे तो इस संभावना को बल भी मिला। कहा जा रहा है कि यूपी में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में अनुप्रिया पटेल के पति आशीष को जगह मिल सकती है।
महागठबंधन पर लिया फीडबैक
बैठक में पूर्वांचल की सीटों पर जातीय सामाजिक समीकरण के साथ विपक्षियों के महागठबंधन पर भी चर्चा हुई। पूर्वांचल की एक-एक सीटों पर अमित शाह ने काशी, अवध और गोरक्ष प्रांत के संगठन मंत्रियों के साथ चर्चा की और उनसे वर्तमान सांसदों की कार्यशैली पर फीडबैक लिया। अमित शाह ने पूर्वांचल की सभी सीटों पर महागठबंधन के संभावित असर के इस बारे में भी वरिष्ठ पदाधिकारियों से सुझाव लिए। उन्होंने पदाधिकारियों से स्पष्ट कहा कि यह चुनाव विकास के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा क्योंकि प्रधानमंत्री ने चार साल के इस दौर में विकास को ही आधार बनाया। जनकल्याण कार्य नीति को आम जन तक पहुंचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उसे गांव गांव तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अब वरिष्ठ पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं की है। उन्होंने सभी विधायकों को यह स्पष्ट निर्देश देने को कहा कि वे जनता के बीच रहें व सरकार की नीतियों की जानकारी उन तक पहुचाएं।
शीर्ष नेताओं के साथ दो घंटे तक चली बैठक में अमित शाह ने कहा कि 31 अगस्त तक सभी चुनावी मोड में आ जाए। इस दौरान उन्होंने सभी पदाधिकारियों से सपा-बसपा गठबंधन पर राय जानी। उन्होंने कहा कि अगर यूपी का चुनावी रण जीतना है तो अपने मत प्रतिशत को 44 से बढ़ाकर पचास करना होगा। उन्होंने इशारों ही इशारों में बता दिया कि इस बार चुनौती बढ़ी है लिहाजा तैयारी भी बढ़ी करनी होगी। बैठक में काशी क्षेत्र के 14, गोरक्ष के 11 और अवध के 16 लोकसभा सीटों के टिकट पर चर्चा हुई। अमित शाह ने सभी लोकसभा सीटों के लिए प्रभारी और तहसील स्तर पर कमेटी जल्द बनाने के निर्देश दिए।
आईटी आर्मी को दिए खास टिप्स
चार साल पहले की सियासी तस्वीर को देखें तो साफ हो जाता है कि बीजेपी की जीत में मोदी मैजिक के अलावा सोशल मीडिया का अहम रोल था। जिस तरह से बीजेपी ने सोशल साइट्स के जरिए अपने पक्ष में हवा बनाई, उससे विरोधी औंधे मुंह गिर गए थे। सवाल इस बात का है कि क्या 2014 की कामयाबी 2019 में भी दोहराई जाएगी। सोशल साइट्स पर विरोधियों को घेरने के लिए बीजेपी के पास प्लान क्या है।
जानकारों के मुताबिक मिशन 2019 में फतह हासिल करने के लिए पार्टी ने सोशल मीडिया वॉलंटियर्स की एक बड़ी फौज तैयार की है। इन्हें साइबर योद्धा की संज्ञा दी है। सोशल साइट्स पर विरोधियों को कैसे जवाब देना है इसकी जिम्मेदारी साइबर योद्धाओं के कंधों पर होगी। वाराणसी के बड़ा लालपुर स्थित ट्रेड फैसेलिटी सेंटर में साइबर योद्धाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर बीजेपी के साइबर योद्धा सुनामी बनकर विरोधियों को उखाड़ फेंके। उन्होंने टिप्स देते हुए कहा कि सरकार की योजनाओं से संबंधित डाटा जुटाने, रिसर्च करने व जनता के बीच जाकर पूर्व की की सरकारों के कार्यकाल की तुलना करने को कहा ताकि लोगों को वास्तविकता का पता चल सके। अमित शाह ने कहा कि कार्यकर्ता समूह बनाकर डाटा और रिसर्च को कलेक्ट करें और उसे सोशल मीडिया पर अपडेट करें।