India-Pak Partition: 75 साल पहले आज ही हुआ था भारत-पाक बंटवारे का ऐलान, दंगों में गई थी लाखों जाने
India-Pak Partition: 75 साल पहले हुई इस घटना के बाद आज तक कश्मीर को लेकर पैदा हुआ विवाद नहीं सुलझ सका है।
India-Pak Partition: तीन जून की तारीख भारत के इतिहास (India Pak partition history) में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। 75 साल पहले आज ही के दिन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (Viceroy Lord Mountbatten) ने भारत को दो हिस्सों भारत और पाकिस्तान में बांटने का ऐलान (India Pak partition) किया था। भारत की आजादी से पहले 3 जून 1947 को यह घोषणा की गई थी। मजहबी आधार पर देश के बंटवारे से कई नेता खुश नहीं थे मगर फिर भी इसे अमली जामा पहनाया गया। इस बंटवारे के कारण काफी संख्या में लोगों को विस्थापित होना पड़ा और कई स्थानों पर दंगे भड़क गए जिनमें लाखों लोगों की जान गई।
भारत के बंटवारे के बाद पाकिस्तान तो बन गया मगर फिर भी कई समस्याएं अनसुलझी रहीं। 75 साल पहले हुई इस घटना के बाद आज तक कश्मीर को लेकर पैदा हुआ विवाद नहीं सुलझ सका है। कश्मीर पर हक जताने वाला पाकिस्तान आज भी कश्मीर को अशांत बनाने की साजिश में जुटा हुआ है। कश्मीर को लेकर पाकिस्तान कई बार संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आवाज भी उठा चुका है।
जिन्ना को मिली अपनी योजना में कामयाबी
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू धार्मिक आधार पर देश का बंटवारा किए जाने के पूरी तरह खिलाफ थे मगर दूसरी ओर मोहम्मद अली जिन्ना मुसलमानों के लिए अलग देश की अपनी मांग पर अड़े हुए थे। आखिरकार जिन्ना को कामयाबी मिली और लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून 1947 को देश के बंटवारे का ऐलान कर दिया। बंटवारे के बाद जिन्ना ही पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने थे।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद देश को आजाद करने की मांग काफी तेजी से बुलंद हुई थी तो दूसरी और मजहबी ताकतों ने भी सिर उठाना शुरू कर दिया था। कई स्थानों पर सांप्रदायिक दंगों की आग ने लोगों के बीच दूरियां पैदा कर दी थीं।
लॉर्ड माउंटबेटन ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ देश के बंटवारे पर लंबी चर्चा की और इसके बाद 3 जून 1947 को भारत को दो देशों भारत और पाकिस्तान में बांटने का खाका पेश किया। माउंटबेटन का कहना था कि भारत की राजनीतिक समस्या को सुलझाने के लिए विभाजन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है।
माउंटबेटन की क्या थी योजना
देश के बंटवारे के लिए पेश किए गए खाके के मुताबिक भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बनाने की बात कही गई। माउंटबेटन की योजना में कहा गया था कि दोनों देशों का अलग-अलग संविधान होगा और इसके लिए अलग-अलग संविधान सभाओं का गठन किया जाएगा।
इस योजना की खास बात यह थी कि भारतीय रियासतों को अपने भविष्य का फैसला करने की छूट दे दी गई थी। उन्हें यह फैसला करने का हक दिया गया था कि वे चाहें तो भारत के साथ रहें या पाकिस्तान के साथ। दोनों के साथ न मिलने की इच्छा होने पर उन्हें आजाद रहने तक की छूट दे दी गई थी। ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 18 जुलाई 1947 को माउंटबेटन के इस प्लान को मंजूरी दे दी थी। ब्रिटिश हुकूमत से जुड़े एक शख्स का कहना था कि भारत को आजादी के बंटवारे की कीमत पर मिली थी।
बंटवारे ने दिया बेपनाह दर्द
देश का बंटवारा ऐसी तबाही साथ लेकर आया था जिसे बीसवीं सदी में इंसानियत के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में एक माना जाता है। देश को आजादी मिलने से पहले ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच में हिंसा का तांडव शुरु हो चुका था। बंटवारे के समय यह हिंसा कितना ख़तरनाक रूप ले लेगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं था।
भारत को आजादी मिलने के समय करीब सवा करोड़ से अधिक लोग शरणार्थी के रूप में भारत और पाकिस्तान आए-गए। बंटवारे के समय सांप्रदायिक हिंसा की ऐसी आग भड़की जिसमें लाखों लोगों को अपनी जान देनी पड़ी। मरने वालों का बिल्कुल सटीक आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है मगर माना जाता है कि करीब 5 से 10 लाख के बीच लोग सांप्रदायिक हिंसा की आग में मारे गए। इस हिंसा के दौरान हजारों औरतों का अपहरण भी कर लिया गया था।
कश्मीर की समस्या का समाधान नहीं
आजादी मिलने के कुछ समय बाद ही दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर जंग छिड़ गई थी। बंटवारे का फैसला काफी हड़बड़ी में किया गया था। माउंटबेटन बंटवारे को जल्द से जल्द अंजाम देना चाहते थे और वे इतनी हड़बड़ी में थे कि महज 5 हफ्तों के भीतर दोनों देशों की सरहद खींच दी गई थी। कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच 75 साल पहले पैदा हुई तनातनी आज तक खत्म नहीं हो सकी है।
भारत कश्मीर को अपना अविभाज्य अंग मानता रहा है। भारत की सभी सरकारों ने इस मामले में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को मानने से हमेशा इनकार किया है। दूसरी ओर पाकिस्तान कश्मीर समस्या के समाधान के लिए लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गुहार लगाता रहा है। भारत से सीधे भिड़ने की हिम्मत न होने के कारण पाकिस्तान आज भी आतंकियों के जरिए कश्मीर को अशांत बनाने की साजिश में जुटा हुआ है।