Delhi MCD Election 2022: यूं ही नहीं ढहा BJP का 'किला', केजरीवाल के पक्ष में रहे इस फैक्टर ने किया कमाल

Delhi MCD Election 2022: एमसीडी चुनाव में AAP का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला। AAP बीजेपी की 'बदले की राजनीति' सहित अन्य मुद्दों को समझाने में कामयाब रही।

Written By :  aman
Update: 2022-12-07 13:07 GMT

अरविंद केजरीवाल (Social Media)

Delhi MCD Election Results 2022: दिल्ली निकाय चुनाव (MCD) में आम आदमी पार्टी (AAP) ने जीत का परचम लहरा दिया है। AAP ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 15 वर्षों का वर्चस्व तोड़ दिया। पिछले 3 बार से दिल्ली नगर निगम में जमी बीजेपी की सत्ता पर AAP ने 'झाड़ू' फेर दिया। घोषित आंकड़ों के अनुसार, एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर कुल 134 सीटें जीत ली है। वहीं, बीजेपी ने 104 सीटें पर जीत का परचम लहराया। 9 सीटें कांग्रेस को तो 3 सीटें निर्दलीय प्रत्याशी ने हासिल की। AAP दिल्लीवासियों का भरोसा जीतने में सफल रही। 

एमसीडी के परिणाम आने के बाद अब आम आदमी पार्टी (AAP) की कामयाबी की समीक्षा होने लगी है। AAP और अरविंद केजरीवाल के 'जादू' के मायने तलाशे जा रहे हैं। देखें तो इस बार के नतीजों से एक बात तो स्पष्ट है कि एमसीडी चुनाव में 'सत्ता विरोधी लहर' बड़ा कारक था। इस फैक्टर ने आम आदमी पार्टी को शिखर तक पहुंचाया। दिल्ली निकाय चुनाव में जहां AAP ने पूरी ताकत झोंकी वहीं, बीजेपी ने तो अपना पूरा तंत्र ही लगा दिया था। कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने भी प्रचार और रोड शो किए। बावजूद सफलता का स्वाद नहीं चख पाए। केजरीवाल सरकार की सफलता के मुख्य बिंदु कुछ इस प्रकार रहे। 

Anti Incumbency रहा फैक्टर

एमसीडी चुनाव में बीजेपी 15 वर्षों से सत्ता में थी। माना जा रहा है कि, इसलिए भी 'सत्ता विरोधी लहर' देखने को मिली। मतलब, इस चुनाव में Anti Incumbency फैक्टर ने काम किया। शायद यही वजह थी, कि इस बार दिल्ली नगर चुनाव में बमुश्किल 50 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदाताओं में उत्साह की कमी रही। दिल्ली के वोटर्स उदासीन रहे। वो घर से बाहर निकलने से भी परहेज करते दिखे। इसका फायदा आम आदमी को मिला। 

बीजेपी कर रही 'बदले की राजनीति', समझाने में सफल  

बीजेपी के प्रति निराशा के भाव के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) इस बात को समझाने में सफल रही कि, भारतीय जनता पार्टी उसके साथ 'बदले की राजनीति' कर रही है। केंद्र की सत्ता में काबिज बीजेपी AAP को काम करने नहीं दे रही। भाजपा लगातार सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है। AAP डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ शराब घोटाले में CBI तथा ED की कार्रवाई को बीजेपी की बदले की भावना से जोड़ने में कामयाब रही। वहीं, AAP के कैबिनेट मंत्री और 6 महीने से जेल में बंद सत्येंद्र जैन का स्टिंग भी आम आदमी पार्टी समर्थकों को पसंद नहीं आया। इसलिए, दिल्ली की जनता ने AAP की ओर किए गए वादों को तवज्जो दी। उस पर भरोसा जताया। जिसका परिणाम रहा बीजेपी के खिलाफ मतदान किया। 

'कूड़े के पहाड़' जैसे जुमले रहे कारगर 

दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों का वेतन भी इस चुनाव का एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा। बता दें कि, MCD कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा था जिससे उनके द्वारा समय-समय पर हड़ताल किया जाता था। कर्मचारियों के हड़ताल की वजह से दिल्ली के गली-मोहल्लों में कूड़े का ढ़ेर लग जाता था। इससे भी दिल्ली वासी परेशान थे। कई इलाकों की खराब सड़कें और एमसीडी स्कूल की बदहाली भी बीजेपी के खिलाफ लोगों को उकसाने में आग में घी का काम की। इसका फायदा AAP ने उठाया। चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी 'कूड़े के पहाड़' जैसे जुमलों को लगातार बोलती रही। इसका असर दिल्लीवासियों पर दिखा। 

बीजेपी के 'डबल इंजन' से AAP कामयाब  

बीजेपी अक्सर 'डबल इंजन' सरकार की दुहाई देती रहती है। दिल्ली एमसीडी चुनाव में AAP ने भी 'डबल इंजन' सरकार की बात की। क्योंकि, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार पहले से है, अगर एमसीडी भी उसके हाथ में होगी तो 'डबल इंजन सरकार' के रूप में मिलकर काम करेगी। शायद दिल्ली के लोगों को ये बात पसंद आई। दिल्ली की बेहतरी के लिए लोगों ने 'झाड़ू' को वोट देकर बीजेपी के सपनों पर पानी फेर दिया। ज़ाहिर तौर पर व्यवसायियों के साथ किए गए वादे और केजरीवाल की छवि भी लोगों को पसंद आई।

हार्ड कोर हिंदुत्व बनाम 'सॉफ्ट हिंदुत्व' 

इसके अलावा, अरविंद केजरीवाल का 'सॉफ्ट हिंदुत्व' भी AAP के काम आया। चुनाव में विकास की भले ही जितनी बातें हों, जाति और धर्म का मसला आ ही जाता है। बीजेपी को जहां 'हार्ड कोर हिंदुत्व' की पहचान के तौर पर देखा जाता है, वहीं ब्रांड केजरीवाल दिल्ली के मतदाताओं के बीच 'सॉफ्ट हिंदुत्व' का चेहरा के रूप में लोकप्रिय हैं। केजरीवाल के इसी व्यक्तित्व का कमाल भी इस इलेक्शन में दिखा। 

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