Lok Sabha Election 2024: नीतीश कुमार हो सकते हैं यूपीए चेयरमैन, सभी दलों को जोड़ने की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष दलों में एकता साफ नजर आ रही है। एनडीए को मात देने के लिए नीतीश कुमार लगातार विपक्ष के नेताओं से मिलकर रणनीति तैयार कर रहे हैं।
;

Update:2023-06-18 13:34 IST
Lok Sabha Election 2024: नीतीश कुमार हो सकते हैं यूपीए चेयरमैन, सभी दलों को जोड़ने की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर
CM Nitish Kumar (Image: Social Media)
  • whatsapp icon
Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए को मात देने के लिए विपक्षी दलों में तेज सियासी हलचल दिखने लगी है। एक दूसरे के खिलाफ ज़हर उगलने वाले दल एक दूसरे के गलबहियां डाले दिखने लगे हैं। आपसी मतभेद फ़िलहाल भुलाकर एक मंच पर आने की क़वायद तेज हो गई है। बिहार में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से पहले कई मुद्दों पर आपसी सहमति भी बन गई है। सब कुछ ठीक रहा तो बैठक के बाद अब तक जिन मुद्दों पर सहमति बनी है, उनके बारे में काफ़ी साफ कर दिया जायेगा।

सूत्रों की मानें तो अब तक तय फार्मूले के मुताबिक नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar News) इलाहाबाद के बगल की फूलपुर सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। इस सीट से जवाहर लाल नेहरु व राम मनोहर लोहिया भी लड़ चुके हैं। इस बार भाजपा को गैर यादव गैर कुर्मी ओबीसी का ही समीकरण साधना होगा। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, कांग्रेस, जयंत चौधरी, रावण, जेडीयू के साथ ही तमाम छोटे दलों के साथ मिलकर फिर एक मोर्चा बना कर लड़ने की तैयारी में हैं। उत्तर प्रदेश और यहाँ से बाहर के हर दल से गठबंधन के लिए बातचीत करने की ज़िम्मेदारी नीतीश कुमार पर डाली गई है।

अभी तक तय फ़ार्मूले के मुताबिक़ प्रधानमंत्री का कोई चेहरा सामने नहीं किया जायेगा। यूपीए अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी नीतीश पर होगी। सूत्र बताते हैं कि नये गठबंधन में ममता, शरद पवार, शिवसेना, अखिलेश यादव, जयंत चौधरी, चंद्रशेखर राव, शरद पवार,अरविंद केजरीवाल, शिबू शोरेन, तेजस्वी यादव, महबूबा सईद, उमर अब्दुल्ला, जगन रेड्डी , स्टालिन और चौटाला सभी शामिल होंगे। यह भी कहा जा सकता है कि सीबीआई व ईडी की गिरफ़्त में आये सभी नेता एक मंच पर इकट्ठे होने की हामी भर चुके हैं। लेकिन जिस तरह अलग अलग राज्यों में कांग्रेस को साथ क्षेत्रीय दल दो दो हाथ कर रहे हैं। उससे यह दावा दूर की कौड़ी लगता है।

टोटकों के लिहाज से देखा जा रहा है कि 1977 में इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए बिहार के नेता के कंधे पर आंदोलन के ज़िम्मेदारी थी। रचना भी बिहार में ही तैयार हुई थी। कुछ उसी को दोहराने की तैयारी चल रही है।

Tags:    

Similar News