अलका के इस्तीफे पर मचा हड़कंप, अब इस पार्टी में होंगी ये शामिल

आम आदमी पार्टी को अब एक नया झटका चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने आज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अलका ने ये घोषणा अपने ट्विटर अकाउंट पर की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'AAP को गुड बाय कहने का समय आ गया है।

Update: 2023-03-29 12:13 GMT

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी को अब एक नया झटका चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने आज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अलका ने ये घोषणा अपने ट्विटर अकाउंट पर की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'AAP को गुड बाय कहने का समय आ गया है। पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।' कुछ समय पहले अलका लांबा ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। ऐसा कहा जा रहा था कि अलका जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं।



ये भी देखें:चालान पर ऐसा गुस्सा! बाईक का कर डाला ये हाल

हो सकती हैं कांग्रेस में शामिल

अलका ने बीते मंगलवार को अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। सोनिया के आवास पर हुई इस मुलाकात के बाद अगले साल की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अलका के कांग्रेस में शामिल होने की खबरें तेजी से आ रही हैं।

अगस्त में बता दिया था अपना फैसला

अलका पिछले कई महीनों से AAP के साथ विभिन्न मुद्दों पर भिड़ती नजर आ रही थीं। अगस्त की शुरुआत में अलका ने कहा था कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया है और वह एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी।

अलका के इस बयान के बाद पार्टी ने भी कहा था कि वह उनका इस्तीफा स्वीकार करने के लिए तैयार है। कुछ समय पहले संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद लांबा ने AAP की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने पार्टी प्रमुख और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से जवाबदेही मांगी थी, जिसके बाद उन्हें AAP सदस्यों के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप से हटा दिया गया था।

ये भी देखें:गणेश जी चमकाएंगे किस्मत, अनंत चतुर्दशी से पहले कर लें यह काम

नहीं हुई थी पार्टी के लोकसभा अभियान में शामिल

अलका लंबा पार्टी के लोकसभा अभियान में भी शामिल नहीं हुई थीं। अगले साल की शुरुआत में दिल्ली में 70 विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनाव होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनावों में अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए 70 में से 67 सीटें जीती थीं। वहीं बात करे तो, 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस इस चुनाव में कुछ भी नहीं कर पाई थी।

Tags:    

Similar News