Gyanvapi Case: सुबह तीन बजे मुस्लिम पक्ष ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, सीजेआई ने फाइल देख दी ये सलाह
Gyanvapi Case: पूजा का अधिकार मिलने से हिंदू पक्ष में जहां हर्ष का माहौल है, वहीं मुस्लिम पक्ष निराश है। उसने लोअर कोर्ट के फैसल को चुनौती देते हुए तड़के तीन बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
Gyanvapi Case: बुधवार को वाराणसी की निचली अदालत के फैसले के बाद ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे स्थित व्यास जी तहखाना खुला और 31 वर्षों बाद वहां मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना हुई। कोर्ट के फैसले का अमल कराने जिला प्रशासन तमाम वरीय अधिकारी देर रात तक ज्ञानवापी परिसर में मौजूद रहे। पूजा का अधिकार मिलने से हिंदू पक्ष में जहां हर्ष का माहौल है, वहीं मुस्लिम पक्ष निराश है। उसने लोअर कोर्ट के फैसल को चुनौती देते हुए तड़के तीन बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली इंतजामिया कमेटी की कानूनी टीम की ओर से गुरूवार सुबह तीन बजे सर्वोच्च न्यायलय के रजिस्ट्रार से संपर्क किया गया। जानकारी के मुताबिक, उन्होंने करीब एक घंटे तक रजिस्ट्रार से बातचीत कर उन्हें ये समझाने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाए ताकि मुस्लिम पक्ष को अन्य कानूनी उपाय तलाशने के लिए थोड़ा वक्त मिले।
सीजेआई ने फाइल देख दी ये सलाह
मामले की गंभीरता को देखते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सुबह फाइल देखने को तैयार हो गए। उन्होंने इंतजामिया कमेटी की ओर से प्रस्तुत कागजात का अध्ययन कर तत्काल कोई राहत देने से इनकार कर दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने इस मामले का उल्लेख करने की सलाह दी।
तहखाने में रात दो बजे हुई पूजा
बुधवार को कोर्ट का आदेश आने के बाद रात तकरीबन 10 बजे वाराणसी डीएम एस.राजलिंगम में पूरा पुलिस-प्रशासन ज्ञानवापी मस्जिद पहुंचा और व्यास जी तहखाने का कक्ष खोलकर साफ-सफाई काम शुरू किया गया। फिर वहां केवीएम ट्रस्ट के पुजारी द्वारा भगवान गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित की गईं। रात दो बजे काशी के प्रसिद्ध कर्मकांडी गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने पूजन कार्य संपन्न कराया। हिंदू पक्ष के वकील मोहन यादव का दावा है कि इस तहखाने में साल 1993 तक पूजा होती थी लेकिन उसी साल आई मुलायम सिंह यादव सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी।
तहखाने में पूजा पर सियासी प्रतिक्रिया
ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में पूजा के अधिकार पर सियासी प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1993 से वहां कुछ नहीं हो रहा था लेकिन अब पूजा का अधिकार दे दिया गया है। ये खुले तौर पर वरशिप एक्ट का उल्लंघन है, ये गलत फैसला है। ओवैसी ने बाबरी विध्वंस की ओर इशारा करते हुए कहा कि 6 दिसंबर को फिर से दोहराया जा सकता है।
वहीं, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने वाराणसी प्रशासन द्वारा देर रात पूजन को लेकर दिखाई गई सक्रियता पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, किसी भी अदालती आदेश का पालन करते समय उचित प्रक्रिया को बनाए रखना होगा। वाराणसी कोर्ट ने इसके लिए 7 दिन की अवधि तय की। अब हम जो देख रहे हैं वह नियत प्रक्रिया से परे जाने और उठाए जाने वाले किसी भी कानूनी सहारा को रोकने का एक ठोस प्रयास है।