द्रविड़ नाडुः कैसे और कब बना तमिल नाडु, ये है इसका पूरा इतिहास

1953 में मद्रास राज्य का भाषा के कारण विभाजन किया गया। राज्य पुनर्संगठन अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत केरल और मैसूर राज्यों को इससे अलग निकाल लिया गया और 14 जनवरी 1968 में इसे तमिल नाडु का वर्तमान नाम मिला।

Update:2020-02-03 16:44 IST

द्रविड़ नाडुः कैसे और कब बना तमिल नाडु , इसका पूरा इतिहास जानने से पहले यह जान लें कि द्रविड़ सभ्यता भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। आज दक्षिण के तमाम गैर हिन्दी भाषी राज्य भारतीय संघ का अभिन्न अंग हैं। भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं। लेकिन ब्रिटिश हुकूमत के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब द्रविड़नाडु के रूप में अलग राज्य की मांग सिर उठाने लगी। और मद्रास प्रेसीडेंसी में दक्षिण के कुछ राज्यों को मिलाकर अलग देश की इच्छा रखने वाली अलगाववादी ताकतों ने इसके लिए जोर लगाया लेकिन हर दौर में राष्ट्रवादी ताकतें अलगाववाद के खिलाफ मुखर होती रही हैं नतीजतन आज तमिल नाडु के रूप में एक सशक्त राज्य है।

मद्रास स्टेट वर्तमान में तमिल नाडु, 26 जनवरी, 1950 से 1968 तक बुलाया जाने वाला नाम था। मद्रास राज्य में वर्तमान आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्र, उत्तरी केरल (मालाबार) और कर्नाटक से बेल्लारी, दक्षिण कन्नड़ आदि क्षेत्र आते थे। इस राज्य को 1956 में वर्तमान स्थिति में घटा दिया गया था।

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1953 में इस राज्य का भाषा के कारण विभाजन किया गया। राज्य पुनर्संगठन अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत केरल और मैसूर राज्यों को इससे अलग निकाल लिया गया और 14 जनवरी 1968 में इसे तमिल नाडु का वर्तमान नाम मिला।

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दरअसल जब इतिहास खंगालते हैं तो पता चलता है जब उत्तर भारत के किसी राज्य में जातीय राजनीतिक की सुगबुगाहट भी शुरू नहीं हुई थी तब 1916 तमिलनाडु में दलित और पिछड़ी जातियों को लेकर राजनीतिक आंदोलन अपना रंग जमा चुका था। यह आंदोलन मूलतः वहां की ब्राम्हणवादी व्यवस्था के खिलाफ उपजा था। 1916 में टीएम नायर और राव बहादुर त्यागराज चेट्टी ने पहला ग़ैर-ब्राह्मण घोषणापत्र जारी किया था।

द्रविड़ नाडु की मांग

1921 में जस्टिस पार्टी ने स्थानीय चुनाव जीता था। 1944 में ईवी रामास्वामी यानी पेरियार ने जस्टिस पार्टी का नाम बदलकर 'द्रविड़ कड़गम' कर दिया। ये एक ग़ैर राजनीतिक पार्टी थी जिसने पहली बार द्रविड़ नाडु (द्रविड़ों का देश) बनाने की मांग रखी थी। लेकिन 1949 में पेरियार के कभी पट्टशिष्य रहे सीएन अन्‍नादुरई का उनके साथ मतभेद हो गया। जिसके चलते अन्‍नादुरई ने 17 सितंबर, 1949 में द्रविड़ मुनेत्र कडगम (डीएमके) की स्‍थापना कर दी।

पेरियार स्‍वतंत्र द्रविड़ देश की मांग कर रहे थे लेकिन अन्‍नादुरई की मांग केवल अलग राज्‍य की ही थी और वह पेरियार के उलट राजनीति में आना चाहते थे। अन्नादुरई की चिंता द्रविड़ों की सुरक्षा को लेकर भी थी भारत पर चीन के हमले के समय उन्होंने सबक सीखा और मद्रास का नाम बदलकर तमिल नाडु पूरी तरह से द्रविड़ राज्य बना दिया।

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