What is DONKEY PROCESS: डंकी प्रक्रिया क्या है, कैसे अवैध रास्तों का सफर पड़ता है महंगा

Donkey Process In Hindi: डंकी प्रोसेस का उल्लेख आमतौर पर प्रवास या इमिग्रेशन से जुड़े उस गैर-कानूनी तरीके के लिए किया जाता है, जिसके तहत लोग अवैध रूप से दूसरे देशों में जाने का प्रयास करते हैं।;

Written By :  AKshita Pidiha
Update:2025-01-05 08:00 IST

DONKEY PROCESS (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Donkey Process Kya Hai In Hindi: ‘डंकी’ शब्द की उत्पत्ति पंजाबी मुहावरे से हुई है, जिसका अर्थ है "एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।" वर्तमान संदर्भ में, यह शब्द अवैध इमिग्रेशन का प्रतीक बन गया है, खासकर जब लोग गैर-कानूनी तरीके से किसी दूसरे देश में जाने का प्रयास करते हैं। यह रूट अमेरिका, कनाडा और यूरोप जैसे विकसित देशों में पहुंचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया न केवल अत्यधिक महंगी है, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकती है।

डंकी प्रोसेस (Donkey Process) का उल्लेख आमतौर पर प्रवास या इमिग्रेशन से जुड़े उस गैर-कानूनी तरीके के लिए किया जाता है, जिसके तहत लोग अवैध रूप से दूसरे देशों में जाने का प्रयास करते हैं। खासकर, यह शब्द उन तरीकों के संदर्भ में इस्तेमाल होता है, जिनमें लोग कठिन और खतरनाक रास्तों से यूरोप, अमेरिका या अन्य देशों में पहुंचने की कोशिश करते हैं। इसमें मानव तस्करी, फर्जी दस्तावेज और बेहद जोखिम भरे सफर जैसे पहाड़ी इलाकों, जंगलों, या समुद्री रास्तों से होकर गुजरने की घटनाएं शामिल होती हैं।

डंकी प्रोसेस (Donkey Process) के मुख्य बिंदु:

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बिना वैध वीज़ा और दस्तावेज़ों के दूसरे देश में प्रवेश करना। इसमें मानव तस्कर (human smugglers) की मदद ली जाती है, जो इसके बदले भारी रकम वसूलते हैं। इसमें खतरनाक रास्ते, जैसे रेगिस्तान, पहाड़, जंगल और समुद्री क्षेत्र शामिल होते हैं। इस प्रक्रिया में लोगों की जान को गंभीर खतरा होता है। मानव तस्कर कई बार प्रवासियों को धोखा देते हैं और उन्हें गुमराह करते हैं। कुछ मामलों में लोग बंधुआ मजदूरी या अवैध गतिविधियों में फंस जाते हैं।

हिंदुस्तान में डंकी प्रोसेस (Donkey Process In India)

भारत से बड़ी संख्या में लोग बेहतर रोजगार, जीवन स्तर और अवसरों की तलाश में विदेश जाना चाहते हैं। जब वैध तरीकों से जाना संभव नहीं होता, तो कुछ लोग गैर-कानूनी रास्तों का सहारा लेते हैं। पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों से यह प्रक्रिया अधिक प्रचलित है। अक्सर मध्य-पूर्वी देशों, तुर्की, ईरान और बाल्कन देशों के रास्ते यूरोप पहुंचने की कोशिश की जाती है।

भारत में डंकी प्रोसेस का प्रचलन: भारत में डंकी प्रोसेस का खासा प्रभाव 1980 के दशक से देखने को मिला। भारतीय नागरिकों की बढ़ती संख्या ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, कनाडा और यूरोप में बेहतर अवसरों की तलाश में अवैध रूप से जाने का सिलसिला बढ़ाया।

1. 1980-1990 का दशक:

1980 के दशक में पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों से लोग मुख्य रूप से अवैध रूप से यूरोप और अमेरिका जाने लगे। इस समय में मानव तस्करी के नेटवर्क ने और अधिक विस्तार पाया। यह तस्करी मुख्य रूप से मिडल ईस्ट के रास्तों से होती थी। बांगलादेश, पाकिस्तान और भारत से लोग तस्करों की मदद से समुद्र, रेल या सड़क मार्गों से यूरोप पहुंचने की कोशिश करते थे। इन यात्राओं में काफी जोखिम होता था। कई बार तो तस्कर इन लोगों से अत्यधिक रकम वसूल करते थे। लेकिन इस जोखिम के बावजूद लोग अवैध रूप से यात्रा करने के लिए तैयार हो जाते थे।

2. 2000 के दशक:

2000 के दशक के आते-आते डंकी प्रोसेस में और भी तेजी आई। इसके पीछे प्रमुख कारणों में से एक कारण था वैश्वीकरण और इंटरनेट के माध्यम से बढ़ती जानकारी और संपर्क। लोग अब विदेशों में बेहतर जीवन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने लगे थे। साथ ही, भारत में रोजगार के अवसरों की कमी और राजनीतिक अस्थिरता ने भी इस प्रक्रिया को बढ़ावा दिया। पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों से लोग तस्करों की मदद से यूरोप और अमेरिका के देशों में अवैध रूप से घुसने की कोशिश करने लगे।

3. 2010 और उसके बाद:

2010 के बाद, डंकी प्रोसेस एक वैश्विक समस्या बन गई। प्रवासी जो विभिन्न रास्तों से अवैध रूप से यूरोप, अमेरिका और अन्य विकसित देशों में घुसने की कोशिश कर रहे थे, उनकी संख्या लगातार बढ़ती गई। मिडल ईस्ट, अफ्रीका और एशिया के देशों से यूरोप और उत्तरी अमेरिका तक पहुंचने के लिए लोग अब समुद्री रास्तों का इस्तेमाल करने लगे थे, जो बेहद खतरनाक थे।

हिंदुस्तान में डंकी प्रोसेस के कारण और परिणाम (Donkey Process Causes And Consequences In India)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. आर्थिक असमानता:

भारत में डंकी प्रोसेस के बढ़ने का एक बड़ा कारण आर्थिक असमानता और गरीबी थी। लाखों भारतीय नागरिक ऐसे थे, जिनके पास अपने परिवारों के लिए बेहतर जीवन देने के लिए साधन नहीं थे। ऐसे लोग, जिन्हें अपने देश में आर्थिक सुरक्षा और रोजगार के अवसर नहीं मिलते थे, वे विदेशों में किसी भी कीमत पर नौकरी पाने की कोशिश करते थे।

2. राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध:

भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध की स्थितियों ने भी लोगों को विदेशों में जाने के लिए प्रेरित किया। युद्ध और आतंकवाद से प्रभावित लोगों के लिए अवैध प्रवास एकमात्र रास्ता बन गया था।

3. वैश्वीकरण और तकनीकी विकास:

वैश्वीकरण और इंटरनेट ने लोगों को विदेशों में बेहतर जीवन के अवसरों के बारे में अधिक जानकारी दी। इसके कारण लोग अब तस्करों की मदद से बेहतर जीवन की तलाश में अवैध रूप से विदेश जाने लगे थे।

सरकार की भूमिका और उपाय

भारत सरकार ने डंकी प्रोसेस को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण कदम निम्नलिखित हैं:

कानूनी प्रवास के विकल्पों को बढ़ावा देना- सरकार ने विभिन्न देशों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि भारतीय नागरिकों को वैध तरीके से विदेश जाने के लिए अधिक अवसर मिल सकें।

मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कदम- सरकार ने मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कानून लागू किए हैं, जिनके तहत तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है।

जागरूकता अभियान- सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठन लोगों को डंकी प्रोसेस के खतरों और अवैध प्रवास के परिणामों के बारे में जागरूक कर रहे हैं।

डंकी रूट और इसका विस्तार (Donkey Route And It's Expansion)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अवैध इमिग्रेशन के इस खतरनाक रास्ते को अपनाने वाले लोग अक्सर अपनी पूरी संपत्ति बेचकर यह जोखिम उठाते हैं। भारत में कई ट्रैवल एजेंसियां और एजेंट्स इस प्रक्रिया को संचालित करते हैं, जो 15 लाख से लेकर 60 लाख रुपये तक चार्ज करते हैं। ये एजेंट, जिन्हें ‘डंकर्स’ (Dunkers) कहा जाता है, अवैध माइग्रेशन में मदद करते हैं।

डंकी रूट के तहत लोगों को अवैध तरीके से वीज़ा दिया जाता है या उन्हें ऐसे देशों में भेजा जाता है जहां वीज़ा पॉलिसी अपेक्षाकृत सरल होती है। इक्वेडोर, बोलिविया, और गुयाना जैसे देश भारतीयों को वीज़ा प्रदान करते हैं। वहीं, ब्राजील और वेनेजुएला टूरिस्ट वीज़ा जारी करते हैं। यहां से यात्रा का अगला चरण अक्सर कोलंबिया और फिर पनामा होता है।

खतरनाक सफर: डारियन गैप और अन्य जोखिम

पनामा पहुंचने के लिए लोगों को ‘डारियन गैप’ नामक खतरनाक जंगल पार करना पड़ता है। यह क्षेत्र उबड़-खाबड़ रास्तों, पानी की कमी और जंगली जानवरों के अलावा अपराधी गैंग्स के लिए कुख्यात है। यहां प्रवासियों के साथ लूटपाट, हिंसा, और यौन शोषण जैसी घटनाएं आम हैं। लगभग 8-10 दिनों की कठिन यात्रा के बाद, लोग ग्वाटेमाला पहुंचते हैं, जहां से उन्हें मैक्सिको और फिर अमेरिका की ओर ले जाया जाता है।

आंकड़े और वास्तविकता

अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (US Customs and Border Protection) के अनुसार, अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच, 96,917 भारतीयों को अवैध रूप से अमेरिका में सीमा पार करते हुए पकड़ा गया। इनमें से 30,010 कनाडा सीमा पर और 41,770 मैक्सिको सीमा पर हिरासत में लिए गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2019 से मार्च 2023 के बीच, 1,49,000 भारतीयों को अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने के प्रयास में हिरासत में लिया गया। इनमें से अधिकांश पंजाब और गुजरात के रहने वाले थे।

डंकी प्रक्रिया की चुनौतियां और खतरनाक परिणाम (Donkey Process Challenges and Dangerous Consequences)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इस अवैध यात्रा के दौरान प्रवासियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जैसे- खराब मौसम, पानी और भोजन की कमी। सफर के दौरान चोरों, तस्करों और अपराधी गैंग्स से खतरा रहता है। कठिन परिस्थितियों के कारण बीमारियां और मानसिक आघात होता है। यदि कोई व्यक्ति रास्ते में मर जाता है, तो उसका शव घर नहीं भेजा जा सकता।

भारत में डंकी प्रक्रिया की जड़ें: प्रमुख राज्य

पंजाब और गुजरात, जहां प्रवासी परंपरा लंबे समय से रही है, डंकी के सबसे बड़े स्रोत बन गए हैं। हरियाणा में बेरोजगारी दर 37.3 फीसदी (2022 रिपोर्ट) तक पहुंचने के कारण यहां भी इस प्रक्रिया में बढ़ोतरी देखी गई है।

डंकी प्रक्रिया को रोकने के प्रयास और समाधान (Donkey Process Efforts and Solutions)

डंकी रूट पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। जैसे कि वैध वीज़ा और रोजगार के अवसर प्रदान करना। ट्रैवल एजेंसियों और डंकर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई।लोगों को अवैध प्रवास के खतरों और परिणामों के बारे में शिक्षित करना। बेरोजगारी को कम करने के लिए योजनाएं बनाना।

डंकी रूट का उपयोग न केवल आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि यह मानव जीवन के प्रति उदासीनता का भी प्रतीक है। जब तक भारत में रोजगार और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती, लोग इस खतरनाक रास्ते को अपनाने के लिए मजबूर होते रहेंगे। इसे रोकने के लिए केवल कानून और प्रवर्तन ही नहीं, बल्कि एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो लोगों को अपने देश में ही सुरक्षित और समृद्ध जीवन जीने का अवसर प्रदान करे।

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