सावधान भारत: ये जानलेवा वायरस, 90 दिन में ले रहा जान

दुनिया में ऐसे-ऐसे फंगस वायरस फैलते जा रहें हैं जिनका इलाज भी नहीं है। इससे और ज्यादा घातक तो ये है कि फैल रही इन खतरनाक बीमारियों का अंत मरने के बाद भी नहीं होता है। इसी तरह के एक फंगस का नाम है कैडिडा ऑरिस। 

Update: 2023-07-15 12:00 GMT
सावधान भारत: ये जानलेवा वायरस, 90 दिन में ले रहा जान

नई दिल्ली : लोग जैसे-जैसे तकनीकी और विज्ञान की मदद से आगे बढ़ रहें हैं दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहें है मेडिकल के क्षेत्र में तरक्की कर रहें हैं। बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा रोगों का पता मिनटों में चल जाता है। लेकिन जैसें-जैसें इन बीमारियों का खात्मा करने के लिए नई तकनीकियां विकसित हो रही है वैसे-वैसे कई और खतरनाक बीमारियां पनपती जा रही हैं।

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दुनिया में ऐसे-ऐसे फंगस वायरस फैलते जा रहें हैं जिनका इलाज भी नहीं है। इससे और ज्यादा घातक तो ये है कि फैल रही इन खतरनाक बीमारियों का अंत मरने के बाद भी नहीं होता है। इसी तरह के एक फंगस का नाम है कैडिडा ऑरिस।

ये इतना घातक फंगस है जो एक बार अगर किसी के शरीर में लग जाए तो एक से दूसरे के शरीर में बहुत तेजी से फैलता है और उसे अपनी चपेट में ले लेता है।

ऐसा ही एक केस मिला

मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार, कैंडिडा ऑरिस नाम का ये वायरस सबसे पहले एक बूढ़े मरीज ब्रुकलिन में मिला था। माउंट सिनाई हॉस्पिटल फॉर ऐब्डॉमिनल में सर्जरी के वक्त डॉक्टर्स को पता चला कि बूढ़ा व्यक्ति किसी तरह के एक घातक वायरस का शिकार हो गए हैं।

इसके बाद जब डॉक्टर्स ने इसकी जांच करना शुरू तो सामने आया कि कैंडिडा ऑरिस एक जानलेवा फंगस का नाम। जो मरने के बाद भी लोगों के शरीर से खत्म नहीं होता है। इसका पता लगने के बाद डॉक्टर्स ने बूढ़े मरीज को इन्टेन्सिव केयर यूनिट (आईसीयू) में शिफ्ट किया।

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इसके बाद ऐसे और भी कई केस सामने आए। मिला रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका और यूरोप के बाद धीरे-धीरे इस फंगस के लक्षण एशिया के भारत, पाकिस्तान और दक्षिम अफ्रीका के कुछ मरीजों में नजर आया है।

वायरस से 3 महीनों में मौत

इस कैंडिडा ऑरिस फंगस को लेकर जाने-माने डॉक्टर्स का कहना है कि इस वायरस से जुड़े जितने भी केस सामने आए हैं, उनमें केवल 90 दिनों के अंदर ही मरीजों की मौत हो गई।

साथ ही डॉक्टरों का मानना है कि यह फंगस ज्यादातर उन लोगों को अपना शिकार बनाता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ये वायरस अस्पताल में उपस्थित लोगों, उपकरणों सहित दूसरी अन्य कई चीजों से एक-दूसरे के संपर्क में आने से तेजी फैलता है।

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