West Bengal: ...तो क्या अब बंगाल के भी होंगे टुकड़े? विधानसभा में टीएमसी लाएगी ये प्रस्ताव
West Bengal: पश्चिम बंगाल के कथित बंटवारे का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। राज्य के विभाजन की मांग के खिलाफ सत्तारूढ़ टीएमसी ने आक्रमक रूख अपनाया हुआ है। तृणमुल कांग्रेस इस मांग के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है।
West Bengal: पश्चिम बंगाल के कथित बंटवारे का मुद्दा एकबार फिर सुर्खियों में है। राज्य के विभाजन की मांग के खिलाफ सत्तारूढ़ टीएमसी ने आक्रमक रूख अपनाया हुआ है। तृणमूल कांग्रेस इस मांग के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। एक सीनियर टीएमसी लीडर ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि बंगाल को बांटने की कोशिश की जा रही है। पार्टी इसके खिलाफ सदन में प्रस्ताव ला सकती है। उन्हें उम्मीद है कि सत्ता पक्ष के अलावा विपक्षी सदस्य भी इसका समर्थन करेंगे।
पश्चिम बंगाल के बंटवारे की मांग
दरअसल, पश्चिम बंगाल के बंटवारे की मांग कोई नई मांग नहीं है। उत्तरी बंगाल के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले गोरखा लंबे समय से अपने लिए अलग गोरखालैंड राज्य की मांग करते रहे हैं। गोरखा संगठनों ने गोरखालैंड संघर्ष समिति नामक एक मोर्चा भी बना रखा है, जिसके बैनर तले वे समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने इसी मांग का समर्थन करने के मुद्दे पर बीजेपी को अपना राजनीतिक समर्थन दिया था और एसएस अहलूवालिया ने दार्जिलिंग सीट से जीत हासिल की थी।
बीजेपी सांसदों ने उठाई थी अलग राज्य की मांग
पश्चिम बंगाल के बंटवारे की मांग का मुद्दा तब जोर पकड़ने लगा, जब उत्तरी बंगाल के कुछ भाजपा सांसद इसके पक्ष में बयान देने लगे। 2021 में विधानसभा चुनाव के ऐन बाद अलीपुरद्वार से बीजेपी सांसद जॉन बारला ने कहा था कि उत्तर बंगाल के जिलों को जोड़कर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए।
बीजेपी के एक अन्य सांसद सौमित्र खान ने भी ऐसी ही मांग उठाई थी। उन्होंने कहा था कि राज्य के दक्षिण में पड़ने वाले जंगलमहल क्षेत्र को अलग करके एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए। खान ने कहा था कि पुरूलिया, बांकुड़ा, झारग्राम, बीरभूम के कुछ हिस्सों और दोनों मेदिनीपुर जिलों के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर अलग जंगलमहल राज्य बनाया जाना चाहिए।
विवाद बढ़ने पर बीजेपी ने झाड़ा पल्ला
हालांकि, पश्चिम बंगाल में विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी राज्य का बंटवारा नहीं चाहती। राज्य और केंद्र के किसी आला नेता ने अपने सांसदों के इन बयानों का समर्थन किया है। हालिया विवाद पर भी बीजेपी प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य साफ कर चुके हैं कि बीजेपी बंगाल के किसी भी प्रकार के बंटवारे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि टीएमसी की सरकार भ्रष्टाचार और घोटालों से घिरी हुई है, इसलिए लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे मुद्दों को हवा दिया जा रहा है।
ममता और कांग्रेस दोनों कर चुके हैं विरोध
भाजपा सांसदों के अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की मांग पर पिछले साल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक रैली के दौरान तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि वो किसी भी कीमत पर राज्य का बंटवारा नहीं होने देंगी। अलीपुरद्वार में एक रैली को संबोधित करते हुए बंगाल सीएम ने कहा था कि बीजेपी बंगाल को बांटने की बात कर रही है। मैं अपना खून दे दूंगी मगर ऐसा कभी नहीं होने दूंगी।
वहीं, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा में कांग्रेस के लीडर अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि बीजेपी बंगाल को बांटने की साजिश रच रही है। उन्होंने इसे आरएसएस की विचारधारा के बड़े प्लान का हिस्सा बताया था।
उत्तर बंगाल में मजबूत है बीजेपी
बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा समय – समय पर बंगाल के बंटवारे की मांग ऐसी ही नहीं होती। दरअसल, पश्चिम बंगाल में बीजेपी टीएमसी से सबसे अधिक मजबूत अगर किसी हिस्से में है तो वो है नॉर्थ बंगाल। उत्तरी बंगाल में कुल 54 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से बीजेपी ने 2021 में 30 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस इलाके में लोकसभा की 8 सीटें आती हैं, जिनमें से बीजेपी ने सात पर जीत दर्ज की थी।