शिशिर कुमार सिन्हा
पटना: राजस्थान के उपचुनाव के तुरंत बाद अब बिहार में सरकार की अग्निपरीक्षा सामने है। राजस्थान की तरह ही बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सत्ता में है और निर्वाचन आयोग ने बिहार की एक लोकसभा और दो विधानसभा सीट के उपचुनाव की घोषणा कर दी है। अररिया लोकसभा सीट के साथ भभुआ और जहानाबाद विधानसभा सीट का उपचुनाव 11 मार्च को होगा। तीनों उपचुनावों के लिए मतगणना 14 मार्च को होगी।
राजस्थान के उपचुनाव में तीनों सीटों पर बीजेपी की हार को कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी की उल्टी गिनती शुरू होने का संकेत बताकर बड़ी बहस छेड़ रखी है। अब बिहार की तीन सीटों के उपचुनाव में एक बार फिर सत्ता की प्रतिष्ठा फंस रही है।
सबका अपना दांव
दरअसल, अररिया लोकसभा सीट राजद सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन से खाली है। राजद अपनी सीट के नाते यहां अपना प्रत्याशी उतारना चाह रहा और कांग्रेस, बीजेपी को टक्कर देने के लिए खुद को राष्ट्रीय पार्टी बताते हुए सीट पर अपना प्रत्याशी उतारकर महागठबंधन के नाते राजद का समर्थन चाहती है। दूसरी तरफ, राजद की सीट होने के कारण उसके खिलाफ राजग की ओर से जदयू यहां अपना प्रत्याशी देना चाह रहा है।
बीजेपी शायद ही रिस्क ले
माना जा रहा है, कि जातिगत समीकरण के कारण बीजेपी, जदयू प्रत्याशी के लिए मान भी जाए। बीजेपी इस सीट के बहाने अपनी छवि पर शायद ही रिस्क ले, यह भी कहा जा रहा है। भभुआ विधानसभा सीट बीजेपी विधायक आनंद भूषण पांडेय और जहानाबाद सीट बिहार के पूर्व मंत्री मुंद्रिका सिंह यादव (राजद) की डेंगू से मौत के बाद पिछले साल खाली हुई थी।