लद्दाख में चीन और भारत की सेना आमने-सामने, दोनों देशों के बीच आज होगी बातचीत

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मुद्दा अभी पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है। जानकारी के मुताबिक बुधवार को तकरीबन 4 घंटे मेजर -जनरल लेवल की बातचीत हुई।

Update: 2020-06-11 07:04 GMT

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मुद्दा अभी पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है। जानकारी के मुताबिक बुधवार को तकरीबन 4 घंटे मेजर -जनरल लेवल की बातचीत हुई।

ये बैठक गुरुवार के दिन भी चीन के साथ जारी रहेगी, लेकिन इसबार बातचीत का स्तर और लोकेशन अभी स्पष्ट नहीं है। दोनों देशों की तरफ से कल की बातचीत को सार्थक बताया गया।

साथ ही लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीनी सेना के कदम पीछे खींचे जाने की बात भी सामने आई है।

सूत्रों के मुताबिक बातचीत के बाद चीन ने भले ही अपनी सेना को पीछे हटा लिया है लेकिन उसके 10 हजार से अधिक जवान एलएसी पर अभी भी बने हुए हैं। खतरे को भांपते हुए भारतीय सेना भी अपनी चौकसी बढ़ा दी है, चीन कोई चालाकी न कर पाए इसके लिए भारत की

दस से बारह हजार सैनिकों की अतिरिक्त टुकड़ी सीमा पर मुस्तैद रात-दिन मुस्तैद है। सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि जबतक चीनी सेना सीमा से पूरी तरह से नहीं लौट जाती तब तक भारतीय सेना यहां से हटने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है।

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कई स्तर पर होगी बातचीत

बता दें कि बीते दिनों हुई मीटिंग के दौरान मेजर जनरल स्तर के अधिकारी शामिल हुए थे। पूर्वी लद्दाख के एलएसी के करीब हुई बातचीत की ये किश्त 6 जून की हुई बातचीत से आगे का है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार चीन के साथ कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर जनरल समेत कई स्तर पर वार्तालाप होना है। जिसमें एलएसी पर पेट्रोलिंग प्वाइंट 14, पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और 17 पर टेंशन कम करने को लेकर बातचीत होगी।

मालूम हो कि 6 जून को चीन और भारत के सैन्य अफसरों के बीच जो बातचीत हुई थी उससे दोनों देशों के बीच थोड़ी नरमी जरूर देखने को मिली लेकिन चीन के व्यवहार में कोई ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला।

यही वजह है कि पैंगॉन्ग झील में टेंशन बनी हुई है। इस बीच केंद्र सरकार ने बड़ा दावा किया है, जिसमें कहा गया है कि पैंगॉन्ग के किनारे पर फिंगर 1 से फिंगर 8 तक सभी इलाके भारत के हैं।

ये बात चीन मानने को तैयार नहीं है। पैंगॉन्ग झील, गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग को जोड़नेवाली एक और सड़क के निर्माण को लेकर भी चीन ने राह में रोड़े अटकाने का काम किया है। इसको लेकर ही बातचीत चल रही है।

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