सीमा विवाद: ठण्ड में चीनी सेना की अब खैर नहीं, भारत ने उठाया ये बड़ा कदम
15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। दावा है कि चीन के भी 43 सैनिकों की मौत हुई थी। लेकिन चीन इस दावे को ख़ारिज करता आ रहा है।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा मसले को लेकर मई से ही तनाव जारी है। इस विवाद को सुलझाने के लिए पूर्व में सैन्य स्तर पर कई बार वार्ताएं भी हो चुकी हैं लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
नतीजतन दोनों देशों की सेनाएं बॉर्डर पर आमने-सामने खड़ी हैं। दोनों तरफ से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर दी गई है। सीमा पर आज जिस तरह के हालात ने हुए हैं।
उसे देखते हुए युद्ध की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। भारत चीन को पहले ही चेतावनी दे चुका है कि उसे अपनी सेना को हर हाल में पीछे लेना ही होगा।
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अगले हफ्ते आठवीं बार दोनों देशों के बीच बातचीत
इस बीच अब खबर ये आ रही है कि सैन्य प्रतिनिधि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अगले हफ्ते आठवीं बार बातचीत करेंगे। इससे पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर फोर्स की तैनाती कम करने के मुद्दे पर सभी दौर की बातचीत फेल रही थी।
अब ठण्ड का मौसम शुरू हो गया है और सैनिकों को शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान में वहां रहना पड़ रहा है। इस बार लेफ्टिनेंट जनरल पीजी के मेनन भारत की ओर से बातचीत का नेतृत्व करेंगे, जबकि विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहेंगे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अपनी अगले दौर की बातचीत काफी हद तक पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण के किनारों पर दोनों ओर से सैनिकों की टुकड़ी को पीछे वापस बुलाने को लेकर हो सकती है।
यहां मई से ही दोनों देशों की सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति बनी है। ये इलाका भारत के हिस्से में आता है, लेकिन चीनी सैनिक यहां से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
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अब तक सात बार बैठकें हुई सभी बेनतीजा ही रही
बता दें कि इससे पहले दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने भारत-चीन सीमा पर छह महीने से चल रहे टकराव को खत्म करने के लिए सात बार बैठकें की थी। आखिरी बार बैठक 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें भी कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया था।
बैठक के बाद, भारतीय सेना ने एक बयान जारी कर कहा था कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फोर्स की तैनाती कम करने को लेकर रचनात्मक बातचीत की।
सेना ने ये भी कहा था कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने के लिए सहमत हैं, और जितनी जल्दी हो सके फोर्स कम करने पर राजी हो जाएंगे।
30 अगस्त को, भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित महत्वपूर्ण पहाड़ी ऊंचाइयों — रेचन ला, रेजांग ला, मुकर्पी और टेबोप पर कब्जा कर लिया था, जो तब तक मानव रहित थे। भारत ने ब्लैकटॉप के पास कुछ फोर्स की तैनाती भी की है।
इस साल 5 मई 2020 को हुई थी टकराव की शुरुआत
गौरतलब है भारत और चीन के बीच टकराव की शुरुआत 5 मई 2020 को हुई थी। दरअसल नॉर्थ सिक्किम के पैंगोंग त्सो लेक के पास भारत एक सड़क बना रहा था। चीन ने इस पर नाराजगी जाहिर की है।
दोनों देशों के सैनिक आपस में टकरा गये थे। यहां से विवाद बढ़ते हुए लद्दाख पहुंचा। पूर्वी लद्दाख में फिंगर एरिया और गलवान घाटी में चीनी सेना ने टेंट लगा लिए। भारत ने इन्हें हटाने को कहा।
15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। दावा है कि चीन के भी 43 सैनिकों की मौत हुई थी। लेकिन चीन इस दावे को ख़ारिज करता आ रहा है।
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