2021 में कोरोना खत्म! नए साल में मिलेगी सबको वैक्सीन, देश ने की तैयारी

इस साल 11 जनवरी को चीन ने कोरोना वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस को दुनिया के साथ शेयर किया था। इसी दिन विश्व भर में देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दीं थीं।

Update: 2020-12-09 08:54 GMT
2021 में कोरोना खत्म! नए साल में मिलेगी सबको वैक्सीन, देश ने की तैयारी (PC: social media)

लखनऊ: उम्मीद है कि कोरोना की दो वैक्सीनें अगले साल जनवरी में लोगों के लिए उपलब्ध हो जायेंगी जबकि चार अन्य वैक्सीनें अप्रैल के अंत तक आ जायेंगी। सरकार को ऑक्सफ़ोर्ड और भारत बायोटेक की वैक्सीन जनवरी में आ जाने की उम्मीद है। सभी 6 वैक्सीन आ जाने के बाद जुलाई तक 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।

ऑक्सफ़ोर्ड-आस्ट्रा ज़ेनेका की कोविडशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी माँगी गयी है जबकि भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के लिए जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में अप्रूवल मांगे जाने की संभावना है। अमेरिका की फाइजर ने भी अपनी वैक्सीन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है।

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क्या रहा अब तक का सफ़र

इस साल 11 जनवरी को चीन ने कोरोना वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस को दुनिया के साथ शेयर किया था। इसी दिन विश्व भर में देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दीं थीं। इसके बाद 15 मार्च को अमेरिका की बायोटेक कंपनी मॉडर्ना और हफ्ते भर बाद ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने कोरोना की वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल शुरू करने की घोषणा की थी।

भारत में 19 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया था कि एक उच्च स्तरीय टास्क फ़ोर्स वैक्सीन के डेवलपमेंट का रास्ता तलाशेगी। यहाँ से भारत में कोरोना की वैक्सीन का सफ़र शुरू हुआ। जुलाई आते आते भारतीय नियामक यानी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा विकसित पहली स्वदेशी वैक्सीन के पहले चरण के ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी दे दी। कुछ उतार चढ़ावों के बाद अब भारत अंततः कोरोना की वैक्सीन पाने की कगार पर पहुँच गया है। भारत में 5 वैक्सीनें ट्रायल के अलग अलग चरणों में हैं और उम्मीद की जा रही है कि अगले चंद हफ़्तों में भारत की पाही वैक्सीन की लॉन्चिंग हो जायेगी। अब तो अमेरिका की फाइजर कंपनी ने भी भारत में अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति माँगी है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने भी अपनी वैक्सीन के लिए अनुमति माँगी है।

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बहुत बाद काम होना है

भारत में वैक्सीन लगाने का काम बहुत व्यापक पैमाने पर किया जाने वाला काम होगा। अधिक अधिक लोगों को वैक्सीन लगनी हैं और हर व्यक्ति को कम से कम दो खुराकें दी जानी होंगी। यूं तो फैक्ट्री से सिरिंज तक का सफ़र मोटे तौर पर तीन स्टेज में होता है.. परिवहन, भण्डारण और टीकाकरण। अच्छी बात ये है कि भारत का काफी कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से बना बनाया है। दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण प्रोग्राम में से एक भारत में ही चलता है जिसमें करीब 2.67 नवजात शिशुओं और 2.9 गर्भ्वाते महिलाओं को 12 बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाये जाते हैं।

भारत में सामान्य टीकाकरण प्रोग्राम की शुरुआत 1984 में हुई थी और तबसे देश में 26 हजार से अधिक कोल्ड चेन नेटवर्क पॉइंट्स का नेटवर्क बनाया जा चुका है। इन पॉइंट्स में वैक्सीनों के तापमान को मोनिटर किया जाता है। कोरोना की वैक्सीन के लिए इसी नेटवर्क को और मजबूती दी गयी है।

असली चुनौती

असली चुनौती लोगों तक वैक्सीन पहुंचाना और बाद में उनको ट्रैक करने की होगी। कोरोना की वैक्सीन सभी आयु वर्ग के लोगों को लगाई जानी है और इनमें वो भी हैं जिनको पहले से कोई बीमारी है। वैक्सीन को शहर से लेकर सुदूर इलाकों तक पहुंचाया जाना है। इसके अलावा कोरोना के अलग अलग तरह की वैक्सीन रोलआउट होगी तो हर वैक्सीन के भण्डारण और ट्रांसपोर्टेशन की अलग अलग जरूरत भी पड़ने वाली है।

हर वैक्सीन को सही तापमान पर रखना और लाभार्थी तक पहुंचाना एक बड़ा काम होने वाला है। इसके लिए पहले से स्थापित इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (ईविन) सॉफ्टवेयर की मदद ली जायेगी। ईविन का इस्तेमाल पहले से किया जा रहा है और कोरोना के लिए इसमें जरूरी बदलाव किये गए हैं। अब इसे ‘को-विन’ नाम दिया गया है। इसी सॉफ्टवेयर के जरिये लाभार्थी को ट्रैक किया जाएगा और वैक्सीन लगने के बाद यदि कोई दुष्परिणाम नहीं आया तो क्यूआर आधारित डिजिटल प्रमाणपत्र जनरेट होगा। सबसे पहले वैक्सीन स्वास्थ्य कर्मियों को लगनी है इसलिए को-विन के डेटाबेस में देशभर के हेल्थ वर्कर्स की जानकारी फीड की जा रही है।

भण्डारण और वितरण

कोरोना वैक्सीन के रोडमैप का महत्त्वपूर्ण हिस्सा कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का है। अभी तक सरकार ने 28947 कोल्ड चेन पॉइंट्स की पहचान कर ली है। ये पॉइंट्स वस्तुतः प्राइमरी और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर से लेकर राज्य व क्षेत्रीय लेवल पर स्थित हैं जहाँ डीप फ्रीज़र, बर्फ की परत वाले फ्रिज और कूलर बने हुए हैं। इन सेंटरों में वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस में स्टोर किया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन देने के लिए इतना इंतजाम पर्याप्त है। इसक साथ ही साथ फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के पास उपलब्ध कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए भी काम किया जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में करीब 20 हजार ऐसे ट्रक हैं जिनमें माइनस 25 डिग्री तापमान तक स्टोरेज किया जा सकता है।

कुछ गड़बड़ी हो गयी तो

वैक्सीन के साथ इसके दुष्परिणामों की भी आशंका रहती है। भारत में यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत ‘एडवर्स इवेंट्स फोलोइंग इम्यूनाइजेशन’ नामक तंत्र स्थापित है जिसमें डाक्टर, डेटा स्पेशलिस्ट और स्वास्थ्यकर्मी शामिल होते हैं। अब पहली बार इस तंत्र को नयी वैक्सीन और नए आयुवर्ग पर निगरानी रखनी होगी। चूँकि कोरोना की वैक्सीन में सब काम सुपरफ़ास्ट स्पीड से हो रहा है और वैक्सीन की इमरजेंसी मंजूरी दी गयी है सो किसी साइड इफेक्ट की रिपोर्टिंग बेहद महत्वपूर्ण होगी।

बन गयी है लिस्ट

सरकार ने वैक्सीन की खुराक देने की एक वरीयता क्रम तैयार की है और इनमें सबसे पहले फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर होंगे, दूसरे नंबर पर सेना, पुलिस, फायर ब्रिगेड और नगर निगम कर्मचारी होंगे, तीसरे नंबर पर 50 साल पार कर चुके लोग होंगे और चौथे नंबर 50 से कम उम्र के उन लोगों का टीकाकरण होगा, जो गंभीर बीमारी से ग्रसित होंगे। जो इन वर्गों में नहीं हैं उनको अभी इन्तजार करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार दुनिया की 69-70 आबादी को कोरोनावायरस के खिलाफ टीकाकरण प्राप्त करने के लिए दो साल का समय लग सकता है।

टीकाकरण की वरीयता क्रम में सरकार से सबसे पहले फ्रंटलाइन हेल्थवर्कर्स को रखा गया है

टीकाकरण की वरीयता क्रम में सरकार से सबसे पहले फ्रंटलाइन हेल्थवर्कर्स को रखा गया है जो महामारी की शुरूआत से कोरोना से लड़ाई लड़ रहे हैं। इनमें चिकित्सक, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, हेल्थकेयर सपोर्ट स्टाफ शामिल हैं। सरकार का मानना है कि ये सभी लोगो कोरोना महामारी मरीजों के सबसे ज्यादा संपर्क में आते हैं, इसलिए उन्हें महामारी से अधिक खतरा है। इस वजह से सबसे पहले टीकाकरण की वरीयता में उन्हें सबसे ऊपर रखा गया है। सरकार ने सेना, पुलिस और फायर बिग्रेड के जवान और नगर निगम के कर्मचारियों को टीकाकरण की वरीयता क्रम में दूसरे नंबर रखा गया है। सरकार ने टीकाकरण की वरीयता क्रम में 50 वर्ष से अधिक उम्र को लोगों को तीसरे नंबर रखा है क्योंकि माना जाता है कि कोरोना महामारी का संक्रमण का असर 50 की उम्र पार कर चुके लोगों पर अधिक पड़ता है।

चौथी वरीयता में टीकाकरण के लिए 50 साल से कम उम्र वाले ऐसे लोग आएंगे जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। हालांकि इस वरीयता क्रम वाले लोगों के टीकाकरण के लिए बीमारियों के हिसाब से कैटेगरी बनाई जा सकती है। मसलन किडनी की हल्की बीमारी और हल्के ब्लड प्रेशर वाले मरीजों को अंत में टीकाकरण के लिए चुना जा सकता है, जबकि हाई ब्लड प्रेशर मरीज को पहले मौका दिया जाएगा।

एहतियात के उपाए जारी रखने होंगे

कोरोना से बचाव के लिए सिर्फ वैक्सीन ही काफी नहीं होगी बल्कि एहतियात के वैकल्पिक साधनों पर फोकस करना जरूरी है सो कोरोना से बचाव के लिए गाइडलाइन को फॉलो करें। एक नए अध्ययन के हवाले से पता चला है कि विटामिन डी कोरोना से सुरक्षा में काफी मददगार साबित हो सकता है और विटामिन डी की कमी के चलते भी कोरोना का खतरा बढ़ जाता है। जिंक, विटामिन सी और विटामिन डी दवाइयों का सप्लीमेंट कोरोना वायरस से सुरक्षा में बेहद मददगार हैं। इन तीनों का उपयोग कोरोना संक्रमित ही नहीं, बल्कि संक्रमण से सुरक्षा के लिए भी उतने ही कारगर है, क्योंकि तीनों की कमी शरीर में प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर बनाती है।

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मास्क संक्रमण के खिलाफ सबसे अच्छे बचाव के रूप में काम करते हैं। वैक्सीन लेने की तुलना में फेस मास्क कोविद -19 से बचने की अधिक गारंटी देता है। वैक्सीन लेने के बाद टीके कितने प्रभावी होंगे, इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता है। वैसे भी वैज्ञानिक कह चुके हैं कि पहला वैक्सीन ज्यादा प्रभावी नहीं होगा। इसके अलावा हाथ धोते रहे और भीड़ से दूर रहें।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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