बिहार चुनाव: चुनौतियों के चक्रव्यूह में उलझे चिराग, पिता के निधन के बाद असली परीक्षा

मौजूदा समय में चिराग पर अपने परिवार को संबल देने के साथ ही पार्टी का सशक्त तरीके से नेतृत्व करने की भी जिम्मेदारी आ गई है। इसके साथ ही पार्टी प्रत्याशियों का समझदारी से चयन और धारदार चुनाव प्रचार जैसी चुनौतियां भी उनके सामने खड़ी हैं।

Update: 2020-10-15 17:01 GMT

अंशुमान तिवारी

पटना। लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष चिराग पासवान की चुनौतियां और बढ़ गई हैं। पासवान ने अपनी बीमारी के समय ही पार्टी की कमान पूरी तरह से चिराग को सौंप दी थी और चिराग की पहली सियासी परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव में होने जा रही है।

पिता के निधन के तत्काल बाद चिराग को यह परीक्षा देनी है और वह भी राज्य की बदली हुई विपरीत परिस्थितियों के बीच। ऐसी हालात में पिता की गैरमौजूदगी में लोजपा की ताकत को मजबूत बनाए रखना चिराग के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।

चिराग के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी

रामविलास पासवान के पास लंबा सियासी अनुभव था और वे सियासी हालात की नब्ज पकड़ने में माहिर माने जाते थे। उनके रहने पर चिराग को कदम-कदम पर पिता का मार्गदर्शन प्राप्त होता था और पिता की देखरेख में ही चिराग ने सियासत का ककहरा सीखा है मगर चिराग के सिर से पिता का साया ऐसे समय में उठ गया है जब लोजपा अकेले अपने दम पर चुनावी महासमर में उतरी है।

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मौजूदा समय में चिराग पर अपने परिवार को संबल देने के साथ ही पार्टी का सशक्त तरीके से नेतृत्व करने की भी जिम्मेदारी आ गई है। इसके साथ ही पार्टी प्रत्याशियों का समझदारी से चयन और धारदार चुनाव प्रचार जैसी चुनौतियां भी उनके सामने खड़ी हैं।

एनडीए का हिस्सा न होने से चुनौतियां बढ़ीं

इस बार के चुनाव में एनडीए का हिस्सा न होने के कारण चिराग की चुनौतियां और बढ़ गई हैं। एनडीए का हिस्सा होने पर चिराग को जदयू और भाजपा के कोर वोट बैंक की मदद भी मिल जाया करती थी मगर इस बार के चुनाव में उन्हें पूरी तौर पर अपना दमखम दिखाना होगा। भाजपा की ओर से‌ लोजपा को यह हिदायत दी जा चुकी है कि पार्टी पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। ऐसा करने पर उसे कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा।

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दूसरी ओर चिराग पासवान समय-समय पर पीएम मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करने के साथ ही नीतीश पर हमला करने का मौका नहीं चूक रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें चुनाव में पीएम मोदी की तस्वीर की जरूरत नहीं है।

नीतीश को मोदी की तस्वीर की जरुरत

चिराग ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी तो मेरे अभिभावक हैं और हम सबके दिलों में रहते हैं। इसलिए किसी को उनकी तस्वीर को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। सही बात तो यह है कि प्रधानमंत्री की तस्वीर की जरूरत नीतीश कुमार को है। वे मोदी का नाम भुनाकर चुनाव जीतने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

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पिता भी चाहते थे लोजपा अकेले लड़े

बिहार में अकेले चुनाव लड़ने के फैसले पर चिराग ने कहा कि उनके पिता रामविलास पासवान भी यही चाहते थे कि लोजपा को चुनाव मैदान में अकेले उतरना चाहिए। उन्होंने ही मुझे अकेले चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था।

चिराग के मुताबिक मेरे पिता का मानना था कि यदि नीतीश कुमार फिर से राज्य की सत्ता पाने में कामयाब रहे तो तुम्हें आने वाले 10 15 सालों तक इसके लिए पछताना पड़ेगा। इसका कारण यह है कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से राज्य के लोगों को अगले 5 साल तक कष्ट उठाना पड़ेगा।

चिराग ने माना कि चुनाव के समय पिता के निधन के कारण उन्हें काफी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

भाजपा ने कसा लोजपा से किनारा

दूसरी ओर भाजपा की ओर से बार-बार यह स्पष्ट किया जा रहा है कि लोजपा एनडीए का हिस्सा नहीं है। बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने एक बार फिर स्पष्ट तौर पर कहा है कि एनडीए में भाजपा और जदयू के अलावा सिर्फ हम और वीआईपी हैं।

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ऐसे में अगर कोई एनडीए प्रत्याशी प्रधानमंत्री का नाम या उनकी तस्वीर का उपयोग करता है तो ऐसे लोगों के खिलाफ भाजपा की ओर से कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि लोजपा को किसी प्रकार के भ्रम में नहीं रहना चाहिए। भाजपा इस बात को लेकर काफी सचेत है कि जदयू के मन में लोजपा को लेकर किसी प्रकार की गलतफहमी न पैदा हो।

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