Telangana OBC Reservation: तेलंगाना में कांग्रेस का ओबीसी कार्ड, पिछड़ों को 42 फीसदी आरक्षण का बिल पास, भाजपा ने भी किया समर्थन

Telangana OBC Reservation: तेलंगाना सरकार की ओर से पिछले दिनों राज्य में कास्ट सर्वे कराया गया था। इस सर्वे से पता चला था कि राज्य में 56.33 लोग पिछड़ी जातियों के हैं। इसमें मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी जातियां भी शामिल हैं।;

Update:2025-03-18 10:50 IST

Revanth Reddy  (photo: social media )

Telangana OBC Reservation: तेलंगाना में रेवंत रेड्डी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले किए गए वादे को पूरा करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्य में कास्ट सर्वे के बाद सरकार पिछड़ी जातियों को 42 फ़ीसदी आरक्षण देने जा रही है। अभी तक राज्य में ओबीसी को 23 फीसदी आरक्षण मिल रहा था मगर अब इसे बढ़ाकर 42 फ़ीसदी करने का बिल विधानसभा में पारित हो गया है। अगर यह लागू हो गया तो राज्य में आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 62 फ़ीसदी हो जाएगी।

राज्य के कांग्रेस सरकार की ओर से विधानसभा में पेश किए गए इस विधेयक का कांग्रेस के अलावा बीआरएस और भारतीय जनता पार्टी ने भी समर्थन किया है। विधानसभा में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि चुनाव से पहले राहुल गांधी ने ओबीसी को 42 फ़ीसदी आरक्षण देने का वादा किया था और हमने इस वादे को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया है।

कास्ट सर्वे के बाद पिछड़ी जातियों को आरक्षण

तेलंगाना सरकार की ओर से पिछले दिनों राज्य में कास्ट सर्वे कराया गया था। इस सर्वे से पता चला था कि राज्य में 56.33 लोग पिछड़ी जातियों के हैं। इसमें मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी जातियां भी शामिल हैं। इस सर्वे के बाद राज्य सरकार ने पिछड़ी जातियों का आरक्षण बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

राज्य विधानसभा में पिछड़ी जातियों का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पेश करते हुए पिछड़ी जाति कल्याण मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने कहा कि तेलंगाना विधानसभा से देश भर में एक संदेश जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में सभी दलों की ओर से पिछड़ी जातियों को 42 फ़ीसदी आरक्षण देने का समर्थन किया गया है।

कांग्रेस ने पूरा किया अपना वादा

इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से पार्टी को राज्य की सत्ता मिलने पर पिछड़ों को 42 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया गया था। हमने उसेभ वादे को पूरा करने की दिशा में कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि सबसे अच्छी बात यह है कि सरकार की ओर से पेश किए गए इस विधेयक को सभी राजनीतिक दलों की ओर से समर्थन मिल रहा है। इससे देश में अच्छा संदेश जाएगा।

उन्होंने बिल का समर्थन करने वाले सभी दलों के प्रति आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि 42 फ़ीसदी आरक्षण की राह में आने वाली सभी रूकावटों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए सभी दलों के नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करनी चाहिए।

इस आरक्षण को लागू करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करना जरूरी है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और बांदी संजय कुमार से पीएम से मिलने का समय दिलवाने में मदद की अपील भी की।

बीआरएस और भाजपा ने दिया समर्थन

बीआरएस नेता हरीश राव ने इस बिल को बिना शर्त समर्थन देने की बात कही। पार्टी के नेता गांगुला कमलाकार ने कहा कि अतीत में पिछड़ी जातियों के साथ देश में काफी अन्याय हो चुका है। पिछड़ी जातियों को न्याय दिलाने के लिए हम इस आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं। भाजपा की पायल शंकर ने कहा कि कांग्रेस की वजह से पिछड़ों को आरक्षण देने में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि हम इस बिल का समर्थन जरुर करते हैं मगर यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राज्य में कराया गया कास्ट सर्वे वैज्ञानिक था या नहीं। उन्होंने धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने का भी विरोध किया।

प्रस्ताव लागू करने पर बना हुआ है संशय

विधानसभा में यह विधेयक पारित होने के बाद भी इसे लागू करने पर संशय बना हुआ है। अगर यह लागू होता है तो राज्य में आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 62 फ़ीसदी हो जाएगी। यह सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई 50 फ़ीसदी आरक्षण की सीमा का उल्लंघन होगा।

आरक्षण को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन और केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी जो कि आसान नहीं माना जा रहा है। इससे पहले बिहार में भी आरक्षण बढ़ाने का कदम उठाया गया था मगर हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

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