आर्थिक सर्वेक्षण में चेतावनी : हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करने से सेहत होगी खराब
हफ्ते में 70 से 90 घंटे काम करने पर चल रही बहस के बीच, बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया है कि हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करने से सेहत पर नुकसानदेह असर पड़ सकता है।;
हफ्ते में 70 से 90 घंटे काम करने पर चल रही बहस के बीच, बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया है कि हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करने से सेहत पर नुकसानदेह असर पड़ सकता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि बैठे बैठे डेस्क पर लंबे समय तक काम करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और जो व्यक्ति डेस्क पर रोजाना 12 या उससे ज्यादा घंटे बिताते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है।
अध्ययनों का हवाला
सर्वेक्षण में कई अध्ययनों के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा गया है कि - काम पर बिताए गए घंटों को अनौपचारिक रूप से प्रोडक्टिविटी का एक तरीका माना जाता है, लेकिन अध्ययनों के मुताबिक इसके प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव होते हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में सैपियन लैब्स सेंटर फॉर ह्यूमन ब्रेन एंड माइंड द्वारा किए गए एक अध्ययन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है - अपने डेस्क पर लंबे समय तक बैठना मानसिक स्वास्थ्य के लिए समान रूप से हानिकारक है। जो व्यक्ति डेस्क पर 12 या उससे अधिक घंटे बिताते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य संकटग्रस्त/संघर्षशील होता है, तथा उनका मानसिक स्वास्थ्य स्कोर उन लोगों की तुलना में लगभग 100 अंक कम होता है, जो डेस्क पर दो घंटे या उससे कम समय बिताते हैं।
- अध्ययन का हवाला देते हुए सर्वेक्षण में कहा गया है कि काम के साथ ही बेहतर जीवनशैली, कार्यस्थल संस्कृति और पारिवारिक संबंध जुड़े हैं।
- डब्ल्यूएचओ द्वारा किए गए एक अध्ययन का हवाला देते हुए सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर, डिप्रेशन और चिंता के कारण सालाना लगभग 12 बिलियन दिन खो जाते हैं, जो 1 ट्रिलियन डॉलर का वित्तीय नुकसान है।
- अन्य अध्ययनों का हवाला देते हुए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगर भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना है, तो जीवनशैली के उन विकल्पों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए जो अक्सर बचपन और युवावस्था के दौरान चुने जाते हैं।
इसके अलावा, खराब वर्क कल्चर और डेस्क पर काम करने में बिताए गए अत्यधिक घंटे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं और अंततः आर्थिक विकास की गति पर ब्रेक लगा सकते हैं।