लखनऊ: मोदी सरकार के सांसदों की संख्या पिछले साढे चार वर्षों में कम हुई है। हैरानी होगी कि 11 सांसदों की असामायिक मौत की वजह से संख्या और कम हुई है। अभी हाल ही में केंद्रीय मंत्री और सांसद अनंत कुमार का निधन हो गया। इससे बीजेपी को कर्नाटक में सियासी क्षति पहुंची है।
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2014 में नरेंद्र मोदी ने जब बतौर पीएम शपथ ली। तब उनके सांसदों की संख्या 282 थी। पर अब यह संख्या घटकर 270 पर आ टिकी है। मई 2014 में जब मोदी ने शपथ ली थी। तभी केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे का हार्ट अटैक से निधन हो गया और यह सिलसिला अब तक जारी है। खास बात है कि जिन सीटों पर भाजपा के सांसद थे। उनकी मौत बाद हुए उपचुनाव में भाजपा यह सीटें गवां बैठी।
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उधर भाजपा सांसदों के आकस्मिक निधन से खाली हुई लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव नतीजे भाजपा के खिलाफ निकले। जैसे—यूपी की कैराना लोकसभा सीट से हुकुम सिंह भाजपा से सांसद थे। उनकी मौत के बाद हुए उपचुनाव में सपा व गठबंधन की संयुक्त प्रत्याशी तबस्सुम हसन को जीत मिली।
सिर्फ ये तीन सीटें बचा सकी भाजपा
भाजपा सांसदों की मौत के बाद भाजपा सिर्फ गोपीनाथ मुंडे की मौत के बाद खाली हुई बीड़, महाराष्ट्र, दलपत सिंह की मौत से रिक्त हुई शहडोल, मध्यप्रदेश और चिंतामन बंगा के निधन की वजह से खाली हुई पालघर, महाराष्ट्र की सीट ही बचा सकी। अन्य सभी सीटें भाजपा के कब्जे में नहीं आ सकी।
साढ़े चार सालों में इन सांसदों की हो चुकी है आकस्मिक मौत
इनमें दिलीप सिंह भूरिया, रतलाम, मध्यप्रदेश, गोपीनाथ मुंडे, बीड़, महाराष्ट्र, विनोद खन्ना, गुरदासपुर, पंजाब, चांदनाथ, अलवर, राजस्थान, सांवर लाल जाट, अजमेर, राजस्थान, हुकुम सिंह, कैराना, उत्तरप्रदेश, भोला सिंह, बेगूसराय, बिहार, अनंत कुमार, बेंगलुरु, कर्नाटक, अनिल माधव दवे, मध्यप्रदेश, राज्यसभा सांसद, दलपत सिंह, शहडोल, मध्यप्रदेश और चिंतामन बंगा, पालघर, महाराष्ट्र की लोकसभा सीटें शामिल हैं।
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