बैंक खाताधारकों के लिए बड़ी खबर: मर्ज होने जा रहे ये बैंक, जल्द निपटा लें अपने काम

देश में हर चीजों के नाम बदल रहे हैं चाहे हो किसी शहर, जगह का नाम हो। अब तो बहुत से बैंकों के भी नाम बदल गए है।

Update:2020-02-09 12:04 IST
अब बैंक होंगे बंद: विलय के बाद होने जा रहा ऐसा, कहीं आपका खाता तो नहीं इसमें

नई दिल्ली: देश में हर चीजों के नाम बदल रहे हैं चाहे हो किसी शहर, जगह का नाम हो। अब तो बहुत से बैंकों के भी नाम बदल गए है। ऐसा ही अब एक बार फिर हो रहा है अगर आपका अकाउंट पंजाब नेशनल बैंक (PNB), यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (UBI) और ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स (OBC) में है तो यह खबर आपके लिए जरूरी है।

क्योंकि 1 अप्रैल, 2020 को केंद्र सरकार PNB, UBI और OBC बैंकों के विलय से बनने वाले बैंक के लिए नये नाम का ऐलान करने वाली है। साथ ही नए बैंक का नया लोगो जारी किया जाएगा। मर्जर के बाद आपको एक नया अकाउंट नंबर और कस्टमर ID मिल सकता है। इसलिए आप हमेशा ध्यान रखें कि आपका ई-मेल अड्रेस और मोबाइल नंबर बैंक के पास अपडेटेड जरूरी होना चाहिए। तो आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी कुछ खास बातें...

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ग्राहकों पर होंगे सीधे तौर पर ये 5 असर-

बैंकों के मर्जर के बाद खाताधारकों की जमापूंजी पर कोई असर नहीं होगा। वैसे तो पेपरवर्क का काम थोड़ा बढ़ जाएगा।

आपका अकाउंट नंबर और इंटरनेट कस्टमर ID में हो सकता है बदलाव-

तीनों बैंकों के विलय के बाद आपको एक नया खाता नंबर और कस्टमर ID मिल सकता है। इसलिए आप हमेशा ध्यान रखें कि आपका ई-मेल एड्रेस और मोबाइल नंबर बैंक के पास अपडेटेड जरूरी होना चाहिए। हमेशा बैंक आपके फोन नंबर और ई-मेल आईडी पर किसी चेंज के बारे में तुरंत जानकारी भेजता है।

आपको बदलनी होगी चेकबुक-

आपका अकाउंट UBI या फिर OBC में है तो आपको अपनी चेकबुक बदलने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। आपकी प्रेजेंट चेकबुक कुछ समय के लिए मान्य रहेगा, उन्हें उस बैंक के चेकबुक से बदलना पड़ता है, जिस बैंक में विलय हुआ है। PNB कस्टमर्स को भी नया पासबुक और चेकबुक मिलेगा।

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आपको इन जगह पर कराने होंगे बदलाव-

जिन कस्टमर्स को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड अलॉट किए जाएंगे। उन्हें इन सभी डीटेल्स को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड और नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) इत्यादि जगह पर अपडेट कराना होगा।

नई ECS, SIP के लिए उठाने होंगे ये कदम-

जन बैंक्स मर्ज हो जाएंगे उसके बाद उनमें काफी बदलाव होंगे। ऐसे में आपको अपनी ECS में बदलाव करना होगा। इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क कर नए ECS निर्देश जारी करें। जरूरत होने पर आपको ECS से जुड़ा फॉर्म ऑनलाइन या अपनी ब्रांच के जरिए भरना होगा। ऑटो डेबिट या सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के लिए आपको नया SIP रजिस्ट्रेशन और इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है। ऐसा ही लोन की EMI के लिए भी करना होगा।

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बदल सकता है आपकी ब्रांच का एड्रेस-

बैंक्स मर्ज के बाद बनने वाला नया बैंक अपनी कुछ ब्रांच को बंद कर सकता है। क्योंकि उस बिल्डिंग या फिर आस-पास UBI और OBC की ब्रांच होगी तो उसे एक ही ब्रांच में शिफ्ट कर दिया जाएगा। ऐसे में बैंक के खर्चे बचेंगे। लिहाजा आपकी ब्रांच का एड्रस बदल सकता है। इसीलिए आपको नई ब्रांच के लिए लागू नए IFSC और MICR कोड का ध्यान रखें, क्योंकि आपको फंड ट्रांसफर और अन्य फाइनेशियल ट्रांजेक्शंस के लिए आपको इसकी जरुरत होगी।

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