Delhi News: प्रदूषण से राजधानी बेहाल, सांस लेना भी हो रहा मुश्किल, आनंद विहार में एक्यूआई 400 पार

Delhi News: दिल्ली में कई कड़े नियम हैं उसके बाद भी यह लगातार अपने पड़ोसी शहरों से ज्यादा प्रदूषित है। यह सवाल अब लोगों के मन में उठने लगा है। अगर छह दिनों के प्रदूषण स्तर को देखा जाए तो दिल्ली में पांच दिन प्रदूषण का स्तर बेहद खराब रहा है।

Newstrack :  Network
Update:2024-11-04 14:14 IST

Air Pollution  (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Delhi News: दिवाली के बाद भी दिल्ली में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी की हवा जहरीली बनी हुई। लोगों को सांस लेने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अगर दिवाली के 6 दिनों (29 अक्टूबर से 3 नवंबर) तक की स्थिति को देखा जाए तो दिल्ली में प्रदूषण का लेवल एक दिन खराब रहा है और बाकी के अन्य पांच दिन तो यह बेहद खराब रहा है।

यहां एक सवाल यह उठ रहा है कि दिल्ली में इतनी सख्ती है उसके बाद भी यहां पड़ोसी शहरों की तुलना में प्रदूषण का स्तर अधिक है। इस सीजन में पड़ोसी शहरों और दिल्ली के प्रदूषण लेवल में काफी अधिक अंतर देखने को मिल रहा है। देश की राजधानी इस पूरे सीजन में अपने आसपास के शहरों की तुलना में काफी अधिक प्रदूषित रही है। दिल्ली का यह हाल तब है जब यहां सख्ती के नाम पर कई तरह के कैंपेन, पटाखों पर बैन जैसे कई कड़े नियम लागू हैं। उसके बाद भी दिल्ली का ऐसा बुरा हाल है। यह सोचने का विषय है। इसके लिए और कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

जानिए कितना अंतर रहा प्रदूषण के स्तर में

अगर प्रदूषण के लिहाज से दिवाली के 6 दिनों (29 अक्टूबर से 3 नवंबर) तक की स्थिति को देखा जाए तो दिल्ली में प्रदूषण का लेवल एक दिन खराब रहा है और बाकी के अन्य पांच दिन तो यह बेहद खराब रहा है। इस दौरान प्रदूषण का स्तर यानी एक्यूआई 268 से 382 तक रहा। वहीं अगर हम पड़ोसी फरीदाबाद की बात करें तो यहां प्रदूषण का लेवल तीन दिन सामान्य स्तर पर और तीन दिन खराब स्तर पर रहा। वहीं गाजियाबाद में चार दिन खराब स्तर पर रहा तो दो दिन बेहद खराब स्तर पर प्रदूषण रहा। उधर, ग्रेटर नोएडा में सभी छह दिन प्रदूषण खराब स्तर पर रहा। गुरुग्राम और नोएडा में प्रदूषण का बेहद खराब स्तर केवल एक दिन रहा जब कि अन्य पांच दिन यह खराब स्तर पर रहा।

दिल्ली के आज कहां-कहां कितना रहा एक्यूआई

दिल्ली में सोमवार को भी एक्यूआई खतरनाक स्तर पर ही रहा। अधिकतर क्षेत्रों में यह लेवल 400 के पार ही रहा। दिल्ली में ओवरऑल एक्यूआई 373 रहा। वहीं आनंद विहार में 432, अशोक विहार में 408, बवाना में 406, जहांगीरपुरी में 412, मुंडका में 402, द्वारका में 411, पंजाबी बाग में 404, रोहिणी में 406, विवेक विहार,418 और वजीरपुर में एक्यूआई 411 दर्ज किया गया।

इसलिए जरूरी हैं ग्रैप के एक जैसे चरण

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए और कड़े नियम की जरूरत है। सीपीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि ग्रैप का मकसद ही यही है कि दिल्ली-एनसीआर को एक एयरशेड मानकर ही काम किया जाए। ग्रैप का मकसद दिल्ली या किसी एक शहर के प्रदूषण को कम करना नहीं है। बल्कि दिल्ली को इसका बेस स्टेशन मान कर ही ग्रैक के विभिन्न चरण लागू किए जाते हैं। अगर ग्रैप के चरणों को एनसीआर के शहरों की एयर क्वॉलिटी के हिसाब से अलग-अलग शहरों में लागू किया जाएगा, तो इससे काफी कन्फ्यूजन की स्थिति रहेगी।

बता दें कि एनसीआर में कई शहर हैं। हरियाणा के भिवाड़ी, सोनीपत, रेवाड़ी, पानीपत, राजस्थान का अलवर, यूपी का गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर सहित एनसीआर में आते हैं। ऐसे में देखा जाए तो सीएक्यूएम के लिए यह काफी मुश्किल हो जाएगा कि किस शहर में कौन सा ग्रैप लागू करें तो विभिन्न शहरों के अधिकारियों को तालमेल बैठाने में काफी दिक्कतें आएंगी। वहीं ग्रैप के तहत गाड़ियों पर जो रिस्ट्रिक्शन हैं, उससे आम लोग भी कन्फ्यूज रहेंगे और अधिक परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। यही कारण है कि दिल्ली को बेस स्टेशन मानकर ग्रैप के एक ही चरण को पूरे एनसीआर में लागू किया जाता है।

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