नयी दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने न्यूक्लियर और रासायनिक आपदाओं समेत आधुनिक युग की अन्य चुनौतियों का सामना करने में खुद को सक्षम बनाने के लिए अपनी 12 बटालियनों में हर एक में नौ विशेषज्ञों के दलों को शामिल किया है। ये विशेषज्ञ विदेश से प्रशिक्षण लेकर आए हैं। एनडीआरएफ के महानिदेशक संजय कुमार ने आईएएनएस से कहा कि भारत अब एक परमाणु शक्ति है और एनडीआरएफ किसी भी प्रकार की रासायनिक, जैविक, विकिरण संबंधी और आणविक (सीबीआरएन) आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षित व उपकरणों से लैस है।
उन्होंने कहा, ‘एनडीआरएफ के सभी बटालियन अब सीबीआरएन की आपदाओं से निपटने में सक्षम हैं। रासायनिक और आणविक आपदाओं से निपटने की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमने हरेक बटालियन में नौ विशेषज्ञों के दल को शामिल किया है। इन दलों को तराशने और प्रशिक्षित करने के लिए यूएनओपीसीडब्ल्यू, डीआरडीई, ग्वालियर, आईएनएमएएस, सीएमई, पुणे, बीएआरसी जैसे देश विदेश के संस्थानों में प्रशिक्षण देकर उन्हें सीबीआरएन के नवीनतम उपकरणों और औजारों से लैस किया गया है।’ हिमाचल प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार पिछले दो साल से एनडीआरफ के प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक आपदाओं के खतरों को कम करने के लिए बल की ओर से जागरूकता कार्यक्रम, प्रदर्शन, और बहु आकस्मिक आपदाओं को लेकर मल्टी मॉक ड्रिल जैसे कई कदम उठाए गए हैं।
आपदाओं से निपटने के बारे में बताते हुए कुमार ने कहा कि किसी आपदा को संकट बनने से रोकने के लिए भारत को सुसंगत और संगठित मोचन बल तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ को मजबूत बनाने का मकसद आपदा के खतरों को सफलतापूर्वक कम करना है, जोकि आपदा मोचन प्रक्रिया के मानकीकरण, समुचित समन्वय और प्रशिक्षण के मानकीकरण से भी हासिल किया जा सकता है। कुमार ने कहा, ‘भारत में भूकंप, बाढ़ और भवन गिरने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। मेरा मानना है कि पूरे देश को मानव-जनित और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित करने की जरूरत है। आपदाओं से निपटने के लिए देश में सुसंगत और संगठित आपदा मोचन बनाने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा कि आपदाओं को रोका नहीं जा सकता लेकिन उनसे पैदा होने वाले संकट को रोका जा सकता है। एनडीआरएफ किसी बड़ी आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद और उपकरणों से लैस है। एनडीआरएफ के 12 बटालियन को देशभर में रणनीतिक ठिकानों पर तैनात किया गया है। साथ ही, अन्य शहरों में 28 क्षेत्रीय केंद्र हैं।
उन्होंने कहा, ‘एनडीआरएफ की टीम पूरी तरह आत्मनिर्भर है वह किसी आकस्मिक आपदा की सूचना मिलने के 30 मिनट के भीतर घटना स्थल के लिए रवाना हो सकती है। हमारे पास त्वरित कार्रवाई करने के लिए विश्व स्तरीय औचार हैं। आज हम ड्रोन, यूएवी, जैसी प्रौद्योगिकी और ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के मामले में भी लक्ष्य को साधने केप्रति पूरी तरह से तत्पर हैं।’ एनडीआरएफ का गठन 2006 में किया गया था। इसके 12 बटालियनों में प्रत्येक में 1,149 कर्मी हैं और सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने में सबसे आगे है। प्रत्येक बटालियन में 45 जवान समेत 18 स्पेशलिस्ट की टीम है। एनडीआरएफ के पास विभिन्न आपदाओं से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के 310 प्रकार के उपकरण हैं।
बिहार के कोसी क्षेत्र के मूल निवासी संजय कुमार बाढ़ की विभीषिका से भलीभांति परिचित हैं। उन्होंने कहा, ‘बिहार में कई तरह के खतरे हैं एनडीआरएफ बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ मिलकर जागरूकता के विभिन्न उपक्रमों समेत हितधारकों और प्रभावित आबादी के साथ क्षमता निर्माण कार्य में जुटा है।’