अफजाल अंसारी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को भेजा नोटिस, कोर्ट में सिंघवी ने दी ये दलील
Supreme Court on Afzal Ansari: बसपा नेता अफजाल अंसारी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को नोटिस भेजा है। अगली सुनवाई की तारीख 25 सितंबर तय की गई है।
Supreme Court on Afzal Ansari: सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) नेता अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। अफजाल अंसारी के गैंगस्टर एक्ट (Afzal Ansari Gangster Act) वाले मामले में सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार (15 सितंबर) को सुनवाई हुई। इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर,2023 को होगी। बता दें, इस मामले में पहले ही अफजाल अंसारी को दोषी ठहराया गया है, जिस पर उन्होंने कोर्ट से रोक की मांग की है।
आपको बता दें, गाजीपुर से निवर्तमान बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी की गैंगस्टर मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर 15 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। अफजाल की याचिका पर उत्तर प्रदेश ने नोटिस जारी किया है। अफजाल अंसारी के वकील ने कहा कि, 'उनके मुवक्किल ने सात बार चुनाव जीता है। जनता का समर्थन हासिल है। वो मौजूदा सांसद हैं।'
मुख्तार पर गैंग चलाने के आरोप, अफजाल पर नहीं
अफजाल अंसारी की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने कोर्ट में दलील दी कि, 'अफजाल को दूसरे किसी भी आपराधिक मामले में कोई सजा नहीं हुई है। ये पहला मामला है, जिसमें उन्हें सजा हुई है। उन्होंने कहा, अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) पर गैंग चलाने का आरोप है, उनके मुवक्किल पर नहीं।
कृष्णानंद राय हत्याकांड में आरोपी थे अफजाल
बसपा नेता के एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत को बताया, 'कृष्णानंद राय हत्याकांड (Krishnanand Rai murder case) में अफजाल अंसारी को आरोपी बनाया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर मामले में अफजाल की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार किया था। हालांकि, इससे पहले एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court) ने गैंगस्टर एक्ट मामले में उन्हें दोषी करार दिया था।'
4 साल की सजा सुनाई थी
ज्ञात हो कि, एमपी-एमएलए कोर्ट ने अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा सुनाई थी। सजा का ऐलान होने के बाद अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद अफजाल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। मगर, अदालत ने मामले को खारिज कर दिया था।